देहरादून: साइबर ठगी से जुड़े अपराध तो इनदिनों कॉमन हो गए हैं. केवल लोगों की सजगता ही उन्हें ऐसे अपराध का शिकार बनने से रोक सकती है. हालांकि, साइबर ठग भी दिनों-दिन एडवांस होते जा रहे हैं और ठगी के नए-नए तरीके खोज रहे हैं. ऐसे ही एक अलग तरह के केस में एम-2-एम सिम कार्ड के जरिए ठगी की गई है. यहां पीड़ित देहरादून का है, जबकि मास्टरमाइंड मुदस्सिर दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है. इस तरीके से अपराध करने और फर्जी सिम कार्ड्स की ये अबतक की सबसे बड़ी बरामदगी बताई जा रही है.
पुलिस जब आरोपी को पकड़ने पहुंची तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. पुलिस को वहां सिम कार्ड्स का जखीरा मिला. लाखों रुपये के हजारों सिम कार्ड्स देख पुलिस का भी सिर चकरा गया. दरअसल, हुआ यूं कि देहरादून निवासी एक पीड़ित व्यक्ति साइबर पुलिस के पास पहुंचा और उसने अपने साथ हुई ठगी के बारे में शिकायत दर्ज करवाई. उसने बताया कि उसके साथ कुल 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गयी है. इसके बाद उसने जो कहानी पुलिस को बताई तो पुलिस के भी कान खड़े हो गए.
पीड़ित ने साइबर पुलिस को बताया कि कैसे व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए उसके साथ ये ठगी हुई. बकौल पीड़ित, उसे स्टॉक ट्रेडिंग का शौक था तो वो कुछ समय पहले फेसबुक के जरिए एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ा जिसका नाम T Rowe Price Stock Pull Up Group A82 था. इस ग्रुप में जुड़ने के बाद कुछ लोगों ने पीड़ित से कॉन्टेक्ट किया और बहला-फुसलाकर उसे एक दूसरे व्हाट्सएप ग्रुप INDIRA Customer Care- A303 में जुड़वाया. उन लोगों ने बताया कि वो Indira Securities कंपनी के लोग हैं और वो लोगों को स्टॉक ट्रेडिंग में इंवेस्टमेंट कर फायदा पहुंचाते हैं.
इन लोगों ने पीड़ित को INDIRA Customer care- A303 ग्रुप में जोड़कर एक एप डाउनलोड करने के लिए लिंक दिया. फिर स्टॉक में पैसे लगाने के नाम पर अलग-अलग लेन-देन से करीब ₹80 लाख हड़प लिए गए. दून साइबर पुलिस टीम को जांच में पता चला कि जिन फोन नंबर्स से पीड़ित को व्हाट्सएप कॉल की गयी थी वो XENO TECHNOLOGY नाम से किसी फर्जी कंपनी के नाम से लिए गए हैं. अधिक जानकारी मिली कि ये सिम तुर्कमान गेट चांदनी महल दिल्ली निवासी मुदस्सिर मिर्जा द्वारा लिए गए हैं.
एसटीएफ टीम ने फिर दिल्ली चांदनी महल क्षेत्र से मुदस्सिर मिर्जा को गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से टीम को करीब 3 हजार एम-2-एम सिम बरामद हुए. जांच में सामने आया है कि ये गिरोह देशभर में करोड़ों की ठगी कर चुका है. इनके ठगी का तरीका भी अलग था. ये पूरी ठगी और इनकी धरपकड़ की पूरी कहानी जानने के लिए आप इसे पढ़े सकते हैं, जिसे हमने पूरी डिटेल के साथ प्रेजेंट किया है.
पढ़ें- एम2एम सिम के जरिए अपराध का सनसनीखेज मामला, 1 लाख 95 हजार के सिम बरामद, ₹80 लाख की धोखाधड़ी
क्या होते हैं ये एम-2-एम सिम: फिलहाल, यहां हम आपको उस टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से बताएंगे जिसके जरिए इस ठगों ने करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया है. यहां पर हम एम-2-एम सिम टेक्नोलॉजी के बारे में बात करेंगे. फोन का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोगों के लिए सिम कार्ड का मतलब होता है एक छोटी सी चिप जैसी चीज जो फोन के एक स्लॉट में लगाई जाती है. इस सिम कार्ड से जरिए सेल्युलर नेटवर्क और इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि सिम कई प्रकार के होते हैं. इनमें से एक है एम2एम सिम जो क्लासिक सिम के मुकाबले इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का एडवांस रूप है.
हमने एम-2-एम सिम को लेकर ज्यादा जानकारी के लिए हमने नेटवर्क एक्सपर्ट सचदेव गिल से बात की, जो जानकारी हमें मिली उसको इस तरह समझा जा सकता है. सीधे समझें तो एम2एम यानी मशीन-टू-मशीन और सिम मतलब सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल. ऐसा समझें कि एम2एम सिम फोन के अंदर एक छोटी सी कम्प्यूटर चिप जैसा होता है जो फोन को सेल्युलर नेटवर्क और दूसरी डिवाइस से जोड़ती है. इसमें मानव इनपुट की जरूरत नहीं होती.
एम2एम सिम में सेंसर होते हैं जो अपने आसपास के वातावरण से इनपुट ले सकते हैं. इसमें नेटवर्क डिवाइस बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के इंफॉर्मेशन का आदान-प्रदान करते हैं. ये हमारे डेबिट/क्रेडिट कार्ड स्वाइपिंग मशीन, पीओएस (प्वाइंट-ऑफ-सेल) डिवाइस की तरह काम करता है. ये सभी एम2एम संचार का इस्तेमाल करते हैं.
रेगुलर सिम से कैसे अलग है एम2एम: एम2एम सिम हमारे फोन में लगने वाले रेगुलर सिम से अलग है. हालांकि, इस सिम को भी एक फोन से दूसरे फोन में ट्रांसफर किया जा सकता है. इसका मतलब है कि ये सिम दूसरी इंटरनेट डिवाइस और सिस्टम के साथ डेटा एक्सचेंज कर सकते हैं. इस प्रकार के कम्यूनिकेशन का इस्तेमाल वेयरहाउस मैनेजमेंट, रोबोटिक्स, ट्रैफिक कंट्रोल, सप्लाई चेन सेवा, रिमोट कंट्रोल और बहुत ही अन्य चीजों में किया जाता है.
इसके अलावा, इसका उपयोग इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस के लिए किया जा रहा है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) ये ऐसा समझिए कि ये एक जैसे डिवाइस का नेटवर्क है जो दूसरे IoT डिवाइस और क्लाउड के साथ डेटा को जोड़ता है और कम्यूनिकेशन प्रदान करता है. IoT डिवाइस आमतौर पर सेंसर और सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक से जुड़ी होती हैं.
एक नॉर्मल सिम को जहां केवल फोन और टैबलेट के उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है वहीं एम2एम सिम को विशेष रूप से मशीन-टू-मशीन और IoT में उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है. इम सिम को फोन में डाला जा सकता है या एम्बेड किया जा सकता है. हालांकि, इनका आकार नॉर्मल सिम जैसा ही होता है लेकिन बहुत अलग तरीकों से उपयोग किए जाते हैं.
उदाहरण के लिए नॉर्मल सिम को दूर से एक्सेस या मैनेज करना मुश्किल होता है, क्योंकि वो हमारे फोन के उपयोग के तरीके से बनाए जाते हैं. नॉर्मल सिम से हम कॉल करना, एसएमएस भेजना और इंटरनेट ब्राउज़ करते हैं, लेकिन एम2एम सिम का उपयोग अक्सर IoT डिवाइस में किया जाता है जो नियमित टाइम इंटरवल पर छोटी मात्रा में डेटा भेजते हैं. इसमें फोन नंबर या एचडी वीडियो स्ट्रीमिंग बैंडविड्थ की जरूरत नहीं होती है.
इसके साथ ही ये सिम नॉर्मल सिम की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं. एम2एम सिम -40°C से 105°C के बीच के तापमान का सामना भी कर सकता है. एम2एम सिम कई साइज में आते हैं, जैसे- 2FF मिनी, 3FF माइक्रो, 4FF नैनो (ये तीनों सिम फोन में लगाए और निकाले जा सकते हैं) और MFF2, WLCSP, MFF-XS (ये तीनों फोन में एम्बेड किए जाते हैं जो निकाले नहीं जा सकते, इन्हीं को e-sim कहा जाता है).
कहां होता है एम2एम सिम कार्ड का इस्तेमाल: ज्यादातर व्यापार और उद्योग में एम2एम सिम का इस्तेमाल होता है. लॉजिस्टिक्स में एम2एम सिम का उपयोग वाहन ट्रैकिंग और संपत्तियों की जीपीएस निगरानी के लिए किया जाता है. इसके जरिए दूर बैठे ही ड्राइवर के व्यवहार की निगरानी और वाहनों के मैकेनिकल इश्यू के बारे में जानकारी मिल जाती है. एम2एम सिम के जरिए दुनिया में कहीं भी सामान और पैकेज को ट्रैक किया जा सकता है.
मैनुफैक्चरिंग कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं. एम2एम सिम के इस्तेमाल से मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अपनी मशीनरी को सेंट्रल प्लेटफार्मों से जोड़ती हैं. यह इंजीनियरों को मशीनों की स्थिति और संभावित रखरखाव की आवश्यकताओं पर रियल टाइम रिपोर्ट देता है. इससे फायदा ये होता है कि मशीन की खराबी से पहले ही उसकी मरम्मत की जा सकती है.
सुरक्षा की दृष्टि से भी एम2एम सिम काफी इस्तेमाल होते हैं. ज्यादातर सीसीटीवी और सिक्योरिटी सिस्टम वाई-फाई के जरिए इंटरनेट से जुड़ी रहती हैं लेकिन वाई-फाई बंद होने की स्थिति में एम2एम सिम लोकल मोबाइल नेटवर्क से जुड़कर बैकअप कनेक्टिविटी देते हैं और इससे सिक्योरिटी सिस्टम फेल नहीं होता. यही नहीं, हैवी इंडस्ट्री और रिटेल में में भी एम2एम संचार का इस्तेमाल होता है. हैवी इंडस्ट्री की एक्सट्रीम कंडिशंस जैसे गर्मी-ठंड और भारी मशीनरी के कंपन जैसी परिस्थितियों और कठिन सेटिंग्स में ये टेक्नोलॉजी काम आती है.
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