कोटा. जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स का लक्ष्य टॉप आईआईटी में प्रवेश लेना होता है तो मेडिकल एंट्रेंस नीट यूजी की तैयारी करने वाले कैंडिडेट अच्छे मेडिकल कॉलेज में दाखिला चाहते हैं, लेकिन कुछ स्टूडेंट ऐसा भी होते हैं जो एक साथ इन दोनों ही परीक्षाओं को देते हैं. इन दोनों परीक्षाओं में जिसमें भी अच्छी रैंक आती है, उधर की तरफ से मूव कर जाते हैं. इसमें कुछ इंजीनियरिंग तो कुछ मेडिकल कॉलेज में प्रवेश ले लेते हैं. ऐसा ही एक कैंडिडेट इस बार भी जेईई एडवांस्ड और नीट यूजी में बैठा था. दोनों में टॉपर रहने से उसे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) से बीटेक और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से एमबीबीएस करने का मौका मिला था, लेकिन उसने इसे ठुकरा दिया. अंतत: उसने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस रिसर्च (IISC) बैंगलोर में एडमिशन ले लिया है.
स्टूडेंट मूल रूप से पश्चिम बंगाल के आलिपुरद्वार का रहने वाला है और उसका नाम अविक दास है. अविक ने कोटा की कोचिंग संस्थान एलन डिजिटल के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई की थी. अविक ने बताया कि फिजिक्स के प्रति उसका लगाव उसके दादा से प्रेरित होकर हुआ. उसके दादा गणित के शिक्षक और उसके पहले गुरु हैं. इस सफलता के बाद अब वो आईआईएससी बैंगलोर में एस्ट्रोफिजिक्स में एडमिशन लिया है, क्योंकि ये रिसर्च के लिए उत्कृष्ट सुविधाएं है. उसने कहा कि वो एस्ट्रोफिजिसिस्ट बनना चाहता है. उसका काफी समय से यह सपना था, इसलिए उसने जेईई एडवांस्ड और नीट क्रैक करने के बाद भी या फील्ड चुना. उसके पिता प्रबीर कुमार दास सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और मां श्यामली गृहणी हैं.
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जेईई एडवांस्ड में 69 AIR और नीट यूजी में 705 नंबर : ऑनलाइन कोचिंग में उसके मेंटर रहे गौरव शर्मा का कहना है कि अविक दास ने प्रथम प्रयास में ही ऑनलाइन पढ़कर कठिनतम इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस्ड में 360 में से 307 स्कोर किया है. उसके अखिल भारतीय रैंक (AIR) 69 हासिल की. यही नहीं उसने देश के सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी में 720 में से 705 स्कोर किया है. इसके साथ ही उसकी AIR भी 200 से कम रही है. अविक दास ने पश्चिम बंगाल राज्य बोर्ड में 99.2 प्रतिशत स्कोर के साथ टॉप किया था. पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डब्ल्यूबी-जेईई) में अविक सातवें स्थान पर रहा. इसके अलावा जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड मेंबर गुवाहाटी जोन का टॉपर बना है.
अपने बनाए शेड्यूल को करता था फॉलो : अविक की उम्र 17 साल है. उसने सफलता के लिए ऑनलाइन कोचिंग को श्रेय दिया है. ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान कोई भी क्वेरीज होने पर उसे कुछ ही घंटे में सॉल्यूशन फैकल्टी के जरिए मिल जाता था. पढ़ाई का कंटेंट भी काफी इजी तरीके से उसे उपलब्ध हो रहा था और पढ़ने में भी मजा आता था. उसका पूरा फोकस ऑनलाइन स्टडी के दौरान मिलने वाले कंटेंट को पढ़ना और रिवीजन करना था. वह अपने ऑनलाइन कोचिंग के बाद घंटे रिवीजन और सेल्फ स्टडी भी करता था. पूरे दिन का शेड्यूल बना हुआ था और उसे ही पूरा फॉलो किया जाता था.
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परिवार नहीं छोड़ना चाहता था इसलिए लिया ऑनलाइन एडमिशन : अविक ने कहा- ''मैंने इन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन तैयारी इसलिए की, क्योंकि मैं अपने परिवार के करीब रहना चाहता था. पढ़ाई के दौरान इनके साथ रहना चाहता था. मेरे फैकल्टी, मेंटर्स के मार्गदर्शन और कोचिंग की एप की प्रेक्टिस ने मुझे यह उपलब्धि हासिल करने में मदद की. पढ़ाई के दौरान काफी शीर्ष स्तर की फैकल्टी ने हाई क्वालिटी कंटेट और व्यक्तिगत मार्गदर्शन भी दिया है.'' अविकदास का मानना है कि अगर पहले से तय कर लिया जाए और उसके लिए पूरी मेहनत की जाए तो सफलता को हासिल किया जा सकता है.
पिता ने कही ये बात : अविक के पिता प्रबीर कुमार दास ने कहा कि पहले वो मैथमेटिक्स और बायोलॉजी दोनों लेने पर अविक को रोक रहे थे. उनका मानना था कि एक साथ दोनों सब्जेक्ट का बोझ आ जाएगा. यहां तक दो नाव की सवारी भी घातक हो सकती थी, लेकिन शुरुआत में ही परफॉर्मेंस काफी अच्छी रही. इसके बाद उन्हें विश्वास हो गया कि उनका बेटा कमजोर नहीं रहेगा. उनका यह भी मानना है कि पूरी लगन और मेहनत उसने पढ़ाई के दौरान की है, तभी जेईई एडवांस्ड और नीट यूजी में एक साथ सफलता पाई है.
एनसीईआरटी पर फोकस, डाउट सेम डे क्लियर : अविक का कहना है कि उसने एनसीईआरटी के पूरे सिलेबस पर फोकस किया. कोचिंग का कंटेंट भी कुछ इस तरह का ही था. ऐसे में यह सोने पर सुहागा जैसा रहा. मैंने बायोलॉजी और केमिस्ट्री के लिए मेहनत लगातार की. इसके अलावा बीते सालों के एग्जाम पेपर्स को मैं टाइम मिलने पर सॉल्व करता रहता था. किसी भी तरह का कोई डाउट होने पर तुरंत फैकल्टी से उसे क्लियर करता था. कोचिंग के होने वाले टेस्ट के पेपर सॉल्व करने के दौरान होने वाली गलतियां को दूर करने का भी मेरा पूरा फोकस रहा. मैं हर सब्जेक्ट पर बराबर टाइम देकर फोकस कर रहा था. फिजिक्स और मैथमेटिक्स में न्यूमेरिकल से जुड़े चैप्टर पर मैंने अच्छे से मेहनत की.
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सोशल मीडिया से बनाई दूरी : अविक ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा था, लेकिन इसके बावजूद भी सोशल मीडिया से वो दूर रहा. उसका कहना है कि सोशल मीडिया पर एक बार आने के बाद लोगों को इसका लत लग जाता है. इससे पढ़ाई प्रभावित होती है. इसीलिए उसने सोशल मीडिया से दूरी बनाई. अविक रोजाना सुबह 7 बजे उठते थे और देर रात 12 बजे तक पढ़ाई करते थे. पढ़ाई के बीच वो कुछ समय ब्रेक लेकर ब्रेकफास्ट, लंच व डिनर करते थे. इसके अलावा दूसरी एक्टिविटी भी इसी बीच किया करते थे. उनकी मां श्यामली दास पढ़ाई के दौरान उनका शेड्यूल मैंटेन करने में मदद करती थी.
क्या होता है एस्ट्रोफिजिसिस्ट : एस्ट्रोफिजिसिस्ट यानी भौतिक विज्ञानी है. यह अंतरिक्ष की खगोलीय घटनाओं का विश्लेषण करते हैं. खगोल भौतिकीविद तारों और ग्रहों के पैमाने पर ब्रह्मांड की कार्य प्रणाली पर शोध करते हैं, जिसमें वे दूरबीन से ग्रहण को देखना उनकी स्थिति के बारे में डाटा संग्रहित करते हैं. साथ ही उपग्रह और अंतरिक्ष के संबंध में भी पूरी जानकारी रखते हैं, जिसमें उपग्रह और अंतरिक्ष के सभी ग्रहों की क्या स्थिति चल रही है, उनका पूरा एनालिसिस करते हैं.