लखनऊ: किस्मत किसी को किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दे यह कोई नहीं जानता. हर शख्स की जिंदगी में एक लम्हा ऐसा आता है जो उसे एक नए रास्ते पर ले जाने के लिए मजबूर कर देता है. ऐसा ही एक लम्हा पूर्व दस्यु सीमा परिहार की जिंदगी में भी आया था. तब वह महज 13 साल की थी. उस घटना ने ही उसे बंदूक उठाने पर मजबूर कर दिया.
सीमा परिहार 13 साल की उम्र में पहुंच गई थी चंबल के बीहड़: सीमा परिहार उत्तर प्रदेश के ओरैया जिले के अयाना थाना क्षेत्र के बबाइन गांव की रहने वाली हैं. सीमा चार बहनों, दो भाइयों और माता-पिता के साथ गांव में रहती थी. उस समय चंबल के डाकुओं का काफी कहर हुआ करता था. सीमा के गांव में भी था. एक रात सीमा के गांव में डाकू आए और खूब तांडव मचाया. इसके बाद डाकू सीमा का अपहरण करके ले गए. उस समय सीमा की उम्र महज 13 साल थी. ये बात सन 1993-94 की होगी.
कैसे शुरू हुई सीमा के डाकू बनने की कहानी: दुर्दांत डाकू लालाराम 13 साल की बच्ची सीमा को उठाकर अपने साथ चंबल के बीहड़ में ले गया था. यहीं से सीमा परिहार के डाकू बनने की कहानी शुरू हुई. पहले तो सीमा ने चंबल के बीहड़ से निकलने की काफी कोशिश की लेकिन, डाकू लालाराम और उसके साथियों के पहरे को तोड़ न पाई. इसके बाद सीमा ने डाकुओं के साथ रहते हुए खुद को भी उन जैसा बना लिया और अपराध की दुनिया में कूद गई.
सीमा परिहार ने कब उठाई थी पहली बार बंदूक: सीमा ने 16 साल की उम्र में ही बंदूक उठा ली थी. लूट, डकैती और कत्लेआम शुरू कर दिया था. डाकू लालाराम के गिरोह में ही सीमा की मुलाकात निर्भय गुर्जर से हुई. जिससे उसने शादी भी की. लेकिन, उसका ये संबंध ज्यादा दिन तक नहीं चला और उसने निर्भय से रिश्ता तोड़ लिया.
जिसने किया था कन्यादान, उसी से बाद में सीमा परिहार ने की शादी: निर्भय से रिश्ता तोड़ने के बाद 1998 में सीमा ने उस शख्स से ही शादी कर दी जिसने उसका कन्यादान किया था. दरअसल, निर्भय से जब सीमा की शादी हुई थी तब डाकू लालाराम ने उसका कन्यादान किया था. निर्भय को छोड़कर डाकू लालाराम से शादी कर ली थी. उससे उसको 1999 में एक बेटा भी हुआ. लेकिन, जब वह 10 माह का था तब लालाराम पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. इसके बाद सीमा अकेली पड़ गई.
बेटे के मोह में सीमा ने छोड़ी अपराध की दुनिया: सन 2000 में लालाराम की मौत के बाद से पुलिस सीमा परिहार के पीछे पड़ गई. इसको देखते हुए सीमा को अपने बेटे के भविष्य की चिंता सताने लगी. बेटे का भविष्य सुधारने के लिए सीमा ने अपराध की दुनिया को छोड़ने का मन बना लिया. इसके बाद ही सरकार के सामने दो शर्तें रखते हुए सीमा ने सरेंडर कर दिया. सीमा को तीन साल जेल में रहना पड़ा.
समाजवादी पार्टी के साथ राजनीति में रखा कदम: जेल से छूटने के बाद बेटे की खातिर सीमा ने फिर से चंबल की तरफ रुख करने की कोशिश नहीं की. उसने राजनीति की ओर रुख कर लिया. राजनीति में जाने से पहले सीमा को 2010 में बिग बॉस-4 में जाने का मौका मिला. इसमें 76 एपिसोड तक सीमा रहीं और अपनी पूरी धाक जमाई. इसके बाद बिग बॉस से आउट हो गईं. बिग बॉस से निकल कर सीमा ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और सोशल वर्क शुरू कर दिया. साल 2011 में सीमा को राष्ट्रीय अपराध उन्मूलन समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया.