तिरुवनंतपुरम: केरल में एक बार फिर अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के दो मामले सामने आए हैं. ये एक प्रकार का दुर्लभ बीमारी दिमागी बुखार है. इस बीमारी से ठीक होने की दर बहुत कम है. जानकारी के अनुसार तिरुमाला की 35 वर्षीय महिला और कांजीरामकुलम की 27 वर्षीय महिला में इस बीमारी का पता चला.
इससे पहले नवाइकुलम के 12वीं कक्षा के छात्र को कल अमीबिक इंसेफेलाइटिस होने का पता चला था. दो महीने के दौरान तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस के लिए 14 लोगों को निगरानी में रखा गया. जिला स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है. नवाइकुलम के वार्ड-4 में मदनकावु तालाब में नहाने के बाद छात्र में बीमारी का पता चला. तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि छात्र की स्वास्थ्य स्थिति संतोषजनक है क्योंकि उसने लक्षण दिखते ही उपचार करवाया था. मदनकव तालाब में नहाने वाले दो और लोगों पर निगरानी रखी जा रही है.
बता दें कि इसी साल केरल के कोझिकोड 12 साल के एक लड़के की दिमागी बुखार के चलते मौत हो गई थी. इस बीमारी को ब्रेन ईटिंग अमीबा के नाम से भी जाना जाता है. यह एक दुर्लभ और घातक मस्तिष्क संक्रमण है. अब तक की जांच में पता चला है कि दूषित पानी में पाए जाने वाले एक फ्री लिविंग अमीबा के चलते यह बीमारी होती है.
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस क्या है?
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस को ब्रेन ईटिंग अमीबा या दिमागी बुखार भी कहा जाता है. यह मस्तिष्क का एक प्रकार का संक्रमण है. इस बीमारी में सिरदर्द, बुखार, मतली, उल्टी, गर्दन में अकड़न, दौरे, मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे लक्षण आमतौर पर पाए जाते हैं. इलाज नहीं होने पर लक्षण शुरू होने के 1-12 दिनों के अंदर लोगों की मौत हो जाती है.