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जो लोग व्यक्तिगत हित और सियासी स्वार्थ को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखते हैं, उन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए : उपराष्ट्रपति - Dhankhar Big Statement - DHANKHAR BIG STATEMENT

Dhankhar Big Statement, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रविवार को जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में देहदानी परिवार सम्मान व आभार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जो व्यक्तिगत हित और सियासी स्वार्थ को राष्ट्रहित से ऊपर रखते हैं, उन्हें किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अच्छे और बड़े पद पर रहने वाले कुछ लोग ऐसा दिखाते हैं कि देश में कुछ भी हो सकता है. हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम किसी भी हाल में राष्ट्रीयता को तिलांजलि नहीं देंगे.

Dhankhar Big Statement
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 18, 2024, 3:23 PM IST

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : कुछ लोग व्यक्तिगत हित और सियासी स्वार्थ को राष्ट्रीय हित से ऊपर रख रहे हैं और जिन लोगों ने अच्छे और बड़े पद ग्रहण किए हैं, वो ऐसी विचारधारा रखते हैं जैसे कि इस देश में कुछ भी हो सकता है. उन्हें समझाना चाहिए और अगर फिर भी वो नहीं मानते तो उन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. यह कहना है देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का. रविवार को जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में देहदानी परिवार सम्मान व आभार समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कही. इस दौरान उन्होंने अंगदान को समाज हित में बताते हुए इस कार्य से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से 100 लोगों को जोड़ने की अपील भी की.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजनीतिक मतांतर प्रजातंत्र की खूबी है. अलग-अलग विचार प्रजातंत्र के गुलदस्ते की महक है, लेकिन ये तब तक ही है जब तक राष्ट्रहित को तिलांजलि नहीं दी जाए. राष्ट्रहित को सर्वोपरि नहीं रखेंगे तो राजनीतिक मतांतर राष्ट्र विरोधी बन जाता है. देखने में अक्सर आता है कि कुछ लोग व्यक्तिगत हित और राजनीतिक स्वार्थ को राष्ट्रीय हित से ऊपर रख रहे हैं और जिन लोगों ने अच्छे पद ग्रहण किए हैं, बड़े पद ग्रहण किए हैं, वो ऐसी विचारधारा पेश करते हैं जैसे कि इस देश में कुछ भी हो सकता है. जबकि ये संकल्प होना चाहिए कि किसी भी हाल में राष्ट्रहित को तिलांजलि न दे दिया जाए. भारतीयता हमारी पहचान है और इसमें हमारा अटूट विश्वास है. राष्ट्र सर्वोपरि है और जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि नहीं है राजनीतिक हित और व्यक्तिगत स्वार्थ को ऊपर रखते हैं, उनको समझाना चाहिए. फिर भी यदि वो ऐसा करते हैं तो देश की विकास के लिए उन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.

इसे भी पढ़ें - उपराष्ट्रपति का विपक्ष पर तंज, कहा- 'कुछ लोग राजनीतिक हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखते हैं' - Vice President Slams Opposition

धनखड़ ने कहा कि आज की पीढ़ी को संविधान दिवस पर देखना चाहिए कि संविधान पर खतरा कब आया था. कुछ लोग कहते हैं कि इमरजेंसी का काला अध्याय चुनाव से खत्म हो गया था, लेकिन इसे भूल नहीं सकते हैं, क्योंकि लोगों ने बहुत त्याग किया है. इमरजेंसी में हुए अत्याचार की वजह से भारत सरकार ने संविधान हत्या दिवस की पहल की. ये नव पीढ़ी को आगाह करने के लिए है कि उनको पता लगना चाहिए कि एक ऐसा कालखंड था, जिसमें कोई मौलिक अधिकार नहीं थे. सर्वोच्च न्यायालय ने भी हाथ खड़े कर दिए थे. कार्यपालिका का तानाशाही रवैया उस ऊंचाई तक पहुंच गया था, जिसका इतिहास में उदाहरण देखने को नहीं मिलता है.

इस दौरान उन्होंने कॉरपोरेट्स से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि हम देश में कैंडल, काईट, खिलौने, फर्नीचर, कारपेट, कपड़ों का आयात करते हैं, लेकिन ये आयात नहीं, बल्कि अपने लोगों से काम छिनने जैसा है. ये मात्र धन लाभ के लिए है. आर्थिक स्वतंत्रता को तिलांजलि नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर, ट्रेड एसोसिएशन, बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस से अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा वोकल फॉर लोकल को प्रमोट करें.

इसे भी पढ़ें - जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान, बोले- आपातकाल के समय न्यायपालिका इंदिरा गांधी के तानाशाही के आगे झुक गई - Vice President on Emergency

इससे पहले उन्होंने देहदानी परिवारों को सम्मानित करते हुए कहा कि ये शरीर समाज की व्यापक लाभ के लिए एक साधन बन सकता है. इससे प्रतिभाशालियों को मदद मिलेगी. जिन लोगों के मन में कुछ कर गुजरने की भावना है, लेकिन शरीर के एक अंग की वजह से उसे आगे नहीं बढ़ा पाए, जब उनकी मदद करेंगे तो ये समाज के लिए दायित्व नहीं, बल्कि संपत्ति बनेगा.

वहीं, इस दौरान उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भी मौजूद रहे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देवनानी ने कहा कि चिकित्सीय उद्देश्यों में अंगदान के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उनके लिए जागृति पैदा करना आज सामयिक है. ये आज की आवश्यकता है. पहले रक्तदान के प्रति भी भ्रांति थी, लेकिन आज लोगों में स्वभाव बन गया है. अब अंगदान के लिए भी लोग प्रेरित होने लगे हैं और एक शरीर से आठ अंगों की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि यदि मरने के बाद भी जीवित रहना चाहते हैं तो इसके लिए अंगदान बेहद जरूरी है.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : कुछ लोग व्यक्तिगत हित और सियासी स्वार्थ को राष्ट्रीय हित से ऊपर रख रहे हैं और जिन लोगों ने अच्छे और बड़े पद ग्रहण किए हैं, वो ऐसी विचारधारा रखते हैं जैसे कि इस देश में कुछ भी हो सकता है. उन्हें समझाना चाहिए और अगर फिर भी वो नहीं मानते तो उन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. यह कहना है देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का. रविवार को जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में देहदानी परिवार सम्मान व आभार समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कही. इस दौरान उन्होंने अंगदान को समाज हित में बताते हुए इस कार्य से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से 100 लोगों को जोड़ने की अपील भी की.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजनीतिक मतांतर प्रजातंत्र की खूबी है. अलग-अलग विचार प्रजातंत्र के गुलदस्ते की महक है, लेकिन ये तब तक ही है जब तक राष्ट्रहित को तिलांजलि नहीं दी जाए. राष्ट्रहित को सर्वोपरि नहीं रखेंगे तो राजनीतिक मतांतर राष्ट्र विरोधी बन जाता है. देखने में अक्सर आता है कि कुछ लोग व्यक्तिगत हित और राजनीतिक स्वार्थ को राष्ट्रीय हित से ऊपर रख रहे हैं और जिन लोगों ने अच्छे पद ग्रहण किए हैं, बड़े पद ग्रहण किए हैं, वो ऐसी विचारधारा पेश करते हैं जैसे कि इस देश में कुछ भी हो सकता है. जबकि ये संकल्प होना चाहिए कि किसी भी हाल में राष्ट्रहित को तिलांजलि न दे दिया जाए. भारतीयता हमारी पहचान है और इसमें हमारा अटूट विश्वास है. राष्ट्र सर्वोपरि है और जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि नहीं है राजनीतिक हित और व्यक्तिगत स्वार्थ को ऊपर रखते हैं, उनको समझाना चाहिए. फिर भी यदि वो ऐसा करते हैं तो देश की विकास के लिए उन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.

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धनखड़ ने कहा कि आज की पीढ़ी को संविधान दिवस पर देखना चाहिए कि संविधान पर खतरा कब आया था. कुछ लोग कहते हैं कि इमरजेंसी का काला अध्याय चुनाव से खत्म हो गया था, लेकिन इसे भूल नहीं सकते हैं, क्योंकि लोगों ने बहुत त्याग किया है. इमरजेंसी में हुए अत्याचार की वजह से भारत सरकार ने संविधान हत्या दिवस की पहल की. ये नव पीढ़ी को आगाह करने के लिए है कि उनको पता लगना चाहिए कि एक ऐसा कालखंड था, जिसमें कोई मौलिक अधिकार नहीं थे. सर्वोच्च न्यायालय ने भी हाथ खड़े कर दिए थे. कार्यपालिका का तानाशाही रवैया उस ऊंचाई तक पहुंच गया था, जिसका इतिहास में उदाहरण देखने को नहीं मिलता है.

इस दौरान उन्होंने कॉरपोरेट्स से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि हम देश में कैंडल, काईट, खिलौने, फर्नीचर, कारपेट, कपड़ों का आयात करते हैं, लेकिन ये आयात नहीं, बल्कि अपने लोगों से काम छिनने जैसा है. ये मात्र धन लाभ के लिए है. आर्थिक स्वतंत्रता को तिलांजलि नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर, ट्रेड एसोसिएशन, बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस से अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा वोकल फॉर लोकल को प्रमोट करें.

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इससे पहले उन्होंने देहदानी परिवारों को सम्मानित करते हुए कहा कि ये शरीर समाज की व्यापक लाभ के लिए एक साधन बन सकता है. इससे प्रतिभाशालियों को मदद मिलेगी. जिन लोगों के मन में कुछ कर गुजरने की भावना है, लेकिन शरीर के एक अंग की वजह से उसे आगे नहीं बढ़ा पाए, जब उनकी मदद करेंगे तो ये समाज के लिए दायित्व नहीं, बल्कि संपत्ति बनेगा.

वहीं, इस दौरान उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भी मौजूद रहे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देवनानी ने कहा कि चिकित्सीय उद्देश्यों में अंगदान के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उनके लिए जागृति पैदा करना आज सामयिक है. ये आज की आवश्यकता है. पहले रक्तदान के प्रति भी भ्रांति थी, लेकिन आज लोगों में स्वभाव बन गया है. अब अंगदान के लिए भी लोग प्रेरित होने लगे हैं और एक शरीर से आठ अंगों की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि यदि मरने के बाद भी जीवित रहना चाहते हैं तो इसके लिए अंगदान बेहद जरूरी है.

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