उत्तराखंड: विधानसभा की कार्यवाही के दौरान 6 फरवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक को सदन के पटल पर रख दिया था. जिसके बाद से ही सदन के भीतर यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक पर चर्चा की जा रही है. बिल पेश होने के दूसरे दिन आज बुधवार को भी यूसीसी विधेयक 2024 पर चर्चा जारी है.
यूसीसी उत्तराखंड की नारियों के लिए उत्सव का दिन: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि विधानसभा में यूसीसी विधेयक का टेबल होना सभी के लिए गर्व की बात है. इसके साथ ही उत्तराखंड की हर एक नारी के लिए ये सबसे बड़े उत्सव का दिन है. रेखा आर्य के अनुसार इस विधेयक से महिलाओं के अधिकारों को और अधिक पुख्ता और सुरक्षित बनाने का काम हुआ है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐतिहासिक और राजनीति दृढ़ इच्छा के साथ यूसीसी को टेबल किया है. हालांकि, शुरुआती दौर से ही भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की दौड़ में थी. ताकि भारत का हर नागरिक, समान नागरिक संहिता को अपनाए. इसकी शुरुआत उत्तराखंड से हो गई है. यूसीसी में महिलाओं को लेकर तमाम बड़े प्रावधान किए गए हैं. लिहाजा कुप्रथाओं और रीति-रिवाज की आड़ में अब महिलाओं का शोषण नहीं हो पाएगा. साथ ही इससे बहु विवाह प्रथा भी खत्म हो जाएगी. अगर तलाक लेना चाहते हैं तो कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा.
कम उम्र के विवाह रोकेगा यूसीसी: एक समाज ऐसा भी है जिसमें जब बालिका अपने पीरियड्स के प्रथम दौर में आती है तो उसे बालिग मान लिया जाता है और उसका विवाह कर दिया जाता है. ऐसे में एक बच्ची खुद एक बच्चे को जन्म देती है. जबकि जीव विज्ञान के अनुसार 20 वर्ष तक की कोई भी बालिका ना ही मेंटली तैयार होती है और ना ही फिजिकली शादी के लिए तैयार होती है. धर्म और परंपराओं की आड़ में बालिकाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. ऐसे में प्रत्यक्ष रूप से जिस बालिका के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है, उसे सहन करने नहीं देना चाहिए. लिहाजा अब उत्तराखंड सरकार ने सदन के माध्यम से इस पर रोक लगाने का काम यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए किया है. अब उत्तराखंड में लड़की के विवाह की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 साल होगी.
सभी धर्मों से हटाई जाएं कुरीतियां- रेखा आर्य: यूसीसी के जरिए विशेष धर्म पर टारगेट करने के सवाल पर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि हिंदू धर्म विशेष धर्म है. हिंदू विशेष धर्म में सती प्रथा देखी गई, बहुविवाह देखा गया, पर्दा प्रथा देखी गयी, बाल विवाह देखा. इन प्रथाओं की भी हिंदू धर्म में मान्यता थी. पहले हिंदू धर्म में भी इस तरह की को प्रथाएं, रीति रिवाज चलती थी, संसद को इस पर रोक लगाने की आवश्यकता थी. ऐसे में जब कानून लाया गया तो ऐसी कुरीतियां समाप्त हो गई. लिहाजा हिंदू धर्म भी एक विशेष धर्म है जिसके लिए कानून लाकर इन कुप्रथाओं को खत्म किया गया. महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित किया गया. ऐसे में हिंदू धर्म ने भी सभी कुप्रथाएं छोड़ी हैं, लिहाजा, यूनिफॉर्म सिविल कोड को धर्म के नजरिए से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि ये सभी धर्म जाति के लिए एक समान है.
लिव इन रिलेशन पर रेखा आर्य का बयान: लिव इन रिलेशन पर युवाओं की ओर से उठाए जा रहे सवाल पर महिला विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कथन है कि जो वयस्क है वो लिव इन रिलेशन में रहने के लिए स्वतंत्र है. यूनिफॉर्म सिविल कोड में सिर्फ इतना प्रावधान है कि अगर कोई लिव इन रिलेशन में रह रहा है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसका रजिस्ट्रेशन कराए. क्योंकि कई बार यह देखा जाता है कि कई सालों से साथ रह रहे हैं लेकिन उन्हें पता नहीं चला कि उनका साथी उनके धर्म का नहीं है. छोड़ दिया, बच्चा पैदा हुआ उसे अपनाया नहीं जा रहा है. इस तरह की तमाम समस्याएं लिव इन रिलेशन में हैं जो पर्दे की आड़ में रहने के बाद भी अनैतिक कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं. ये आदर्श समाज के लिए स्वीकार योग्य नहीं है. इसे रोकना पड़ेगा और समाज को संस्कारों में लाना पड़ेगा.
महिलाओं को मिलेगा संपत्ति में अधिकार: साथ ही मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि महिलाओं को कभी इसकी लालसा नहीं रहती है कि उनके माता-पिता की संपत्ति में उनका अधिकार मिल ही जाए. हालांकि यूनिफॉर्म सिविल कोड में इस बात को कहा गया है कि जितना माता-पिता की संपत्ति पर बेटी का अधिकार होता है, उतना ही बेटियों का भी अधिकार रहना चाहिए. यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात कर रहे हैं तो महिलाओं को और भी सशक्त करने की आवश्यकता है. साथ ही कहा कि माता-पिता की प्रॉपर्टी में बेटियों को भी हक देने के मामले में इसका कोई दुष्परिणाम देखने को नहीं मिलेगा. क्योंकि बहुत सोच समझकर यूसीसी कानून को बनाया गया है.
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