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उत्तराखंड खनन और भूकंप का मुद्दा संसद में गूंजा, सांसद त्रिवेंद्र ने कही ये बड़ी बातें - PARLIAMENT WINTER SESSION

उत्तराखंड के भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद के शीतकालीन सत्र में हरिद्वार गंगा खनन मुद्दे पर चर्चा की.

PARLIAMENT WINTER SESSION
सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा में उत्तराखंड में खनन और भूकंप का मुद्दा उठाया. (PHOTO- SANSAD TV)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 11, 2024, 8:09 PM IST

Updated : Dec 11, 2024, 8:25 PM IST

देहरादूनः संसद का शीतकालीन सत्र जारी है. सत्र के 12वें दिन लोकसभा में डिजास्टर मैनेजमेंट बिल पर चर्चा हुई. जिस पर उत्तराखंड से हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपने कुछ सुझाव और प्रश्न लोकसभा स्पीकर से किए. सांसद रावत ने मेन सेंट्रल थ्रस्ट और गंगा किनारे खनन के मुद्दे पर प्रकाश डाला.

डिजास्टर मैनेजमेंट बिल पर बोलते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लगभग 17 मिनट का समय लिया. उन्होंने उत्तराखंड में आई आपदा को लेकर बातचीत की. वहीं भूकंप और आपदा के दौरान होने वाले प्रदेश को नुकसान के मुद्दे को भी उठाया. सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा स्पीकर के सामने रुद्रप्रयाग से लेकर हरिद्वार तक गंगा से होने वाले किसानों के नुकसान के मुद्दे को उठाया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, 'यह लगातार देखने के लिए मिल रहा है कि कुछ माफिया किस्म के लोग अवैज्ञानिक तरीके से खनन कर रहे हैं. यह पर्यावरण के साथ-साथ हरिद्वार के लिए सही नहीं है'.

सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा में उत्तराखंड में खनन और भूकंप का मुद्दा उठाया. (VIDEO- SANSAD TV)

गंगा से होने वाले नुकसान का उठाया मुद्दा: उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण आबादी का जिक्र करते हुए कहा, 'हर साल मॉनसून के दौरान जब गंगा पूरे उफान पर होती है तो यह गंगा गांव में घुसकर किसानों, काश्तकारों के फसलों का नुकसान पहुंचाती है. लिहाजा, गंगा का पानी रोकने के लिए तटबंध बनाने की आवश्यकता है'. इसके बाद सांसद त्रिवेंद्र ने उत्तराखंड में भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के मुद्दे को भी संसद में रखा.

मेन सेंट्रल थ्रस्ट का किया जिक्र: उन्होंने उत्तरकाशी (1991) और चमोली (1999) में आए भूकंप का जिक्र करते हुए सदन को बताया कि मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) जिसकी लंबाई लगभग 2500 किमी है, पर उत्तराखंड समेत सभी हिमालय राज्य बसे हुए हैं. लेकिन जानकारी के अभाव में लोग उन स्थानों पर अपना घर और दुकान बना लेते हैं, जहां खतरा सबसे अधिक रहता है. इसलिए एमसीटी के बारे में लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है. साथ ही उन इलाकों में जहां मानवीय बसावट है, वहां टेक्नोलॉजी के साथ निर्माण या जहां ज्यादा खतरा है, वहां पर निर्माण कार्य प्रतिबंध किया जाए.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में स्लो EARTHQUAKE बड़े भूकंप की चेतावनी! वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता, वीक जोन की खोज शुरू

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार गंगा में खनन का मामला गरमाया, अनशन पर मातृ सदन के संत, गंगा सभा ने समतलीकरण को बताया वैध

देहरादूनः संसद का शीतकालीन सत्र जारी है. सत्र के 12वें दिन लोकसभा में डिजास्टर मैनेजमेंट बिल पर चर्चा हुई. जिस पर उत्तराखंड से हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपने कुछ सुझाव और प्रश्न लोकसभा स्पीकर से किए. सांसद रावत ने मेन सेंट्रल थ्रस्ट और गंगा किनारे खनन के मुद्दे पर प्रकाश डाला.

डिजास्टर मैनेजमेंट बिल पर बोलते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लगभग 17 मिनट का समय लिया. उन्होंने उत्तराखंड में आई आपदा को लेकर बातचीत की. वहीं भूकंप और आपदा के दौरान होने वाले प्रदेश को नुकसान के मुद्दे को भी उठाया. सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा स्पीकर के सामने रुद्रप्रयाग से लेकर हरिद्वार तक गंगा से होने वाले किसानों के नुकसान के मुद्दे को उठाया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, 'यह लगातार देखने के लिए मिल रहा है कि कुछ माफिया किस्म के लोग अवैज्ञानिक तरीके से खनन कर रहे हैं. यह पर्यावरण के साथ-साथ हरिद्वार के लिए सही नहीं है'.

सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा में उत्तराखंड में खनन और भूकंप का मुद्दा उठाया. (VIDEO- SANSAD TV)

गंगा से होने वाले नुकसान का उठाया मुद्दा: उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण आबादी का जिक्र करते हुए कहा, 'हर साल मॉनसून के दौरान जब गंगा पूरे उफान पर होती है तो यह गंगा गांव में घुसकर किसानों, काश्तकारों के फसलों का नुकसान पहुंचाती है. लिहाजा, गंगा का पानी रोकने के लिए तटबंध बनाने की आवश्यकता है'. इसके बाद सांसद त्रिवेंद्र ने उत्तराखंड में भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के मुद्दे को भी संसद में रखा.

मेन सेंट्रल थ्रस्ट का किया जिक्र: उन्होंने उत्तरकाशी (1991) और चमोली (1999) में आए भूकंप का जिक्र करते हुए सदन को बताया कि मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) जिसकी लंबाई लगभग 2500 किमी है, पर उत्तराखंड समेत सभी हिमालय राज्य बसे हुए हैं. लेकिन जानकारी के अभाव में लोग उन स्थानों पर अपना घर और दुकान बना लेते हैं, जहां खतरा सबसे अधिक रहता है. इसलिए एमसीटी के बारे में लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है. साथ ही उन इलाकों में जहां मानवीय बसावट है, वहां टेक्नोलॉजी के साथ निर्माण या जहां ज्यादा खतरा है, वहां पर निर्माण कार्य प्रतिबंध किया जाए.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में स्लो EARTHQUAKE बड़े भूकंप की चेतावनी! वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता, वीक जोन की खोज शुरू

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Last Updated : Dec 11, 2024, 8:25 PM IST
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