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'सुनवाई पूरी होने में कई साल लगेंगे...', सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर गौतम नवलखा को दी जमानत - Supreme Court

Supreme Court: जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ ने एल्गार परिषद-माओवादी लिंक केस में गौतम नवलखा को दी गई जमानत पर बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 14, 2024, 2:53 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक केस में समााजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी. कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई पूरी होने में कई साल लगेंगे.

जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ ने मामले में नवलखा को दी गई जमानत पर बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई गई रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया. जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में हैं और मामले में अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं.

मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे- सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा, 'हम रोक को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि हाई कोर्ट के आदेश में जमानत देने की डिटेल जानकारी दी गई है. मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे. विवादों पर विस्तार से चर्चा किए बिना, हम रोक की अवधि नहीं बढ़ाएंगे.' सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्ष को जल्द से जल्द 20 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा.

इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि 20 लाख रुपये उनकी सुरक्षा में खर्च हुई राशि का लगभग 10 फीसदी हिस्सा है. राजू ने यह भी कहा कि अदालत को नवलखा की नजरबंदी की अवधि पर विचार करना चाहिए.

एनआईए के दावों से सहमत नहीं नवलखा के वकील
7 मार्च को एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कार्यकर्ता गौतम नवलखा को घर में नजरबंदी करने के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने में 1.64 करोड़ रुपये का खर्च आया था, जिसका उन्हें भुगतान करना होगा. नवलखा के वकील एनआईए के दावों से सहमत नहीं हुए और उन्होंने इसे 'वसूली' करार दिया.

राजू ने अदालत को बताया था कि 70 साल के कार्यकर्ता ने सुरक्षा के लिए किए गए खर्च के लिए अब तक केवल 10 लाख रुपये का भुगतान किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नवलखा को कुछ और राशि का भुगतान करना होगा. बता दें कि नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई की एक सार्वजनिक लाइब्रेरी में नजरबंद हैं.

पिछले साल हाई कोर्ट से मिली थी जमानत
पिछले साल दिसंबर में बॉम्बे हाई कोर्ट ने नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर करने के लिए समय मांगा था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नवलखा को घर में नजरबंद रखने से गलत मिसाल कायम होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2022 में उनकी नजरबंदी का आदेश देते हुए उन्हें उनकी नजरबंदी के संबंध में पुलिस कर्मियों की तैनाती के लिए राज्य द्वारा वहन किए जाने वाले खर्च के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था. बाद में कोर्ट ने उन्हें फिर खर्च के तौर पर 8 लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया.

गौरतलब है कि नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था. वह वर्तमान में नवी मुंबई में रह रहे हैं. उनके अलावा मामले में सोलह कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया था और उनमें से पांच फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

यह भी पढ़ें- वाहन पीयूसी मानदंडों का करें अनुपालन, तीसरे पक्ष का बीमा अनिवार्य

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक केस में समााजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी. कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई पूरी होने में कई साल लगेंगे.

जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ ने मामले में नवलखा को दी गई जमानत पर बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई गई रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया. जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में हैं और मामले में अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं.

मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे- सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा, 'हम रोक को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि हाई कोर्ट के आदेश में जमानत देने की डिटेल जानकारी दी गई है. मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे. विवादों पर विस्तार से चर्चा किए बिना, हम रोक की अवधि नहीं बढ़ाएंगे.' सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्ष को जल्द से जल्द 20 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा.

इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि 20 लाख रुपये उनकी सुरक्षा में खर्च हुई राशि का लगभग 10 फीसदी हिस्सा है. राजू ने यह भी कहा कि अदालत को नवलखा की नजरबंदी की अवधि पर विचार करना चाहिए.

एनआईए के दावों से सहमत नहीं नवलखा के वकील
7 मार्च को एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कार्यकर्ता गौतम नवलखा को घर में नजरबंदी करने के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने में 1.64 करोड़ रुपये का खर्च आया था, जिसका उन्हें भुगतान करना होगा. नवलखा के वकील एनआईए के दावों से सहमत नहीं हुए और उन्होंने इसे 'वसूली' करार दिया.

राजू ने अदालत को बताया था कि 70 साल के कार्यकर्ता ने सुरक्षा के लिए किए गए खर्च के लिए अब तक केवल 10 लाख रुपये का भुगतान किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नवलखा को कुछ और राशि का भुगतान करना होगा. बता दें कि नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई की एक सार्वजनिक लाइब्रेरी में नजरबंद हैं.

पिछले साल हाई कोर्ट से मिली थी जमानत
पिछले साल दिसंबर में बॉम्बे हाई कोर्ट ने नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर करने के लिए समय मांगा था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नवलखा को घर में नजरबंद रखने से गलत मिसाल कायम होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2022 में उनकी नजरबंदी का आदेश देते हुए उन्हें उनकी नजरबंदी के संबंध में पुलिस कर्मियों की तैनाती के लिए राज्य द्वारा वहन किए जाने वाले खर्च के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था. बाद में कोर्ट ने उन्हें फिर खर्च के तौर पर 8 लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया.

गौरतलब है कि नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था. वह वर्तमान में नवी मुंबई में रह रहे हैं. उनके अलावा मामले में सोलह कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया था और उनमें से पांच फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

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