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वैश्विक शिखर सम्मेलन में बोले उत्तराखंड के सीएम- युद्ध में घिरा विश्व, शांति के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश - Global Summit

राजस्थान के सिरोही में वैश्विक शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन. उत्तराखंड के सीएम बोले- युद्ध में घिरा विश्व, शांति के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश

UTTARAKHAND CM PUSHKAR SINGH DHAMI
शांति के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश (ETV BHARAT SIROHI)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 5, 2024, 4:14 PM IST

सिरोही : जिले के ब्रह्माकुमारी संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को वक्ताओं ने वसुधैव कुटुंबकम् विषय पर चिंतन-मंथन किया. सुबह के सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मेलन में शामिल हुए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय जीवन दर्शन का सार ही वसुधैव कुटुंबकम् है.

उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व युद्धों में घिरा है और लोग तृतीय विश्व युद्ध होने की आशंका जाहिर कर रहे हैं. ऐसे समय में हमारी संस्कृति और सनातन परंपरा में ''अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्'' का संदेश दिया गया है, यानी विश्व की शांति के लिए संदेश दिया है.

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी (ETV BHARAT SIROHI)

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सीएम धामी ने कहा कि यह केवल एक शांति का उपदेश नहीं है, बल्कि वर्तमान समय और परिवेश में यह अनिवार्य है. ऐसे में अगर इसे आज हम समझ जाएं तो बहुत अच्छा है. यदि नहीं समझे तो कल अवश्य समझना पड़ेगा. भाईचारे का संदेश आज भी उतना ही प्रासांगिक है, जितना की पहले था. आज हम भागदौड़ की जिंदगी में सच्ची खुशी और आंतरिक शांति को भूल गए हैं. उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां हमने सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) लागू किया है. इसके जरिए हमने इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों में संतुलन बनाया है.

आध्यात्मिक चिंतन से जीवन में आता है सकारात्मक बदलाव : सीएम धामी ने कहा कि जैसे नई टेक्नोलॉजी हमें भौतिक सुख प्रदान करती है, वैसे ही आध्यात्मिकता हमें आंतरिक सुख प्रदान करती है. साथ ही शरीर, मन और आत्मा में संतुलन बनाने का काम करती है. वर्तमान में ब्रह्माकुमारी संस्था नैतिक मूल्यों से लोगों को पथ प्रदर्शित कर रही है. पूरे विश्व के अंदर करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव लाने का कार्य संस्थान द्वारा किया जा रहा है.

आध्यात्मिक चिंतन से हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. इस बदलाव को मैंने अपने जीवन में स्वयं भी महसूस किया है. आध्यात्मिकता केवल जीवन की आवश्यकता नहीं है, बल्कि जीवन की अनिवार्यता है. ब्रह्माकुमारी एक संस्थान ही नहीं है, बल्कि यह कलियुग से सतयुग की स्थापना का एक महान कार्य है.

इसे भी पढ़ें - असम के सीएम बोले-राहुल गांधी सेना के बीच कर रहे हैं विद्रोह की साजिश, भारत सरकार को करनी चाहिए जांच

15 वर्ष से ब्रह्माकुमारी से जुड़ा हूं : मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भारत की भूमि से उपजा यह संस्थान विश्व के कोने-कोने में शांति और मानवता का संदेश देने का कार्य कर रहा है. अध्यात्म और मानवता के लिए कार्य कर रहा है. मैं आज यहां स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण में आध्यात्मिकता की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने के लिए आया हूं. मैं आप सभी लोगों के बीच जिज्ञासु बनकर आया हूं. यहां आने के बाद अपने भीतर विशेष प्रकार की आंतरिक शांति की अनुभूति कर रहा हूं.

करीब 15 साल से ब्रह्माकुमारी के कार्यक्रमों में आता रहा हूं. मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी से मुलाकात हुई. उनका आशीर्वाद मिला. ऐसे में मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं. वहीं, इस सम्मलेन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और सांसद रवि किशन मौजूद रहे.

सिरोही : जिले के ब्रह्माकुमारी संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को वक्ताओं ने वसुधैव कुटुंबकम् विषय पर चिंतन-मंथन किया. सुबह के सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मेलन में शामिल हुए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय जीवन दर्शन का सार ही वसुधैव कुटुंबकम् है.

उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व युद्धों में घिरा है और लोग तृतीय विश्व युद्ध होने की आशंका जाहिर कर रहे हैं. ऐसे समय में हमारी संस्कृति और सनातन परंपरा में ''अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्'' का संदेश दिया गया है, यानी विश्व की शांति के लिए संदेश दिया है.

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी (ETV BHARAT SIROHI)

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सीएम धामी ने कहा कि यह केवल एक शांति का उपदेश नहीं है, बल्कि वर्तमान समय और परिवेश में यह अनिवार्य है. ऐसे में अगर इसे आज हम समझ जाएं तो बहुत अच्छा है. यदि नहीं समझे तो कल अवश्य समझना पड़ेगा. भाईचारे का संदेश आज भी उतना ही प्रासांगिक है, जितना की पहले था. आज हम भागदौड़ की जिंदगी में सच्ची खुशी और आंतरिक शांति को भूल गए हैं. उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां हमने सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) लागू किया है. इसके जरिए हमने इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों में संतुलन बनाया है.

आध्यात्मिक चिंतन से जीवन में आता है सकारात्मक बदलाव : सीएम धामी ने कहा कि जैसे नई टेक्नोलॉजी हमें भौतिक सुख प्रदान करती है, वैसे ही आध्यात्मिकता हमें आंतरिक सुख प्रदान करती है. साथ ही शरीर, मन और आत्मा में संतुलन बनाने का काम करती है. वर्तमान में ब्रह्माकुमारी संस्था नैतिक मूल्यों से लोगों को पथ प्रदर्शित कर रही है. पूरे विश्व के अंदर करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव लाने का कार्य संस्थान द्वारा किया जा रहा है.

आध्यात्मिक चिंतन से हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. इस बदलाव को मैंने अपने जीवन में स्वयं भी महसूस किया है. आध्यात्मिकता केवल जीवन की आवश्यकता नहीं है, बल्कि जीवन की अनिवार्यता है. ब्रह्माकुमारी एक संस्थान ही नहीं है, बल्कि यह कलियुग से सतयुग की स्थापना का एक महान कार्य है.

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15 वर्ष से ब्रह्माकुमारी से जुड़ा हूं : मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भारत की भूमि से उपजा यह संस्थान विश्व के कोने-कोने में शांति और मानवता का संदेश देने का कार्य कर रहा है. अध्यात्म और मानवता के लिए कार्य कर रहा है. मैं आज यहां स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण में आध्यात्मिकता की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने के लिए आया हूं. मैं आप सभी लोगों के बीच जिज्ञासु बनकर आया हूं. यहां आने के बाद अपने भीतर विशेष प्रकार की आंतरिक शांति की अनुभूति कर रहा हूं.

करीब 15 साल से ब्रह्माकुमारी के कार्यक्रमों में आता रहा हूं. मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी से मुलाकात हुई. उनका आशीर्वाद मिला. ऐसे में मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं. वहीं, इस सम्मलेन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और सांसद रवि किशन मौजूद रहे.

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