वाराणसी : गंगा उस पार रेतीले मैदान में पांच सितारा कॉटेज और टेंट सिटी बसाए जाने को लेकर मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई पूरी कर ली. माना जा रहा है कि दो से तीन दिनों के अंदर में आदेश जारी हो सकता है कि वाराणसी में इस वर्ष टेंट सिटी बसेगी या नहीं. टेंट सिटी बसाए जाने और कछुआ सेंचुरी शिफ्टिंग को लेकर एनजीटी बेहद कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी पिछली सुनवाई में जाहिर कर चुकी है. आज भी सुनवाई के दौरान जज काफी नाराज दिखाई दिए.
सुनवाई के दौरान मौजूद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य सचिव ने ट्रिब्युनल्स को जानकारी देते हुए टेंट सिटी की कंपनियों से 17 लाख रुपए वसूली किए जाने की बात बताई और इसके लिए वाराणसी के जिला अधिकारी को आदेश जारी करने की भी जानकारी दी है. एनजीटी में इस केस को दायर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ तिवारी का कहना है कि आज की सुनवाई में एनजीटी ने अपना फाइनल डिसीजन सुरक्षित रखा है और 2 से 3 दिनों के अंदर यह कभी भी जारी किया जा सकता है.
बता दें, नवंबर 2022 में गंगा किनारे रेत के मैदान में टेंट सिटी को बसाया गया था और जुलाई 2023 में गंगा में पानी बढ़ने से पहले इंटरसिटी को हटा दिया गया था. इसको लेकर पांच साल का एग्रीमेंट किया गया था, लेकिन इस समय सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी की तरफ से एनजीटी में केस दायर किया गया. इसके बाद 2023 में बाढ़ के बाद भी टेंट सिटी को नहीं बसाया जा सका.
अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से गंगा के कछुआ को मार डाला गया. कछुआ बाउंड्री को थोड़ा सा चेंज किया जा सकता था, लेकिन पूरे कछुओं को शिफ्ट करने की कोई जरूरत नहीं थी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान एनजीटी के जजों ने कहा कि आखिर कछुआ सेंचुरी यहां से हटाया ही क्यों गया? चंद लोगों को ऐशों आराम देने के लिए टेंट सिटी को बसाया गया. इसके लिए यहां पर पहले से मौजूद कछुआ सेंचुरी को कहीं और शिफ्ट क्यों किया गया. क्या कोई प्राकृतिक वास स्थान कहीं दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा सकता है. कछुए वहीं आएंगे जहां पर उनके लिए वह जगह मुफीद हो तो फिर ऐसा हुआ क्यों. फिलहाल अब एनजीटी दो से तीन दिनों में आदेश जारी कर सकती है.
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