रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. इस बीच जमशेदपुर पूर्वी सीट को लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया है. दरअसल, यह सीट रघुवर दास की परंपरागत सीट रही है. 2019 के चुनाव को छोड़ दें तो उससे पहले हुए पांच चुनावों में रघुवर दास यहां से जीतते रहे हैं. रघुवर दास अभी ओडिशा के गवर्नर हैं. उनकी अनुपस्थिति में जमशेदपुर पूर्वी सीट के जदयू कोटे में जाने की संभावना के बीच रघुवर दास की वापसी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
हालिया जदयू में शामिल हुए सरयू राय को इसकी वजह माना जा रहा है. सरयू राय ही वो नेता हैं जिन्होंने 2019 के चुनाव में जमशेदपुर पश्चिमी से भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय जमशेदपुर पूर्वी से ना सिर्फ ताल ठोका था. बल्कि सीएम रहते रघुवर दास को हराकर झारखंड की राजनीति का रुख ही बदल दिया था.
डैमेज कंट्रोल की चल रही कवायद
जाहिर है कि रघुवर दास अपने धुर विरोधी सरयू राय को अपनी परंपरागत सीट पर चुनाव लड़ते नहीं देखना चाहेंगे. इस बीच असम के सीएम और झारखंड भाजपा के विधानसभा चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा के भुवनेश्वर राजभवन में राज्यपाल रघुवर दास और ओडिशा के सीएम मोहन मांझी के बीच 27 सितंबर को हुई मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. क्योंकि झारखंड के चुनाव में असम के सीएम हिमंता बिस्वा सबसे ज्यादा सक्रिय हैं. पिछले दिनों वह कह चुके हैं कि झारखंड में भाजपा, आजसू और जदयू मिलकर चुनाव लड़ेंगे. सीट शेयरिंग का फॉर्मूला करीब-करीब तय हो चुका है. इसकी घोषणा पितृपक्ष संपन्न होते ही कभी भी हो जाएगी. वह रघुवर दास के जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से भी इनकार कर चुके हैं.
सरयू और रघुवर के बीच का विवाद है जगजाहिर
अब सवाल है कि क्या रघुवर दास भाजपा के कर्मठ और निष्ठावान सिपाही की तरह गवर्नर की भूमिका में रहेंगे या अपनी ताकत दिखाएंगे. उनके पास बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऑप्शन खुला है. उनकी हालिया सक्रियता भी इस ओर इशारा कर रही है. क्योंकि रघुवर दास और सरयू राय के बीच का विवाद निजी रूप ले चुका है. पिछले साल छठ के दौरान दोनों के समर्थकों के बीच भिड़ंत भी हुई थी. सरयू राय ने सीतारामडेरा थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी. रही बात जमशेदपुर पश्चिमी सीट की तो कांग्रेस के बन्ना गुप्ता यहां से विधायक और मंत्री हैं. उनका भी सरयू राय के साथ का विवाद जगजाहिर है.
भाजपा को देखना है लार्जर इंटरेस्ट- आनंद कुमार
वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार के मुताबिक भाजपा नहीं चाहती कि रघुवर दास चुनाव लड़ें. हालांकि रघुवर दास यह जरुर चाहते हैं कि सरयू राय के अलावा किसी दूसरे को टिकट दे दिया जाए. असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा से 27 सितंबर को मुलाकात के बाद 28 सितंबर को राज्यपाल रघुवर दास दिल्ली चले गये थे. खास बात है कि भाजपा के पास जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी दोनों सीटों पर दमदार उम्मीदवार नहीं दिखता है. कांग्रेस ने जमशेदपुर पूर्वी से डॉ. अजय कुमार को तैयार कर रखा है.
भाजपा को लार्जर इंटरेस्ट देखना है. क्योंकि यह समझना मुश्किल नहीं है कि जमशेदपुर पूर्वी सीट को लेकर जो समीकरण बना है वो नीतीश कुमार और पीएम मोदी के बीच का है. अगर जदयू में जाना ही प्राथमिकता होती तो सरयू राय कब के चले गये होते. आज राजा पीटर भी जदयू में शामिल हो गये हैं. उनको तमाड़ से उतारने की संभावना है. यहां समग्रता का मामला है. किसी व्यक्ति विशेष की जिद को लेकर पार्टी नहीं चलती. सोच समझकर रघुवर दास को राज्यपाल बनाया गया था. अब सिर्फ एक ऑप्शन है कि रघुवर दास निर्दलीय चुनाव लड़ें. यह संभव नहीं दिख रहा है. हार की सूरत में उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा.
रघुवर चाहते हैं सम्मान- शंभुनाथ
वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक अभी रघुवर दास हथियार रखने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं. वह नहीं चाहते कि राज्यपाल के रूप में उनकी पारी समाप्त हो जाए. उन्होंने राज्यपाल के प्रोफाइल में भाजपा का घेरा भी लगाया था. अब सवाल है कि क्या भाजपा जमशेदपुर पूर्वी सीट जदयू को देने को तैयार है. ऐसा नहीं लगता कि नीतीश कुमार भी सरयू राय के लिए जमशेदपुर पूर्वी सीट के लिए अड़ जाएं. रघुवर दास, पीएम मोदी और अमित शाह के गुड बुक में रहे हैं. संभव है कि रघुवर दास की इच्छा का सम्मान पार्टी रख दें. समझौते के तौर पर सरयू राय को जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर शिफ्ट किया जा सकता है. वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक अगर फिर भी बात नहीं बनती है तो यह कहना कि रघुवर दास बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ लेंगे, ऐसा संभव नहीं दिखता.
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