नई दिल्ली: सीएम केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है. अब इस पद की जिम्मेदारी कौन संभालेगा, इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है. वहीं, संभावितों सीएम पद की रेस में पत्नी सुनीता केजरीवाल, मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज का नाम सबसे ऊपर आ रहा है.
चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ये जिम्मेदारी परिवार के किसी सदस्य को सौंपेंगे. क्योंकि, उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल का नाम लोकसभा चुनाव के दौरान से ही चर्चाओं में है. जब सीएम केजरीवाल चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर बाहर आए थे. उस समय से ही लगातार सुनीता केजरीवाल की सीएम पद की दावेदारी की चर्चा हो रही है. अब जब सीएम ने इस्तीफे की घोषणा कर दी है तो उनकी जगह पर कौन मुख्यमंत्री होगा.
जानिए, दिल्ली के सीएम पद के प्रमुख दावेदार, कौन और क्यों हैं...?
सबसे आगे सुनीता केजरीवालः मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सबसे आगे सुनीता केजरीवाल का नाम है. सुनीता केजरीवाल अरविंद केजरीवाल की पत्नी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीति में उन्होंने एंट्री ली. वो स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल रहीं. इस दौरान एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें केजरीवाल का उत्तराधिकारी माना जाने लगा. फिलहाल, चर्चाओं के बीच अब इस बात की संभावना सबसे ज्यादा है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री केजरीवाल के परिवार से यानि उनकी पत्नी ही होंगी.
रेस में आतिशी भीः केजरीवाल के जेल में होने के दौरान मंत्री आतिशी ने बढ़चढ़कर सरकार के कामकाज को संभाला. पब्लिक और मीडिया के बीच समय-समय पर मजबूती से आम आदमी पार्टी का पक्ष भी रखती रहीं. आतिशी अगली मुख्यमंत्री होंगी इस बात को केजरीवाल के उस फैसले से जोड़कर देखा जा रहा है जब 15 अगस्त को झंडा फहराने के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आतिशी का नाम आगे किया था. अपने भरोसेमंद विधायकों में केजरीवाल आतिशी को सबसे आगे मानते हैं.
सौरभ भारद्वाज भी दावेदारः इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है कि मंत्री सौरभ भारद्वाज के नाम पर सीएम की मुहर लग सकती है. दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य जैसा जरूरी मंत्रालय देख रहे सौरभ भारद्वाज केजरीवाल के चहेते विधायकों की लिस्ट में शामिल माने जाते हैं. जेल में रहने के दौरान सरकार का कामकाज देखने के लिए आतिशी और सौरभ भारद्वाज दोनों को ही केजरीवाल ने बराबर की भागीदारी में रखा. अगर मुख्यमंत्री का ताज महिला के सिर पर नहीं सजा तो बहुत मुमकिन है कि सौरभ भारद्वाज दिल्ली के अगले मुख्मयंत्री हों.
सीएम कुर्सी की दावेदारी में इनके नाम भी शामिल: आम आदमी पार्टी मंत्री कैलाश गहलोत, गोपाल राय और इमरान खान के नामों को भी सीएम दावेदारों के तौर पर विचार कर सकती है. जहां तक राघव चड्ढा के नाम का सवाल है तो पार्टी उनको दिल्ली की राजनीति में उतारकर एक बड़ा दांव खेल सकती है.
दिल्ली को फिलहाल एक केयरटेकर मुख्यमंत्री की जरूरत है जिसके लिए उनका सदन का सदस्य चुना जाना जरूरी नहीं है. इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव हो जाएंगे. ऐसे में आगामी चुनावों में पार्टी दलित वोट बैंक को देखते हुए दलित नेता के रूप में पार्टी कुलदीप कुमार और राखी बिडलान के नाम पर विचार कर सकती है.
सिसोदिया की दावेदारी को केजरीवाल ने ही किया खारिज: इस बीच देखा जाए तो सीएम पद की मजबूत दावेदारी में अरविंद केजरीवाल के बाद अगर कोई दूसरा बड़ा नाम माना जाता है तो उनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हैं. सिसोदिया के भी जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद से यह चर्चा तेज हो गई थी कि वो अब पुराना पद संभालेंगे या फिर दिल्ली सीएम की कुर्सी. लेकिन आज सीएम ने अपने इस्तीफा देने के ऐलान के साथ यह भी साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री की रेस में मनीष सिसोदिया शामिल नहीं है. अब उनके नाम को लेकर सीएम केजरीवाल ने ही अपनी घोषणा में खुद विराम लगा दिया है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह साफ कर दिया है कि जब तक जनता उनको और मनीष सिसोदिया को वोट देकर ईमानदारी का सर्टिफिकेट नहीं दे देती तब तक वह अपनी कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. सीएम केजरीवाल ने कहा कि जनता जब तक फैसला नहीं सुना देती तब तक वह कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. अगर जनता को लगता है कि केजरीवाल ईमानदार हैं तो वह मुझे वोट देंगे. आप लोगों की एक-एक वोट मेरी ईमानदारी का सर्टिफिकेट होगा. यदि आप लोग मुझे वोट देकर विजयी बनाएंगे तो ही मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा." इस बयान ने यह भी साफ कर दिया कि अगली बार अगर सरकार आती है तो मुख्यमंत्री, अरविंद केजरीवाल ही बनेंगे.
लालू यादव ने राबड़ी तो शिबू सोरेन ने हेमंत को सौंपी थी विरासत: लालू यादव ने चारा घोटाले में फंसने के बाद और जेल जाने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम पद की कमान सौंपी थी. इसी तरह पूर्व सीएम शिबू सोरेन ने भी झारखंड की कमान किसी और की बजाय बेटे हेमंत सोरेन को सौंप दी थी.
मुलायम सिंह ने अखिलेश को सौंपी थी विरासत: बात अगर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की करें तो यहां पर भी मुलायम सिंह यादव को किसी और पर भरोसा नहीं था. उन्होंने सत्ता की बागडोर अपने बेटे अखिलेश यादव को राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सौंपना ज्यादा सुरक्षित माना. इस तरह के उदाहरण अब दिल्ली की राजनीति में फिट होंगे या नहीं, इसको लेकर भी चर्चा अलग से शुरू हो गई है.
परिवार की बजाय बाहरी सदस्य को सौंप सकते हैं जिम्मेदारी: दरअसल, दिल्ली विधानसभा के चुनाव अगले साल फरवरी में संभावित है. ऐसे में केजरीवाल विपक्ष के आरोपों से बचने के लिए भी इस पद की कमान कुछ समय के लिए किसी पारिवारिक सदस्य की बजाय बाहरी सदस्य को सौंप सकते हैं. अगर वह इसकी कमान अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को सौंपते हैं तो उनको दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों की तरह परिवारवाद का बढ़ावा देने जैसे आरोपों को लेकर विधानसभा चुनाव में विपक्ष के आरोपों से दो-चार होना पड़ सकता है. इससे बचने के लिए भी वह कोई और बड़ा फैसला इस दिशा में ले सकते हैं.
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