पटना : बिहार वक्फ बोर्ड के पास अकूत संपत्ति है. वक्फ बोर्ड का संचालन राज्य के अंदर शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड के जरिए होता है. बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बोर्ड के पास 25000 बीघा जमीन है. हालांकि यह आंकड़ा पूर्ण नहीं है, क्योंकि बिहार में जमीन का सर्वेक्षण का कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
नए कानून से पारदर्शिता की उम्मीद : भारत सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 लाया गया है. लोकसभा में पेश करने के बाद सरकार ने इस संसदीय समिति में भेजने का फैसला लिया है. प्रस्ताव के मुताबिक राज्य में वक्फ़ बोर्ड के साथ-साथ एक केंद्रीय वक्फ बोर्ड परिषद की स्थापना करना शामिल है. इन निकाय में मुस्लिम महिलाएं और गैर मुसलमानों को भी प्रतिनिधित्व देने की बात है. सभी राज्य के बोर्ड के साथ-साथ केंद्रीय परिषद में दो महिलाओं को नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है.
वक्फ बोर्ड के पास हजारों बीघा जमीन : बिहार में सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के पास 6480 संपत्ति है. जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास 1672 संपत्ति है. कुल मिलाकर शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 25000 बीघा से अधिक जमीन है. जानकारी के मुताबिक बोर्ड की सैकड़ों एकड़ जमीन अतिक्रमण का शिकार है.
देश में कुल वक्फ बोर्ड के पास 940000 एकड़ जमीन है.
वक्फ बोर्ड के पास अधिकार : आपको बता दें कि आजादी के बाद 1954 में वक्फ़ की संपत्ति और उसके रखरखाव के लिए कानून बनाए गए. कानून के मुताबिक भारत सरकार ने भारत से पाकिस्तान गए मुसलमान की जमीन को वक्फ़ बोर्ड को दे दी थी. बंटवारे के समय में बड़ी संख्या में मुसलमान अपनी संपत्ति छोड़ पाकिस्तान चले गए थे. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी एक कानून लाया गया सन 1995 में कानून में कुछ बदलाव किए गए. पीवी नरसिंह राव सरकार ने कानून में बदलाव करते हुए वक्फ़ बोर्ड को जमीन अधिग्रहण के मामले में असीमित अधिकार दे दिए.
वक्फ एक्ट में संशोधन : इसके बाद 2013 में भी एक्ट में कुछ संशोधन किया गया. 2013 के संशोधन के बाद कांग्रेस सरकार ने मार्च 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ़ बोर्ड को उपहार में दे दिया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2014 में राष्ट्रीय वक्फ बोर्ड विकास निगम लिमिटेड की शुभारंभ की. 2024 में भी केंद्र की सरकार ने कानून लाने की तैयारी कर ली है और इसका प्रारूप भी सामने आ चुका है.
हजारों बीघा जमीन की मिल्कियत : बिहार में दो वक्फ बोर्ड हैं, शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड. राज्य के अंदर ये दोनों कार्यरत हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास जमीन का ज्यादा हिस्सा है और लगभग 20000 बीघा जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास है, तो 5000 बीघा जमीन शिया वक्फ बोर्ड के पास है. बिहार में कुल मिलाकर 3027 वक्फ स्टेट है, जिसमें कि 2700 सुन्नी वक्फ स्टेट है तो 327 सिया वक्फ स्टेट है. वक्फ स्टेट ही सम्पतियों का देख भाल करती है.
वक्फ पर संशोधन को लेकर सियासत : बिहार में नए कानून को लेकर सियासत शुरू हो गई है. राष्ट्रीय जनता दल ने नए कानून को लेकर आपत्ति जाहिर की है. पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि भारत सरकार की मंशा ठीक नहीं है. संविधान के मुताबिक धार्मिक मामलों में छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. भारतीय जनता पार्टी जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है जरूरी है कि जिसकी जमीन है, उसका कब्जा उसे दिलाया जाए और वह अपने तरीके से इस्तेमाल करें.
''वक़्फ़ क़ानून में संशोधन एक सोची समझी साज़िश के साथ भाजपा ला रही थी तथा जदयू-लोजपा इस ध्रुवीकरण के औज़ार में सहभागी रही. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित अनेक मुस्लिम तंज़िमों, दानिशवरों और हमारी पार्टी के मुस्लिम लीडरान से प्राप्त सुझाव एवं विचार विमर्श उपरांत लालू प्रसाद जी और मैंने लोकसभा और राज्य सभा के अपने सांसदों को इस संविधान विरोधी बिल का पुरज़ोर विरोध करने को कहा था. संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में हमारे दल के सदस्य बिंदुवार हर पहलू पर अपना पक्ष मज़बूती से रखेंगे.''- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा
वक़्फ़ क़ानून में संशोधन एक सोची समझी साज़िश के साथ भाजपा ला रही थी तथा जदयू-लोजपा इस ध्रुवीकरण के औज़ार में सहभागी रही।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 8, 2024
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित अनेक मुस्लिम तंज़िमों, दानिशवरों और हमारी पार्टी के मुस्लिम लीडरान से प्राप्त सुझाव एवं विचार विमर्श उपरांत हमारे…
'नया वक्फ कानून देश के लिए जरूरी' : भारतीय जनता पार्टी ने कानून के पक्ष में आवाज बुलंद किया है. पार्टी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा है कि नया कानून देश के लिए जरूरी है और इससे गरीबों का कल्याण होगा. वक्फ़ बोर्ड की जमीन अतिक्रमण से मुक्त होंगी. साथ ही साथ पारदर्शिता भी आएगी. विपक्ष के लोग बिना वजह राजनीति कर रहे हैं.
''नया वक्फ कानून देश के लिए जरूरी है. इससे गरीबों का कल्याण होगा. वक्फ बोर्ड की जमीन पर जो अतिक्रमण है वो मुक्त होगा साथ में पारदर्शिता भी आएगी. ''- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
गुलाम रसूल बलियावी का स्टैंड जुदा : जदयू कोट के अल्पसंख्यक नेता गुलाम रसूल बलियावी ने कहा है कि केंद्र सरकार के कानून पर हमें संदेह है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वक्फ बोर्ड की जो जमीन केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कब्जे में है, उसे मुक्त किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार कोई अभी बताना चाहिए कि क्या मठ और आंगनबाड़ी के लिए भी यह ऐसे संशोधन लाएंगे.
वक्फ संशोधन बिल मुसलमान विरोधी नहीं- JDU : गुलाम रसूल बाल्यावी के बयान पर जदयू ने पल्ला झाड़ लिया है. पार्टी प्रवक्ता निहोरा यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार का बयान ही पार्टी का पक्ष होता है किसी नेता के बोलने का कोई मतलब नहीं होता है, बिल का प्रारूप जब सामने आ जाएगा तब पार्टी अपना रुख तय करेगी. जदयू सांसद ललन सिंह ने संसद में कहा है कि बिल मुसलमानों के विरोध में नहीं है.
वक्फ बोर्ड कानून से बनी हुई संस्था है और कानून से बनी हुई कोई भी संस्था अगर निरंकुश होगी, तो उसमें पारदर्शिता लाने का सरकार को हक है।
— Rajiv Ranjan (Lalan) Singh (@LalanSingh_1) August 8, 2024
इसलिए वक्फ संशोधन विधेयक-2024 को आना चाहिए ताकि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता आए।#JDU #NDA #waqfboard #LokSabha pic.twitter.com/d7TSqEudMT
'सिस्टम को पारदर्शी बनाने से फायदा' : वक्फ बोर्ड मामलों के जानकार के इरशाद अली आजाद का मानना है कि सरकार ने जो कानून लाया है वह जनहित में है. कानून के विरोध का कोई मतलब नहीं है. फिलहाल वक्फ बोर्ड से होने वाले आय को लेकर पारदर्शिता नहीं है इसका लाभ भी निचले पायदान पर रह रहे लोगों को नहीं मिल पाता है. धार्मिक आयोजनों और रखरखाव के लिए भी जो किया जाना चाहिए वह नहीं हो रहा है.
''बोर्ड की 70% से अधिक जमीन अतिक्रमण का शिकार है. केंद्र की सरकार ने जो पहल किया है उससे बेहतरी ही होगी. सबको इसका स्वागत करना चाहिए.''- इरशाद अली आजाद, पूर्व अध्यक्ष , वक्फ़ बोर्ड