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Lok Sabha Elections 2024: क्या मोदी की गारंटी के आगे टिक पाएंगी राहुल की गारंटी? कांग्रेस ने बताया गेम चेंजर

Lok Sabha Elections 2024, इस बार का लोकसभा चुनाव गारंटियों पर लड़ा जाएगा. जहां एक ओर मोदी की गारंटी है, तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी की गांरटी है. चुनाव प्रचार में मोदी की गारंटी vs राहुल की गांरटी देखने को मिल रहा है. कांग्रेस पार्टी देश की महिला मतदाताओं पर दांव लगाते हुए उनके लिए पांच गारंटी की घोषणा की है.

Rahul Gandhi and PM Modi
राहुल गांधी व पीएम मोदी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 13, 2024, 5:56 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने बुधवार को महिला मतदाताओं के लिए राहुल गांधी की पांच गारंटी को आगामी लोकसभा चुनाव में 'गेम चेंजर' बताया है और कहा कि देश भर में विभिन्न वादों को प्रचारित करने के लिए एक ठोस अभियान चलाया जाएगा. महिलाओं के लिए पांच गारंटी राहुल द्वारा अपने सामाजिक न्याय अभियान के हिस्से के रूप में 30 लाख खाली केंद्र सरकार की नौकरियों को भरने और किसानों के लिए कानूनी एमएसपी सहित युवाओं के लिए किए गए वादों के कुछ दिनों बाद आई हैं.

महिलाओं के लिए वादे में गरीब परिवारों के लिए प्रति वर्ष 1 लाख रुपये, केंद्र सरकार की सभी नई नौकरियों में से आधी महिलाओं के लिए, आशा, आंगनवाड़ी और मिड-डे मील योजना कर्मियों के लिए केंद्र सरकार का योगदान दोगुना करना, पंचायत स्तर पर कानूनी सहायता, कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावासों की संख्या दोगुनी करना और यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक जिले में कम से कम एक छात्रावास हो शामिल हैं.

सरकारी अनुमान के अनुसार, देश भर में 10 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ता, लगभग 26 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और लाखों मध्याह्न भोजन कार्यकर्ता हैं. एआईसीसी पदाधिकारी रजनी पाटिल ने बताया कि 'यह नीति आने वाले लोकसभा चुनावों में गेम चेंजर साबित होने वाली है. अभी तक हम महिलाओं को सशक्त बनाने की बातें ही सुनते थे. लेकिन अब ये पांच गारंटी देश भर के आधे मतदाताओं यानी करीब 50 करोड़ महिला मतदाताओं को पूरा अधिकार देंगी.'

उन्होंने कहा कि 'हम पहले से ही लोगों के बीच विभिन्न न्याय गारंटी का प्रचार कर रहे हैं और आने वाले दिनों में महिला मतदाताओं तक संदेश पहुंचाने के लिए विशेष अभियान आयोजित किए जाएंगे.' पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, महिलाओं के लिए पांच गारंटी महिला भत्ता योजनाओं का राष्ट्रव्यापी विस्तार और विस्तार था, जिसे कांग्रेस पहले से ही पार्टी शासित कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में लागू कर रही है.

इसी तरह के भत्ते पिछले पांच वर्षों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछली पार्टी सरकारों द्वारा दिए गए थे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने महिला मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अभियान की घोषणा की थी, लेकिन योजना जमीन पर नहीं उतरी.

एआईसीसी की उत्तराखंड प्रभारी सचिव दीपिका पांडे सिंह ने बताया कि 'इस बार महिलाओं के लिए पांच गारंटी पर अच्छे से विचार किया गया है. नीति को लागू करने के लिए जिस वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी, उस पर भी काम किया गया है. हम भाजपा की तरह नहीं हैं, जो सिर्फ वोट हासिल करने के लिए वादे करती है और फिर उन्हें भूल जाती है. हमने अपना होमवर्क ठीक से किया है.'

पाटिल और सिंह दोनों ने ऐसा कहा कि 'ग्रामीण क्षेत्रों में आशा, आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन योजना कार्यकर्ताओं की पुरानी मांग थी कि उनका पारिश्रमिक बढ़ाया जाए।.' झारखंड के विधायक सिंह ने कहा कि 'झारखंड सरकार ने इन महिला श्रमिकों के पारिश्रमिक में अपना हिस्सा बढ़ाया था, लेकिन केंद्र सरकार ने नहीं.'

एआईसीसी पदाधिकारी के अनुसार, महिलाओं के लिए पांच गारंटियां ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों, अर्ध-कुशल महिलाओं और शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं सहित विभिन्न वर्गों की महिलाओं पर लक्षित थीं. सिंह ने कहा कि 'पंचायत स्तर पर महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करने के वादे का बड़ा प्रभाव पड़ेगा. मुझे हाल ही में एक परेशान महिला का फोन आया, जिसे पुलिस सहायता की जरूरत थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके घर से तीन किमी दूर एक पुलिस स्टेशन है.'

सिंह ने कहा कि 'अगर ऐसी महिलाओं को उनके गांव में कानूनी मदद मिल सके तो यह उनके लिए बड़ी राहत होगी.' पाटिल ने कहा कि 'कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को एक बड़ा समर्थन प्रदान करेगा, जबकि गरीब महिलाओं के लिए मानदेय उन्हें लगभग 8,500 रुपये प्रति माह देगा और एक बड़ी राहत होगी.'

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने बुधवार को महिला मतदाताओं के लिए राहुल गांधी की पांच गारंटी को आगामी लोकसभा चुनाव में 'गेम चेंजर' बताया है और कहा कि देश भर में विभिन्न वादों को प्रचारित करने के लिए एक ठोस अभियान चलाया जाएगा. महिलाओं के लिए पांच गारंटी राहुल द्वारा अपने सामाजिक न्याय अभियान के हिस्से के रूप में 30 लाख खाली केंद्र सरकार की नौकरियों को भरने और किसानों के लिए कानूनी एमएसपी सहित युवाओं के लिए किए गए वादों के कुछ दिनों बाद आई हैं.

महिलाओं के लिए वादे में गरीब परिवारों के लिए प्रति वर्ष 1 लाख रुपये, केंद्र सरकार की सभी नई नौकरियों में से आधी महिलाओं के लिए, आशा, आंगनवाड़ी और मिड-डे मील योजना कर्मियों के लिए केंद्र सरकार का योगदान दोगुना करना, पंचायत स्तर पर कानूनी सहायता, कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावासों की संख्या दोगुनी करना और यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक जिले में कम से कम एक छात्रावास हो शामिल हैं.

सरकारी अनुमान के अनुसार, देश भर में 10 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ता, लगभग 26 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और लाखों मध्याह्न भोजन कार्यकर्ता हैं. एआईसीसी पदाधिकारी रजनी पाटिल ने बताया कि 'यह नीति आने वाले लोकसभा चुनावों में गेम चेंजर साबित होने वाली है. अभी तक हम महिलाओं को सशक्त बनाने की बातें ही सुनते थे. लेकिन अब ये पांच गारंटी देश भर के आधे मतदाताओं यानी करीब 50 करोड़ महिला मतदाताओं को पूरा अधिकार देंगी.'

उन्होंने कहा कि 'हम पहले से ही लोगों के बीच विभिन्न न्याय गारंटी का प्रचार कर रहे हैं और आने वाले दिनों में महिला मतदाताओं तक संदेश पहुंचाने के लिए विशेष अभियान आयोजित किए जाएंगे.' पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, महिलाओं के लिए पांच गारंटी महिला भत्ता योजनाओं का राष्ट्रव्यापी विस्तार और विस्तार था, जिसे कांग्रेस पहले से ही पार्टी शासित कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में लागू कर रही है.

इसी तरह के भत्ते पिछले पांच वर्षों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछली पार्टी सरकारों द्वारा दिए गए थे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने महिला मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अभियान की घोषणा की थी, लेकिन योजना जमीन पर नहीं उतरी.

एआईसीसी की उत्तराखंड प्रभारी सचिव दीपिका पांडे सिंह ने बताया कि 'इस बार महिलाओं के लिए पांच गारंटी पर अच्छे से विचार किया गया है. नीति को लागू करने के लिए जिस वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी, उस पर भी काम किया गया है. हम भाजपा की तरह नहीं हैं, जो सिर्फ वोट हासिल करने के लिए वादे करती है और फिर उन्हें भूल जाती है. हमने अपना होमवर्क ठीक से किया है.'

पाटिल और सिंह दोनों ने ऐसा कहा कि 'ग्रामीण क्षेत्रों में आशा, आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन योजना कार्यकर्ताओं की पुरानी मांग थी कि उनका पारिश्रमिक बढ़ाया जाए।.' झारखंड के विधायक सिंह ने कहा कि 'झारखंड सरकार ने इन महिला श्रमिकों के पारिश्रमिक में अपना हिस्सा बढ़ाया था, लेकिन केंद्र सरकार ने नहीं.'

एआईसीसी पदाधिकारी के अनुसार, महिलाओं के लिए पांच गारंटियां ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों, अर्ध-कुशल महिलाओं और शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं सहित विभिन्न वर्गों की महिलाओं पर लक्षित थीं. सिंह ने कहा कि 'पंचायत स्तर पर महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करने के वादे का बड़ा प्रभाव पड़ेगा. मुझे हाल ही में एक परेशान महिला का फोन आया, जिसे पुलिस सहायता की जरूरत थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके घर से तीन किमी दूर एक पुलिस स्टेशन है.'

सिंह ने कहा कि 'अगर ऐसी महिलाओं को उनके गांव में कानूनी मदद मिल सके तो यह उनके लिए बड़ी राहत होगी.' पाटिल ने कहा कि 'कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को एक बड़ा समर्थन प्रदान करेगा, जबकि गरीब महिलाओं के लिए मानदेय उन्हें लगभग 8,500 रुपये प्रति माह देगा और एक बड़ी राहत होगी.'

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