नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी, पार्टी ने मंगलवार को सर्वसम्मति से इस बात पर सहमति जताई. इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने पार्टी विधायकों की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव अपने उत्तराधिकारी के रूप में रखा.
43 वर्षीय आतिशी के पास वित्त, शिक्षा और राजस्व सहित 14 विभाग हैं और अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान भी वे दिल्ली की कमान संभाल रही थीं. वे कांग्रेस की शीला दीक्षित और बीजेपी की सुषमा स्वराज के बाद दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी.
अरविंद केजरीवाल आज शाम राज निवास में उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात करेंगे और मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंपेंगे, जिससे आतिशी को उनके उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त करने का रास्ता साफ हो जाएगा.
2023 में दिल्ली कैबिनेट में शामिल हुईं आतिशी
बता दें कि शिक्षा क्षेत्र में AAP सरकार की कई उपलब्धियों का क्रेडिट आतिशी को दिया जाता है. उन्हें मार्च 2023 में दिल्ली कैबिनेट में शामिल किया गया था. वह 21 मार्च को आबकारी नीति मामले में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से ही सरकार और पार्टी में अहम भूमिका निभा रही हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय सिंह और त्रिप्ता वाही की बेटी आतिशी ने स्प्रिंगडेल्स स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की. आतिशी के शानदार उदय के दौरान कई विवाद भी हुए और उनमें से एक था उनका उपनाम 'मार्लेना' हटान
आतिशी ने अपना सरनेम मार्लेना क्यों छोड़ा?
आतिशी ने राजनीतिक कारणों और गलतफहमी की संभावना के कारण 2018 में 'मार्लेना' सरनेम छोड़ दिया था. दरअसल, मार्लेना नाम मार्क्स और लेनिन का मिश्रण था, जो उनके माता-पिता की वामपंथी विचारधारा को दर्शाता था. हालांकि, राजनीति में अपने उदय के दौरान, खासकर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आतिशी को अटकलों और अफवाहों का सामना करना पड़ा कि उनका सरनेम बताता है कि वह कम्युनिस्ट विचारधारा से जुड़ी हैं.
भारत में राजनीतिक संबद्धता के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए, उन्होंने अपने राजनीतिक विश्वासों की किसी भी गलत व्याख्या से बचने के लिए मार्लेना को छोड़ने और केवल अपना पहला नाम आतिशी इस्तेमाल करने का फैसला किया.
इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि उनका ध्यान उनके सरनेम से संबंधित अनावश्यक विवादों के बजाय उनके काम और नीतिगत योगदान पर रहे. अगस्त 2018 में उन्होंने कहा था, "मार्लेना मेरा सरनेम नहीं है. मेरा सरनेम सिंह है, जिसका मैंने कभी इस्तेमाल नहीं किया. दूसरा नाम मेरे माता-पिता ने दिया था. मैंने अपने चुनाव अभियान के लिए केवल आतिशी का उपयोग करने का फैसला किया है."
उधर, ऐसी खबरें भी थीं कि भारतीय जनता पार्टी आतिशी को विदेशी और ईसाई के रूप में पेश करने की कोशिश कर सकती है और साथ ही इस तथ्य का हवाला दे सकती है कि उनका नाम दो कम्युनिस्ट विचारकों के नाम पर रखा गया है. इस पर AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि पार्टी को लगा कि विपक्ष के कुछ तत्व उन्हें बाहरी और संभवतः विदेशी बताकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से आतिशी का है.
पार्टी ने कहा कि उनके माता-पिता, डॉ त्रिप्ता वाही और डॉ विजय सिंह, जो वामपंथी थे उन्होंने कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन के सरनेम को मिलाकर उन्हें मार्लेना नाम दिया था. हालांकि, दिल्ली बीजेपी ने AAP के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पार्टी ने कभी भी वोट जीतने के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं किया.
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