मुंबई : शिवसेना यूबीटी ग्रुप के पूर्व नगरसेवक अभिषेक घोसालकर पर गुरुवार रात फायरिंग की घटना हुई. शूटर मौरिस नोरोन्हा ने भी खुद को गोली मार ली. मौरिस ने अभिषेक घोसालकर पर गोली क्यों चलाई? मुंबई पुलिस इसकी वजह की जांच कर रही है. शूटिंग से पहले मौरिस फेसबुक पर लाइव हुआ.
पुलिस ने शुक्रवार सुबह दो लोगों को हिरासत में लिया है. मेहुल पारेख और रोहित साहू उर्फ रावण नाम के दो संदिग्धों ने कार्यालय का निरीक्षण किया था. चूंकि यह सब पूर्व नियोजित है, इसलिए पुलिस की ओर से जांच के लिए अलग-अलग टीमें नियुक्त की गई हैं. पुलिस को शक है कि इन दोनों लोगों को घटना की पूरी जानकारी है.
मौरिस नोरोन्हा एक तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता है. कोरोना काल में उन्होंने कई नागरिकों को आर्थिक और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराकर मदद की. मौरिस ने दहिसर पश्चिम के गणपत पाटिल नगर में एक झुग्गी बस्ती में भी राशन वितरित किया था. सामाजिक कार्य करते हुए उनके मन में नगरसेवक बनने की महत्वाकांक्षा पैदा हुई. मौरिस पिछले 10 वर्षों से जिस क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते थे, उस क्षेत्र में विनोद घोसालकर का दबदबा है.
विनोद घोसालकर को इस क्षेत्र से नगरसेवक के रूप में चुना गया था. इसके बाद वह दहिसर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. फिर उनके बेटे अभिषेक घोसालकर 2009, 2014 में नगरसेवक बने. फिर उनकी पत्नी 2019 में नगरसेवक के रूप में चुनी गईं. घोषालकर परिवार ने बीस वर्षों से अधिक समय तक इस क्षेत्र का नेतृत्व किया. इसलिए इस क्षेत्र को घोसालकर के गढ़ के नाम से जाना जाता है.
एक महिला की शिकायत पर मौरिस को 2022 में रेप केस में गिरफ्तार किया गया था. मौरिस को शक था कि अभिषेक घोसालकर ने इस मामले में महिला की मदद की. कहा जाता है कि उसे इसी बात का गुस्सा था. इस मामले में मौरिस छह महीने तक जेल में था. जमानत पर रिहा होने के बाद दिवाली के दौरान उसकी दोस्ती अभिषेक घोसालकर से हुई. अभिषेक के साथ मौरिस ने दहिसर बोरीवली परिसर में दिवाली और नए साल की शुभकामनाओं वाला एक बैनर भी लगाया.
दावा किया जा रहा है कि उसी प्रकरण से नाराज होकर मौरिस ने अभिषेक घोसालकर से दोस्ती की और उसे मार डाला. उसका आईसी कॉलोनी में मौरिस भाई के नाम से ऑफिस है. तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाने वाले मौरिस भाई का एक आलीशान कार्यालय था. सूत्रों ने जानकारी दी है कि मौरिस के दफ्तर में गैंगस्टर प्रवृत्ति के लोगों का भी आना-जाना रहता था.
पुलिस ने इस मामले में मौरिस समर्थक मेहुल पारेख और राहुल साहू उर्फ रावण को हिरासत में लिया है. पुलिस को शक है कि इन दोनों ने मौरिस को अपराध करने में मदद की. पुलिस ने आशंका जताई है कि इस घटना से पहले दोनों ने ऑफिस का इंस्पेक्शन किया था.
पुलिस द्वारा मौरिस कार्यालय के साथ-साथ इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की जा रही है. पुलिस ने मौरिस द्वारा इस्तेमाल की गई बंदूक और जिंदा कारतूस जब्त कर लिए हैं. मौरिस के पास बंदूक कहां से आई...? इसकी भी जांच की जा रही है. दरअसल 'मौरिस के पास किसी भी तरह का हथियार का लाइसेंस नहीं था.'
एमएचबी पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक सुनील राणे ने जानकारी दी है कि पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है.