नई दिल्ली: कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि कृषि में ड्रोन के उपयोग से विशेष लाभ हैं. उन्होंने कहा कि इससे कार्यकुशलता में वृद्धि, छिड़काव की लागत में कमी के कारण लागत प्रभावशीलता, उर्वरकों और कीटनाशकों की बचत होगी. सरकार ने 2023-24 से 2025-26 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दी है. इसका उद्देश्य कृषि उद्देश्यों (उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग) के लिए किसानों को किराये पर सेवाएं प्रदान करने हेतु 15000 चयनित स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराना है.
मंत्री ने कहा कि ड्रोन के उपयोग से कृषि क्षेत्र को कई लाभ मिलते हैं, जैसे कि कार्यकुशलता में वृद्धि, छिड़काव की लागत में कमी के कारण लागत प्रभावशीलता, उच्च स्तर के परमाणुकरण के कारण उर्वरकों और कीटनाशकों की बचत आदि. इसके अलावा अत्यंत कम मात्रा में छिड़काव के कारण पानी की बचत तथा खतरनाक रसायनों के संपर्क में आने से मानव का जोखिम कम होना भी शामिल है.
जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूह की एक सदस्य को प्रशिक्षित करने का प्रावधान किया गया है. इमसें पांच दिन का अनिवार्य ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और पोषक तत्वों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन के संचालन पर अतिरिक्त दस दिन का प्रशिक्षण शामिल है. अन्य स्वयं सहायता समूह सदस्यों या परिवार के सदस्यों को, जो विद्युत वस्तुओं, फिटिंग और यांत्रिक कार्यों की मरम्मत में रुचि रखते हैं, ड्रोन सहायक के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा. इससे किसानों के लाभ के लिए बेहतर दक्षता, अधिक फसल उपज और कम परिचालन लागत के लिए कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी को शामिल करने में मदद मिलेगी. साथ ही स्वयं सहायता समूहों को स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता भी मिलेगी और वे अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम होंगे.
कुल 15,000 ड्रोनों में से, पहले 500 ड्रोन 2023-24 में प्रमुख उर्वरक कंपनियों (LFCs) द्वारा अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करके खरीदे गए हैं और चयनित स्वयं सहायता समूहों को वितरित किए गए हैं. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि इस योजना के तहत 2024-25 और 2025-26 के दौरान शेष 14500 ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसमें ड्रोन और सहायक उपकरण/सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता दी जाएगी, जो प्रति ड्रोन अधिकतम 8.0 लाख रुपये तक होगी. एसएचजी को शेष राशि (खरीद की कुल लागत में से सब्सिडी घटाकर) राष्ट्रीय कृषि अवसंरचना वित्तपोषण सुविधा (AIF) के तहत ऋण के रूप में जुटानी होगी. उन्होंने बताया कि एआईएफ ऋण पर 3 प्रतिशत की ब्याज छूट भी एसएचजी को मिलेगी.
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