रुड़की: विश्वविख्यात दरगाह पिरान कलियर शरीफ में देश की आजादी के बाद पहली बार देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड चेयरमैन शादाब शम्स ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की, मुख्य कार्यपालक अधिकारी वक्फ बोर्ड, तहसीलदार रुड़की और दरगाह प्रबंधक रजिया मौजूद रहीं. सैकड़ों की तादाद में जायरीनों और क्षेत्रीय लोगों ने मिलकर मादरे वतन हिंदुस्तान जिंदाबाद, भारत माता की जय के नारे लगाए और बड़ी शान से ध्वजारोहण किया.
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#WATCH | Dehradun: Uttarakhand Waqf Board Chairman Shadab Shams says, "Instead of teaching about Aurangzeb, we will teach about Lord Ram and about our Nabi in the modern madarsas. We are Hindustani and our DNA matches with Lord Ram... Therefore we have decided that we will teach… pic.twitter.com/cVlbQikT0U
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 26, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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पिरान कलियर में पहली बार फहराया तिरंगा: इस कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने बताया कि पहली बार यहां तिरंगा फहराया गया और राष्ट्रीय गान भी हुआ. भारत माता के नारों से दरगाह का परिसर गूंज उठा. शादाब शम्स ने बताया कि तिरंगे को यहां फहराने का शुभ अवसर मिला है, जिससे मैं खुश हूं. मां भारती को मैं अपना सलाम पेश करता हूं. उन्होंने कहा कि देश के अंदर कोई जगह ऐसी नहीं रहनी चाहिए, जहां तिरंगा न फहराया गया हो. हमारा मानना है नेशन फर्स्ट यानी देश प्रथम, मजहब द्वितीय. हम अंतिम पायदान पर खड़े हैं. इसलिए राष्ट्र सर्वोपरि है. मैं एक हिंदू मुसलमान हूं. पहले हिंदू हूं बाद में मुसलमान हूं.
पिरान कलियर के बारे में जानिए: आपको बता दें पिरान कलियर मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है. हरिद्वार जिले के रुड़की के नजदीक ये दरगाह है. इसे हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर की दरगाह भी कहते हैं. मुसलमानों में इस धार्मिक स्थल की बड़ी मान्यता है. यहां पर यात्रा करने के लिए देश विदेश और हर साल पाकिस्तान से भी इनके भक्त पहुंचते हैं. इस दरगाह पर केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि हिंदुओं की बड़ी आबादी भी माथा टेकने के लिए आती है. इसे रहस्यमयी शक्तियों का स्थान भी कहा जाता है.
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मदरसा पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी भगवान राम की कहानी: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है, "आधुनिक मदरसों में हम औरंगजेब के बारे में पढ़ाने के बजाय भगवान राम के बारे में और अपने नबी के बारे में पढ़ाएंगे. हम हिंदुस्तानी हैं और हमारा डीएनए भगवान राम से मेल खाता है. इसलिए हमने फैसला किया है कि हम ऐसा करेंगे. मार्च में शुरू होने वाले आधुनिक मदरसों में भगवान राम के बारे में पढ़ाया जाएगा.