रायपुर: लोकसभा चुनाव 2024 के सियासी दंगल का छत्तीसगढ़ में अंतिम मुकाबला 7 मई को है. इसके लिए चुनावी मैदान में उतरे नेताओं ने जनता से अपने लिए आयुष्मान भव का आशीर्वाद मांगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. जिस आयुष्मान से जनता को निरोग होना है या उनके रोग का इलाज होना है, उसके लिए जनता का आयुष्मान चलेगा कि नहीं इस पर साफ जवाब देने की स्थिति में कोई नेता नहीं है. राजनीतिक दल इस पर कुछ भी साफ नहीं कर पाए हैं. सत्ता पक्ष की अपनी दलील है की दो इंजन की सरकार है इसलिए गरीबों को कोई दिक्कत नहीं होगी. विपक्ष कह रहा है कि गरीबों का इलाज हो नहीं रहा है और सरकार इस पर कुछ कह नहीं रही है. जबकी जमीनी हकीकत यह है कि रायपुर के अधिकांश अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से होने वाला इलाज बंद हो गया है. जनता नेताओं की किस्मत को EVM में बंद करने जा रही है. अब देखना है कि जनता की बंद इलाज वाली सुविधा शुरू करने वाली योजना कब से चालू होती है.
क्या है पूरा मामला: रायपुर सहित छत्तीसगढ़ में आयुष्मान कार्ड से इलाज करने में अस्पताल आनाकानी करने लगे हैं. जो आयुष्मान कार्ड धारक वहां जाते हैं उनका इलाज वहां नहीं करते. इसकी बात को समझने के लिए ईटीवी भारत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश गुप्ता से बात की. राकेश गुप्ता का कहना है कि ''नवंबर के बाद से अस्पतालों का पैसा जो आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज किया गया था उसका भुगतान नहीं हो रहा है. भुगतान नहीं होने की स्थिति में अस्पतालों का प्रबंधन बिगड़ रहा है. ऐसी स्थिति में अस्पताल आगे इस इलाज को कर पाएंगे यह मुश्किल है''. राकेश गुप्ता ने बताया कि ''पूरे राज्य में आयुष्मान के तहत लगभग 800 करोड़ रूपए नवंबर के बाद से बकाया है. बकाया पैसों का भुगतान नहीं हुआ है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बैठक में इस बात का निर्णय लिया गया है कि पैसे के भुगतान के बिना इस योजना को सुचारू ढंग से चला पाना संभव नहीं है. ऐसे में आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं हो रहा है.
जितने राज्य उतने नियम: पूरे देश में आयुष्मान कार्ड की योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा से हुई थी. नियम बनाया गया कि सभी लोगों का इलाज किया जाएगा. लेकिन आयुष्मान कार्ड में एक अलग योजना भी चल रही है कि जितने राज्य हैं उतने नियम हैं. आयुष्मान कार्ड को लेकर के मध्य प्रदेश में जो नियम है वह छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होता. महाराष्ट्र में जो नियम है वह मध्य प्रदेश के लिए माना नहीं जाएगा. उत्तर प्रदेश का नियम उत्तराखंड में लागू नहीं होगा. बिहार का नियम झारखंड में लागू नहीं होगा. इसके पीछे की मूल वजह है केंद्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण का राज्यों के सर्वे के बाद लिया गया निर्णय. जिसमें कुछ बीमारियों का इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही होगा. अगर छत्तीसगढ़ की बात करें 67 ऐसी बीमारियां हैं जिनका इलाज आयुष्मान कार्ड के तहत छत्तीसगढ़ में नहीं किया जाता है. इसके लिए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए लिस्ट जारी कर रखा है. वैसे तो आयुष्मान कार्ड के तहत कुल 4000 बीमारियों का इलाज किया जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार की बीमारियों को इससे बाहर निकाल दिया गया है. सिजेरियन से डिलीवरी, महिलाओं का गर्भाशय निकालना, दांत का इलाज, मोतियाबिंद जैसी बीमारी इसमें से हटा दी गई है. मूल वजह अस्पतालों द्वारा कुछ गड़बड़ी करने की बात कही जा रही है. छत्तीसगढ़ के आम लोग जो इस बीमारी से अस्पताल आते हैं उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. सरकारी अस्पतालों में ज्यादा चक्कर लगाना पड़ता है. निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च उठाने की स्थिति में यह मरीज नहीं होते हैं. यह भी एक बड़ी वजह है अस्पतालों से आयुष्मान कार्ड धारकों को वापस किए जाने का. इस बाबत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया की ''जो नियम केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया है और जिन बीमारियों का इलाज छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं, वैसे मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं किया जा सकता है. क्योंकि इसका भुगतान नियम के तहत नहीं होगा. ऐसे में अगर इस तरह के मरीज वापस जाते हैं तो उन्हें अस्पतालों द्वारा लौटाया जाना नहीं बल्कि नियम के तहत इलाज की पाबंदी कही जा सकती है. हालांकि पैसे केंद्र सरकार द्वारा रोका गया है जिसके कारण कई अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से इलाज बंद है''.
2019 से 2023 तक नही हुआ ऑडिट: आयुष्मान कार्ड से हुए इलाज के पैसे के भुगतान में हो रही दिक्कत को लेकर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि ''सरकार से जो हम लोगों को जानकारी दी गई है. उसमें 2019 से 2023 तक छत्तीसगढ़ राज्य में आयुष्मान कार्ड का ऑडिट ही नहीं हुआ है. जिसके चलते केंद्र से भुगतान मिलने में दिक्कत हुई.'' हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि ''राज्य में नई सरकार बनने के बाद तुरंत इस योजना का ऑडिट कराया गया और उसे केंद्र सरकार को भेजा भी गया है. लोकसभा चुनाव तत्काल होना था तो ऐसे में राज्य सरकार ने अनुपूरक बजट दिया, जिसके चलते पूरा बजट इससे नहीं पास हो पाया. आचार संहिता खत्म होने के बाद सरकार इस पर तेजी से काम करेगी. छोटे अस्पतालों को यही परेशानी है कि उनका बड़ा बकाया नहीं मिला है जिसके चलते अस्पताल के संचालन में दिक्कत आ रही है. अस्पतालों को दवाओं की खरीदी और स्टाफ को पेमेंट देने में दिक्कत हो रही है. छोटे अस्पतालों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. तमाम दिक्कतों के चलते आयुष्मान कार्ड से इलाज में दिक्कत आ रही है.
विपक्ष का आरोपों और वादों में रह गई योजना: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए यह कहा की ''भारतीय जनता पार्टी ने जनता को सिर्फ वादा दिया है. काम नहीं हुए हैं. लोगों के इलाज की जिस व्यवस्था की बात लगातार कही जाती रही है वह इलाज हुआ ही नहीं. आज भी आयुष्मान कार्ड धारकों को लेकर इलाज में दिक्कत आ रही है. इस पर सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है. केंद्र प्रायोजित योजनाएं जो रही हैं उसका कोई फायदा आम जनता को नहीं मिल रहा है. भाजपा सिर्फ वादा करने की राजनीति कर रही है''.
आचार संहिता के हवाले आयुष्मान: आयुष्मान कार्ड से इलाज बंद होने और रायपुर में अस्पतालों द्वारा इलाज नहीं करने को लेकर ईटीवी भारत से खास बात करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने कहा कि ''इस पूरी व्यवस्था पर हम लोगों की नजर है और किसी का इलाज नहीं हो रहा है ऐसा हम नहीं होने देंगे. डबल इंजन की सरकार है छत्तीसगढ़ में सुशासन की व्यवस्था है, ऐसे में गरीबों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी. अभी आचार संहिता लगी हुई है और आचार संहिता खत्म होने के बाद इस पर बैठक करके निर्णय ले लिया जाएगा. जहां तक आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होने की बात है उसको लेकर के भाजपा के नेता विधायक मंत्री कार्यकर्ता सभी लोग लगे हुए हैं. किसी को इलाज में दिक्कत ना हो यह सुनिश्चित किया जा रहा है''.