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मनखे मनखे एक समान की विचारधारा को पूजता है सतनामी समाज, जानिए इस समाज का जैतखाम से क्या है नाता ? - Know Satnami community

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 11, 2024, 4:22 PM IST

छत्तीसगढ़ का सतनामी समाज सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने वाला समाज है. गुरु घासीदास के बताए मार्ग और उनके दिए संदेश मनखे मनखे एक समान की विचारधआरा को यह समाज पूजता है. जानिए जैतखाम क्या होता है और सतनामी समाज में जैतखाम का क्या महत्व है.

KNOW SATNAMI COMMUNITY
छत्तीसगढ़ का सतनामी समाज (ETV BHARAT)

छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज के बारे में जानिए (ETV BHARAT)

जांजगीर चांपा: सतनामी समाज छत्तीसगढ़ का ऐसा समाज है जो सत्य और अहिंसा की राह पर चलता है. इस समाज ने हमेशा देश में छुआ छूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी. गुरु घासीदास के बताए विचारों और राह पर चलने वाले इस समाज ने हमेशा से मनखे मनखे एक समान के संदेश को आगे बढ़ाया.

सतनामी समाज के इतिहास को जानिए: सतनामी समाज का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है. जब देश में छुआ छूत और ऊंच नीच की भावना चरम पर थी. उस दौरान गुरु घासीदास ने मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया. संत गुरु घासी दास ने एक ऐसे समाज की रचना की जिसने सदा समतामूलक विचारों को प्राथमिकता दी है. गुरु घासीदास जी के मनखे मनखे एक समान के संदेश को सतनामी समाज ने स्वीकार किया. इस संदेश का अर्थ होता है कि कोई भी मनुष्य बड़ा या छोटा नहीं होता और सभी मनुष्य एक समान है. ईश्वर ने जब इस संसार की रचना की तो उन्होंने सभी मनुष्यों को एक समान बनाया है. इसलिए जन्म, वर्ग, और वर्ण के आधार पर किसी के साथ कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए. गुरु घासीदास ने जातिविहीन समाज की स्थापना पर बल दिया. गुरु घासी दास ने किसी मूर्ति को पूजने के बजाय निर्गुण निराधार प्रभु का स्मरण करने का संदेश दिया.

सादा जीवन उच्च विचार: सतनामी समाज ने सदा ही सादा जीवन और उच्च विचार को प्राथमिकता दी. यह समाज सदा अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ता है. इनका पहनावा सफेद होता है. यह समाज खेती किसानी करता है और खेती किसानी को अपना जीवन समर्पित करता है. राजनीति में भी सतनामी समाज के लोग छत्तीसगढ़ में आगे रहे हैं. इस समाज के लोग जैतखंभ को ईश्वर के रूप में पूजते हैं. यह समाज ईश्वर को सत्य और सत्य को ईश्वर मानता है.

जैतखाम क्या होता है: सतनामी समाज में जैतखाम सबसे पवित्र और पूजनीय ध्वज वाला स्तंभ होता है. जैतखाम छत्तीसगढ़ी बोली का शब्द है. जैत का अर्थ जय यानि की विजय और स्तंभ का मतलब खंभा होता है. यह सतनामी समुदाय के लोग गांव और मोहल्ले में प्रमुख स्थल और चबूतरे के पास लगाते हैं. इसमें सफेद रंग का ध्वज लगा होता है. जिसकी सतनामी समाज पूजा करता है. छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी में सबसे बड़ा जैतखाम है हो करीब 77 मीटर ऊंचा है.

गुरु घासीदास और मिनी माता को पूजता है सतनामी समुदाय: सतनामी समाज अपने अराध्य गुरु घासीदास बाबा और मिनी माता को पूजता है. मिनी माता छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद रही हैं. उन्होंने साल 1955 में चुनाव जीता था. छत्तीसगढ़ की राजनीति में सतनामी समाज का काफी दखल रहा है.

सतनामी समाज के प्रमुख ने की शांति की अपील: बलौदाबाजार की घटना के बाद से सतनामी समाज के प्रमुख लखन कुर्रे ने समाज के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने लोगों से किसी के बहकावे में नहीं आने की बात कही है.

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छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज के बारे में जानिए (ETV BHARAT)

जांजगीर चांपा: सतनामी समाज छत्तीसगढ़ का ऐसा समाज है जो सत्य और अहिंसा की राह पर चलता है. इस समाज ने हमेशा देश में छुआ छूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी. गुरु घासीदास के बताए विचारों और राह पर चलने वाले इस समाज ने हमेशा से मनखे मनखे एक समान के संदेश को आगे बढ़ाया.

सतनामी समाज के इतिहास को जानिए: सतनामी समाज का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है. जब देश में छुआ छूत और ऊंच नीच की भावना चरम पर थी. उस दौरान गुरु घासीदास ने मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया. संत गुरु घासी दास ने एक ऐसे समाज की रचना की जिसने सदा समतामूलक विचारों को प्राथमिकता दी है. गुरु घासीदास जी के मनखे मनखे एक समान के संदेश को सतनामी समाज ने स्वीकार किया. इस संदेश का अर्थ होता है कि कोई भी मनुष्य बड़ा या छोटा नहीं होता और सभी मनुष्य एक समान है. ईश्वर ने जब इस संसार की रचना की तो उन्होंने सभी मनुष्यों को एक समान बनाया है. इसलिए जन्म, वर्ग, और वर्ण के आधार पर किसी के साथ कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए. गुरु घासीदास ने जातिविहीन समाज की स्थापना पर बल दिया. गुरु घासी दास ने किसी मूर्ति को पूजने के बजाय निर्गुण निराधार प्रभु का स्मरण करने का संदेश दिया.

सादा जीवन उच्च विचार: सतनामी समाज ने सदा ही सादा जीवन और उच्च विचार को प्राथमिकता दी. यह समाज सदा अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ता है. इनका पहनावा सफेद होता है. यह समाज खेती किसानी करता है और खेती किसानी को अपना जीवन समर्पित करता है. राजनीति में भी सतनामी समाज के लोग छत्तीसगढ़ में आगे रहे हैं. इस समाज के लोग जैतखंभ को ईश्वर के रूप में पूजते हैं. यह समाज ईश्वर को सत्य और सत्य को ईश्वर मानता है.

जैतखाम क्या होता है: सतनामी समाज में जैतखाम सबसे पवित्र और पूजनीय ध्वज वाला स्तंभ होता है. जैतखाम छत्तीसगढ़ी बोली का शब्द है. जैत का अर्थ जय यानि की विजय और स्तंभ का मतलब खंभा होता है. यह सतनामी समुदाय के लोग गांव और मोहल्ले में प्रमुख स्थल और चबूतरे के पास लगाते हैं. इसमें सफेद रंग का ध्वज लगा होता है. जिसकी सतनामी समाज पूजा करता है. छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी में सबसे बड़ा जैतखाम है हो करीब 77 मीटर ऊंचा है.

गुरु घासीदास और मिनी माता को पूजता है सतनामी समुदाय: सतनामी समाज अपने अराध्य गुरु घासीदास बाबा और मिनी माता को पूजता है. मिनी माता छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद रही हैं. उन्होंने साल 1955 में चुनाव जीता था. छत्तीसगढ़ की राजनीति में सतनामी समाज का काफी दखल रहा है.

सतनामी समाज के प्रमुख ने की शांति की अपील: बलौदाबाजार की घटना के बाद से सतनामी समाज के प्रमुख लखन कुर्रे ने समाज के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने लोगों से किसी के बहकावे में नहीं आने की बात कही है.

सतनामी समाज के सम्मेलन में शामिल हुए सीएम विष्णुदेव साय, आयोजन को लेकर कह दी बड़ी बात

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