जांजगीर चांपा : छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा में एक ऐसा शख्स है, जो हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमाता है.लेकिन इस बार शख्स ने अपनी जगह बहू को चुनाव मैदान में उतारा है.इस प्रत्याशी ने अपनी बहू के लिए समाज के लोगों को ही प्रस्तावक बनाया है. जहां एक ओर जांजगीर चांपा लोकसभा से दिग्गज मैदान में हैं,वहीं दूसरी ओर भूमिहीन प्रत्याशी ने अपने पशुओं को बेचकर चुनाव की तैयारी की है.इस चुनाव में अब बहू दिग्गजों के बीच ताल ठोकेगी.
कौन है अनोखा शख्स : हर चुनाव में अपना दमखम दिखाने वाले शख्स का नाम मयाराम नट है.जिसे यहां की स्थानीय भाषा में डंगचगहा कहा जाता है.जांजगीर चांपा जिले के महंत गांव में रहने वाले मया राम नट घूमतु समाज से हैं.इनकी पीढ़ी बॉस के डांग में करतब दिखाते आ रही है. जिन्हे नट या डंगचगहा भी कहते हैं. मयाराम नट को करतब के लिए तो पहचाना ही जाता है.
चुनाव लड़ने के कारण ही मिली प्रसिद्धि : मयाराम नट जांजगीर चांपा जिला में चुनाव लड़ने के ही कारण फेमस है. 2001 से मयाराम नट किसी ना किसी चुनाव में भागीदारी जरुर निभा रहे हैं.अब तक मयाराम को तो कामयाबी नहीं मिली.लेकिन अपने प्रचार प्रसार का फायदा उन्होंने बहू को दिलवाया.जिसके बूते उनकी बड़ी बहू जनपद पंचायत की सदस्य बने.इस बार मयाराम नट ने खुद के बजाए अपनी बहू को चुनाव मैदान में खड़ा किया है.
ना घर ना ठिकाना,बस चुनाव लड़ते जाना है : आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए अब तक 9 अभ्यर्थी नामांकन फार्म खरीदे हैं.अधिकांश प्रत्याशी बड़े रसूख और पैसे वाले हैं. लेकिन विजय लक्ष्मी सूर्यबंशी ऐसी प्रत्याशी हैं,जिनके पास जमीन जायदाद नहीं है. विजय लक्ष्मी सूर्यबंशी का परिवार पशु पालन करके के ही अपनी आजीविका चलाती हैं.
कब से लड़ रहे हैं चुनाव ? : मयाराम नट का समुदाय करतब दिखाकर अपना पेट पालते है.मयाराम की माने तो साल 2001 से उन्हें चुनाव लड़ने का जुनून पैदा हुआ. क्षेत्र क्रमांक 2 से चुनावी मैदान में कमला देवी पाटले के प्रतिद्वंदी भी रहे.जो दो बार बीजेपी से सांसद बन चुकी हैं. 2004 से हर विधानसभा, लोकसभा और जिला पंचायत के साथ जनपद का चुनाव मयाराम लड़ा है.
कैसे इकट्ठा करते हैं चुनावी प्रचार : मयाराम नट ने बताया कि उनका परिवार शासकीय भूमि में कच्चा मकान बनाकर रहते है.उनके पास पैसा नहीं है और कोई पुस्तैनी संपत्ति भी नहीं है. लेकिन मयाराम के प्रचार का तरीका अनोखा है.वो अपने पुस्तैनी कला के माध्यम से गांव-गांव जाकर करतब दिखाते हैं,फिर प्रचार करते हैं.इस बार मयाराम नट डंगचगहा करतब दिखाकर अपनी बहू के लिए प्रचार करेंगे.
पशु बेचकर इकट्ठा करते हैं पैसा: मया राम नट ने बताया कि चुनाव के नामांकन फार्म खरीदी के लिए वो अपने पाले हुए पशुओं को बेचते हैं. मया राम के मुताबिक उनके पास 100 से अधिक छोटे बड़े पशु हैं. जिसमें बड़े पशु की कीमत 10 हजार तक मिल जाती है.इस तरह से चुनाव के लिए खर्च इकट्ठा हो जाता है.
क्या है बहू की सोच : इस बार मयाराम चुनाव मैदान में नहीं हैं.लेकिन उनकी बहू विजय लक्ष्मी सूर्यबंशी ने बताया कि उसके ससुर मया राम नट ने राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. मया राम नट ने जिस चुनाव में उतरते हैं उसमें उनका स्थान दूसरा और पांचवा होता है. बहू विजय लक्ष्मी की माने तो यदि वो चुनाव में जीतती हैं तो समाज के साथ दूसरे वर्गों के लिए भी अच्छी नीतियां बनाकर काम किया जाएगा.
क्यों चुनाव लड़ने का संजोया सपना : मया राम नट घूमन्तु समाज से है. इस वजह से इनके समाज में बच्चों का जाति प्रमाण पत्र ही नहीं बनता .समाज के बच्चे स्कूल भी नहीं जाते हैं.इसलिए मयाराम ने अपने बेटे को पढ़ाया.यहीं नहीं मयाराम का बेटा अब शिक्षक है.वहीं बहू जनपद सदस्य. मयाराम का मानना है कि स्वच्छ राजनीति से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है.इसलिए हर चुनाव में वो लड़ते थे.लेकिन अब ये प्रयास उनकी बहू करेगी.