भुवनेश्वर: हाल ही में संपन्न हुए ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल (BJD) को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. पार्टी की हार का मुख्य कारण वी के पांडियन को बताया जा रहा है. इस बीच खबर है कि मंगलवार को सामने आए चुनावों के नतीजों के बाद पांडियन गायब हो गए हैं.
वर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ हमेशा मौजूद रहने वाले पांडियन ने बुधवार को खुद को सार्वजनिक रूप से दूर कर लिया है. चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद पांडियन को न तो राजभवन जाते देखा गया और न ही नवीन पटनायक के इस्तीफ देने के समय वे नवीन निवास में थे.
दो दशक रहा बीजेडी का दबदबा
एक विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'पांडियन पार्टी की बैठक में मौजूद नहीं थे. नवीन बाबू ने हमसे चर्चा की और हमें राज्य के लोगों के लिए काम करते रहने के लिए कहा.' ओडिशा में हार के कारणों की तलाश कर रही बीजेडी का राज्य में दो दशकों से भी अधिक समय दबदबा रहा.
नवीन पटनायक का इस्तीफा
चुनाव में मिली हार के बाद नवीन पटनायक ने बुधवार को राज्यपाल रघुबर दास को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे मुख्यमंत्री के रूप में उनके 24 साल के बेमिसाल कार्यकाल का अंत हो गया. फिलहाल पार्टी चुनावी हार के कारणों का पता लगाने के लिए आत्मनिरीक्षण कर रही है.
कहां हुई बीजेडी से चूक
राजनीतिक पंडितों ने बीजेडी के पतन के लिए उम्मीदवारों के चयन में बड़ी चूक, निर्णय लेने की प्रक्रिया में पार्टी के दिग्गजों को शामिल न करने और वी के पांडियन पर अत्यधिक निर्भरता को बीजेडी की विफलता के लिए मुख्य कारण बताया.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेडी एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही और विधानसभा की 147 सीटों में से वह केवल 51 सीटें ही जीत पाई. चुनाव से पहले पांडियन ने दावा किया था पार्टी ओडिशा में 115 से अधिक विधानसभा सीटें और लोकसभा की 15 सीटें जीतेगी.
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