मुंबई: 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से देश और राज्य में कई घोषणाएं की गई हैं. इनमें केंद्र सरकार ने मुंबई में अरब सागर के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज का भव्य और दिव्य स्मारक बनाने की घोषणा की थी. 24 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी मैदान पर भव्य और दिव्य कार्यक्रम के साथ शिवस्मारक का जल पूजन मनाया था. लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक के आगे क्या हुआ? यह संशोधन का विषय है. अभी तक एक भी ईंट आगे नहीं बढ़ी है. इस स्मारक का काम 7 साल से रुका हुआ है. तो शिवस्मारक का क्या हुआ? जहां जल पूजन किया गया. स्वराज्य पक्ष प्रमुख छत्रपति संभाजीराजे अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ आज वहां निरीक्षण करेंगे.
भारी पुलिस बंदोबस्त: इस बीच, छत्रपति संभाजी राजे आज सुबह शिव स्मारक का निरीक्षण करने के लिए पुणे से मुंबई के लिए रवाना हुए. मोबाइल फोन नंबर उत्तर पुस्तिका इस बार सैकड़ों कार्यकर्ता उनके साथ हैं. लेकिन संभाजी राजे और कार्यकर्ता वहां जाकर सांकेतिक आंदोलन करने वाले हैं. इस पृष्ठभूमि में, पुलिस ने भारी पुलिस बल तैनात कर रखा है.
स्वराज्य पार्टी के महासचिव धनंजय जाधव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार ने हमारे आंदोलन पर ध्यान दिया है. स्वराज्य पार्टी ने अरब सागर में जाने के लिए आधिकारिक तौर पर वाणिज्यिक नावें बुक की हैं. लेकिन पुलिस प्रशासन की ओर से इनके मालिकों को कारोबार बंद रखने को कहे जाने के आरोप लगाये जा रहे हैं. स्वराज्य पार्टी के सरचिटनिस धनंजय जाधव ने आरोप लगाया है कि सरकार पुलिस से हाथ मिलाकर एक तरह की गुंडागर्दी कर रही है. इस बीच, स्वराज्य पक्ष के प्रमुख छत्रपति संभाजी राजे और उनके कार्यकर्ता मुंबई के लिए रवाना हो गए.
सात साल से लटका है काम: केंद्र सरकार ने अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज की 212 मीटर ऊंची घुड़सवारी प्रतिमा के निर्माण की घोषणा की है. इस स्मारक में तुलजाभवानी देवी का मंदिर भी शामिल है. केंद्र और राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी ने किया शिवस्मर्क का ऐलान. स्वराज्य पार्टी के नेता संभाजी राजे छत्रपति ने टिप्पणी की कि वे स्मारक भूल गए हैं. अरब सागर में महाराज की 212 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में जल पूजन का कार्यक्रम लिया था. इसके लिए आवश्यक विभिन्न अनुमतियों और कार्यों के लिए एलएंडटी कंपनी को 3 हजार 643 करोड़ रुपये दिए गए हैं. 2018 में, ठेकेदार कंपनी ने एक समुद्री सर्वेक्षण किया. जमीनी स्तर के 50 बोरों में से 26 बोर पूरे हो चुके हैं और सरकार ने इसकी निगरानी के लिए 3 प्रशासनिक समितियां नियुक्त की हैं.
स्मारक के पहले चरण में 7.1 हेक्टेयर क्षेत्र में महाराजा का स्मारक बनाया जाएगा. इन स्मारकों में छत्रपति शिवाजी महाराज की अश्वारुढ़ प्रतिमा, प्रवासी जेट्टी, संग्रहालय हेलीपैड और तुलजाभवानी मंदिर अस्पताल आदि शामिल होंगे. लेकिन 'द कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट' की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिवस्मारक पर काम रोकने का आदेश दिया था. इसके बाद स्मारक का काम आगे नहीं बढ़ पाया. हालांकि, कोर्ट, दफ्तर और कंसल्टेंट के नाम पर अबतक 35 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है.