श्रीनगर: अगर मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो सफलता मिलनी तय है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीकोट गढ़सारी गांव के छोटे से छात्र किशन ने. किशन एक गरीब परिवार से सबंध रखते हैं. उनके पिता मनोज कुमार मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं. माता लक्ष्मी देवी गृहणी हैं. किशन इंटर कॉलेज ढामकेश्वर खिर्सू में कक्षा आठ का छात्र है. किशन का सपना है कि वो बड़ा होकर वैज्ञानिक बने.
गांव में मां को खेतों में काम करते देख आया ये आइडिया: किशन बताते हैं कि वह मां को खेत में गेहूं काटने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए देखते थे. जिससे उनके दिमाग में एक आइडिया आया और उन्होंने एक मशीन ही बना डाली. इस मशीन से गांव में महिलाओं के लिए खेतों में काम करना आसान हो गया. किशन चंद्र बताते हैं कि इसमें कटर मशीन के साथ अन्य उपकरण भी इंस्टाल किये जिससे कि गेहूं की बालियों को अलग और घास को अलग रूप में काटा जा सकता है. साथ ही खेत में काम करते वक्त गर्मी परेशान न करे, इसके लिए इसमें छाता भी माउंट किया गया है. किशन बताते हैं कि उनके उपकरण को तैयार करने में शिक्षक आशीष रावत का विशेष योगदान रहा.
जापान में करेंगे प्रतिभाग: किशन की मदद करने वाले उनके गुरु आशीष रावत बताते हैं कि 2023 में इंस्पायर अवॉर्ड प्रतियोगिता में किशन के प्रोजेक्ट को जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक स्थान मिला. इसके बाद राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में भी उनके मॉडल ह्वीट एंड ग्रास कटर मशीन को चयनित किया गया. अब मई 2024 में जापान में प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया जाएगा. इससे प्रदेश के साथ साथ देश का भी नाम रोशन होगा. उन्होंने बताया कि ये किशन की मेहनत ही है कि उसे जापान जाने का मौका मिल रहा है और वो जापान जाकर अपनी वैज्ञानिक सोच को और भी बड़ा बना पाएगा.
पेटेंट मिला तो कृषकों को होगा लाभ: शिक्षक आशीष रावत बताते हैं कि उनका छात्र जापान जा रहा है, यह उनके लिए बेहद खुशी का पल है. आशीष ने बताया कि इस मशीन को बनाने में काफी मेहनत लगी. एक साल में पांच से छह बार प्रोजेक्ट को मॉडिफाई किया गया. उन्होंने बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. अगर यह उपकरण पेटेंट होता है, तो इसका फायदा किसानों को मिल जायेगा. साथ ही यह हाथ से चलने वाली मशीन है तो इसका खर्च भी अधिक नहीं है.
उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में उपकरण तैयार करने में काफी खर्च आया. लेकिन अब यह बाजार में 4 से 5 हजार में उपलब्ध हो सकता है. बाजार में मिलने वाले ऑटोमेटिक उपकरण अब भी 60 हज़ार तक के आते हैं. इसलिए उनका उपकरण हर व्यक्ति की पहुंच तक होगा.
किशन की उपलब्धि पर हर कोई गदगद: श्रीनगर के रहने वाले शिक्षक महेश गिरि का कहना है कि किशन की इस उपलब्धि पर पूरा जिला गौरव से भर गया है. बच्चे किशन से प्रेरित होंगे और अपनी वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि आज बच्चों के पास संसाधन हैं, लेकिन किशन ने कम संसाधनों के बीच पढ़ लिख कर ये मुकाम हासिल किया है.
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