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NEET-NET परीक्षा गड़बड़ी: जानें क्या है नया एंटी पेपर लीक कानून और कितने साल की सजा का है प्रावधान? - Anti Paper Leak Law

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 20, 2024, 3:33 PM IST

Anti Paper Leak Law: NEET पर पहले से चल रहा बवाल के बीच अब NET-UGC 2024 परीक्षा भी रद्द हो गई. इस बीच शिक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है.

anti paper leak law
क्या है नया एंटी पेपर लीक कानून (ANI)

नई दिल्ली: मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के दौरान कथित अनियमितताओं को लेकर चल रहे विवाद के बीच शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार 19 जून को UGC-NET 2024 को रद्द करने का आदेश दिया है. मंत्रालय का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि परीक्षा की इंटेग्रिटी से समझौता किया गया है. साथ ही मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी गई है.

शिक्षा मंत्रालय ने पटना में NEET-UG 2024 के आयोजन में कथित अनियमितताओं के संबंध में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई से भी रिपोर्ट मांगी है. मंत्रालय ने आगे कहा है कि रिपोर्ट के आधार पर मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.

एंटी पेपर लीक कानून
उल्लेखनीय है कि कथित परीक्षा अनियमितताओं की रिपोर्टें राज्य सभा और लोकसभा द्वारा सरकारी भर्ती परीक्षाओं में धोखाधड़ी और परीक्षा पत्र लीक होने से रोकने के लिए 'एंटी पेपर लीक' बिल पारित किए जाने के कुछ महीने बाद आई हैं. इस साल फरवरी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक को मंजूरी दी थी, जो अब कानून बन गया है.

परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए बिल लाई थी सरकार
बता दें कि सरकार UPSC, SSC आदि भर्ती परीक्षाओं और NEET, JEE, और CUET जैसी प्रवेश परीक्षाओं में लीक और मालप्रैक्टिस को रोकने के लिए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 लेकर आई थी.

कानून के तहत क्या है दंड का प्रस्ताव
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 के तहत तीन से पांच साल की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.अगर कोई शख्स या ग्रुप इस तरह का संगठित अपराध करते हैं, जिसमें एग्जामिनेशन ऑथोरिटी, सर्विस प्रोवाइडर या कोई अन्य संस्थान शामिल है, तो उन्हें न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ पांच से 10 साल के कारावास की सजा दी जा सकती है.

अपराध में शामिल संस्था का संपत्ति जब्त
इसके अलावा कानून एजेंसियों को संगठित अपराध में शामिल संस्थाओं की संपत्ति जब्त करने और जांच की लागत की वसूली करने का अधिकार भी देता है. कानून में यह भी कहा गया है कि पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर का अधिकारी अधिनियम के तहत किसी भी शिकायत की जांच कर सकता है.

कानून की जरूरत क्यों पड़ी
जिस समय ये बिल पेश किया गया था, उस समय तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि पिछले कुछ सालों में क्वेश्चन पेपर के लीक होने और परीक्षाएं रद्द होने से लाखों छात्रों के हितों पर असर पड़ा है. अगर इन अनुचित व्यवहारों को प्रभावी ढंग से नहीं रोका गया तो ये देश के लाखों महत्वाकांक्षी युवाओं के भविष्य और करियर को खतरे में डालते रहेंगे.

यह भी पढ़ें- किस तरह आयोजित की जाती है UGC-NET परीक्षा ? क्या है NTA की भूमिका? जानें सबकुछ

नई दिल्ली: मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के दौरान कथित अनियमितताओं को लेकर चल रहे विवाद के बीच शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार 19 जून को UGC-NET 2024 को रद्द करने का आदेश दिया है. मंत्रालय का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि परीक्षा की इंटेग्रिटी से समझौता किया गया है. साथ ही मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी गई है.

शिक्षा मंत्रालय ने पटना में NEET-UG 2024 के आयोजन में कथित अनियमितताओं के संबंध में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई से भी रिपोर्ट मांगी है. मंत्रालय ने आगे कहा है कि रिपोर्ट के आधार पर मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.

एंटी पेपर लीक कानून
उल्लेखनीय है कि कथित परीक्षा अनियमितताओं की रिपोर्टें राज्य सभा और लोकसभा द्वारा सरकारी भर्ती परीक्षाओं में धोखाधड़ी और परीक्षा पत्र लीक होने से रोकने के लिए 'एंटी पेपर लीक' बिल पारित किए जाने के कुछ महीने बाद आई हैं. इस साल फरवरी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक को मंजूरी दी थी, जो अब कानून बन गया है.

परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए बिल लाई थी सरकार
बता दें कि सरकार UPSC, SSC आदि भर्ती परीक्षाओं और NEET, JEE, और CUET जैसी प्रवेश परीक्षाओं में लीक और मालप्रैक्टिस को रोकने के लिए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 लेकर आई थी.

कानून के तहत क्या है दंड का प्रस्ताव
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 के तहत तीन से पांच साल की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.अगर कोई शख्स या ग्रुप इस तरह का संगठित अपराध करते हैं, जिसमें एग्जामिनेशन ऑथोरिटी, सर्विस प्रोवाइडर या कोई अन्य संस्थान शामिल है, तो उन्हें न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ पांच से 10 साल के कारावास की सजा दी जा सकती है.

अपराध में शामिल संस्था का संपत्ति जब्त
इसके अलावा कानून एजेंसियों को संगठित अपराध में शामिल संस्थाओं की संपत्ति जब्त करने और जांच की लागत की वसूली करने का अधिकार भी देता है. कानून में यह भी कहा गया है कि पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर का अधिकारी अधिनियम के तहत किसी भी शिकायत की जांच कर सकता है.

कानून की जरूरत क्यों पड़ी
जिस समय ये बिल पेश किया गया था, उस समय तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि पिछले कुछ सालों में क्वेश्चन पेपर के लीक होने और परीक्षाएं रद्द होने से लाखों छात्रों के हितों पर असर पड़ा है. अगर इन अनुचित व्यवहारों को प्रभावी ढंग से नहीं रोका गया तो ये देश के लाखों महत्वाकांक्षी युवाओं के भविष्य और करियर को खतरे में डालते रहेंगे.

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