जूनागढ़: आद्रा नक्षत्र में किसान आम खाना छोड़ देते हैं. इसके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण है. 22 जून को आद्रा नक्षत्र के शुरू होने के चलते, 21 जून से जैन समाज के लोग आम का फल खाना छोड़ देंगे. जैन समाज एक साल के लिए आम फल का त्याग कर देते हैं. जानिए इनके पीछे का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्य क्या है ?
आद्रा नक्षत्र में वणिक करते हैं आम का त्याग: मानसून के आद्रा नक्षत्र के बाद वणिकाएं आम खाना छोड़ देते हैं. 22 जून को आद्रा नक्षत्र होने के कारण सभी वाणिकाएं 21 जून तक आम का सेवन करेंगे. इसके बाद एक साल तक आम खाने से परहेज किया जाता है. इसके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्य यह है कि मानसून के मौसम में आम और जामुन के फल आते हैं. लेकिन मानसूनी वातावरण के प्रभाव से आद्रा नक्षत्र में लगने वाले आम और जामुन जैसे स्वादिष्ट और रसीले फलों में सूक्ष्म जीव विकसित हो जाते हैं. इस वजह से, आद्रा नक्षत्र समाप्त होने के बाद उत्पादक आम और जामुन जैसे फलों की खेती करने से बचते हैं.
इसके साथ ही यह भी मानना है कि वर्षा शुरू हो जाने से आम जैसे फलों में असंख्य जीवों की उत्पति होने लगती है. जिसका सेवन करने से जैन धर्म के लोग उनकी अकाल मृत्यु का कारण बनने से बचते है. उनका मानना है कि कोई भी फल वर्षा ऋतु में ही खाना चाहिए, उस ऋतु का काल समाप्त होने के बाद भले ही वह बाजार में मिलता हो लेकिन हमारे लिए अभक्ष्य है. क्योंकि उसमें असंख्य जीवों की उत्पति शुरू हो जाती है, cold storage में रखे हुए या डिब्बों में पैक किये हुए खाद्य पदार्थों का उपयोग भी कभी नहीं करना चाहिए वे अभक्ष्य तो है ही, साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है, इन्हें फ्रेश रखने के लिए कई प्रकार के कर्मिकल्स मिलाये जाते है, जो सेहत के बेहद नुकसानदेय है.
जैनागम श्री दश वैकालिक सूत्र में उल्लेख: जैन धर्म के जैनागम श्री दश वैकालिक सूत्र में आगमकार भगवंता के अनुसार 'सौव्वे जीववी इच्छन्ति जिव्वुनु' का अर्थ है कि संसार का हर प्राणी जीना पसंद करता है. किसी को भी मरना पसंद नहीं है, यही कारण है कि आद्रा नक्षत्र में आम और जम्बू में सूक्ष्म जीव उत्पन्न होते हैं. इसलिए जीवन के समर्थक वणिका समाज आद्रा नक्षत्र में आम और जामुन जैसे फल खाने से बचते हैं. जैन आगम श्री, चंद्र, सूर्य, प्रग्नपति, सूत्र और उत्तराषाढ़ा में विभाजित श्री शमवायंग सूत्र में वर्णित 28 प्रकार के नक्षत्रों में से एक आद्रा भी है. आद्रा नक्षत्र के साथ-साथ आम्र फल यानी आम के स्वाद में भी अंतर आ जाता है. यदि आद्रा नक्षत्र के बाद आम का खाना जारी रखा जाए तो पेट और गैस के रोग होने की भी संभावना रहती है. जिसके कारण जैन लोग आद्रा नक्षत्र के बाद आम खाने से परहेज करते हैं.
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