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रेल इंजन में शौचालय की सुविधा महिला लोको पायलटों के लिए दूर का सपना बनी - TOILET FACILITY IN TRAIN ENGINES

महिला लोको पायलटों ने हाल ही में अपनी शिकायतों के संबंध में रेलवे से संपर्क किया और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया.

Lavatory facility in train engines becomes distant dream for women loco pilots
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रांची रेलवे स्टेशन पर रांची से लोहरदगा जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को महिला लोको पायलट चलाती हुई (फाइल फोटो) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 8, 2024, 11:05 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे में रेल इंजनों में शौचालय की सुविधा का अभाव महिला और पुरुष लोको पायलटों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि 10,000 से अधिक इंजनों में से केवल 883 इंजनों में ही यह सुविधा है.

इस स्थिति पर निराशा और नाराजगी व्यक्त करते हुए सहायक लोको पायलट आशिमा ने ईटीवी भारत से कहा, 'एक महिला होने के नाते हमें 'नेचर कॉल' के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ स्थान की आवश्यकता होती है, लेकिन ड्यूटी के समय हमें इसके लिए समय और स्थान नहीं मिलता है. ये मेरे जैसे महिला लोको पायलटों के लिए बहुत दयनीय स्थिति है.

अपनी दुर्दशा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमें शुरुआती स्टेशन से लास्ट तक यात्रा करनी पड़ती है. इसमें कम से कम 8-10 घंटे लगते हैं, इस अवधि के दौरान लोको पायलटों को अगला स्टेशन आने या लोको रनिंग रूम आने तक अपने शौच व अन्य दबाव को नियंत्रित करना पड़ता है. इससे ड्राइवरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य पर.

महिला लोको पायलटों ने हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी शिकायतों के बारे में पत्र लिखा और महिला लोको रनिंग स्टाफ को आवश्यक सुविधाएं या एक बार कैडर परिवर्तन का विकल्प प्रदान करने का अनुरोध किया. पत्र में लिखा है, 'अनिर्धारित और रात्रि ड्यूटी के कारण हम हमेशा अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं क्योंकि हमें लोकोमोटिव में शौचालय की सुविधा नहीं मिलती है. इसके कारण हम अपना पेशाब लंबे समय तक रोके रखते हैं. हमेशा तनाव की स्थिति में रहते हैं. मासिक धर्म के दौरान स्थिति और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि महिला ड्राइवर सैनिटरी पैड नहीं बदल पाती हैं और कई बार शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है.'

इस मुद्दे पर बात करते हुए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष राम शरण ने ईटीवी भारत से कहा, 'कुछ साल पहले एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने निर्देश दिया था कि इंजन ड्यूटी पर तैनात लोको पायलट 'नेचर कॉल' के लिए सिर्फ क्रू लॉबी में ही जाएंगे. अगर क्रू लॉबी नहीं है तो वे स्टेशन मास्टर के दफ्तर में ही जाएंगे.

शरण ने कुछ महीने पहले हुई एक अमानवीय घटना को याद किया, जिसमें एक महिला ड्राइवर को फ्रेश होने के लिए शौचालय का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया था. उन्होंने कहा, 'कुछ महीने पहले भोपाल डिवीजन में एक शर्मनाक घटना हुई थी, जहां एक महिला लोको पायलट को स्टेशन मास्टर ने शौचालय का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी थी, जो दुर्व्यवहार का एक उदाहरण है.'

2,153 महिला लोको पायलट कार्यरत

एक नवंबर तक भारतीय रेलवे में करीब 2,153 महिला लोको पायलट कार्यरत हैं. लोको पायलट रेलवे परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं जो यात्री और माल यातायात को सुरक्षित और कुशल तरीके से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारतीय रेलवे लोको पायलटों के लिए उचित कार्य स्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

883 रेल इंजनों में शौचालय की सुविधा लगाई

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा को बताया कि 2018 से इंजनों में जल रहित मूत्रालय की सुविधा प्रदान करने के लिए आगे की पहल की गई है. आज तक, 883 इंजनों में जल रहित मूत्रालय की सुविधा लगाई गई है. ऐसा लगता है कि शौचालय की सुविधा लोको पायलटों के लिए दूर का सपना बन गई है, क्योंकि मूत्रालय की व्यवस्था के लिए कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है.

लोको पायलट एमपी देव ने ईटीवी भारत को बताया, 'अगर रेलवे लोको इंजन में मूत्रालय स्थापित करना चाहता है तो वह इसे ट्रेनों में स्थापित कर सकता है, लेकिन इसके लिए कोई स्पष्ट अतिरिक्त बजट, समय और जनशक्ति नहीं है. लोकोमोटिव रखरखाव के लिए निश्चित समय है. अगर मूत्रालयों की व्यवस्था में अधिक समय लगता है तो इसका असर अन्य लोको के रखरखाव में देरी के रूप में पड़ेगा.'

ये भी पढ़ें- रात में बेटिकट महिला यात्रियों को ट्रेन से उतार नहीं सकता TTE, जानिए क्या कहता है नियम

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे में रेल इंजनों में शौचालय की सुविधा का अभाव महिला और पुरुष लोको पायलटों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि 10,000 से अधिक इंजनों में से केवल 883 इंजनों में ही यह सुविधा है.

इस स्थिति पर निराशा और नाराजगी व्यक्त करते हुए सहायक लोको पायलट आशिमा ने ईटीवी भारत से कहा, 'एक महिला होने के नाते हमें 'नेचर कॉल' के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ स्थान की आवश्यकता होती है, लेकिन ड्यूटी के समय हमें इसके लिए समय और स्थान नहीं मिलता है. ये मेरे जैसे महिला लोको पायलटों के लिए बहुत दयनीय स्थिति है.

अपनी दुर्दशा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमें शुरुआती स्टेशन से लास्ट तक यात्रा करनी पड़ती है. इसमें कम से कम 8-10 घंटे लगते हैं, इस अवधि के दौरान लोको पायलटों को अगला स्टेशन आने या लोको रनिंग रूम आने तक अपने शौच व अन्य दबाव को नियंत्रित करना पड़ता है. इससे ड्राइवरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य पर.

महिला लोको पायलटों ने हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी शिकायतों के बारे में पत्र लिखा और महिला लोको रनिंग स्टाफ को आवश्यक सुविधाएं या एक बार कैडर परिवर्तन का विकल्प प्रदान करने का अनुरोध किया. पत्र में लिखा है, 'अनिर्धारित और रात्रि ड्यूटी के कारण हम हमेशा अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं क्योंकि हमें लोकोमोटिव में शौचालय की सुविधा नहीं मिलती है. इसके कारण हम अपना पेशाब लंबे समय तक रोके रखते हैं. हमेशा तनाव की स्थिति में रहते हैं. मासिक धर्म के दौरान स्थिति और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि महिला ड्राइवर सैनिटरी पैड नहीं बदल पाती हैं और कई बार शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है.'

इस मुद्दे पर बात करते हुए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष राम शरण ने ईटीवी भारत से कहा, 'कुछ साल पहले एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने निर्देश दिया था कि इंजन ड्यूटी पर तैनात लोको पायलट 'नेचर कॉल' के लिए सिर्फ क्रू लॉबी में ही जाएंगे. अगर क्रू लॉबी नहीं है तो वे स्टेशन मास्टर के दफ्तर में ही जाएंगे.

शरण ने कुछ महीने पहले हुई एक अमानवीय घटना को याद किया, जिसमें एक महिला ड्राइवर को फ्रेश होने के लिए शौचालय का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया था. उन्होंने कहा, 'कुछ महीने पहले भोपाल डिवीजन में एक शर्मनाक घटना हुई थी, जहां एक महिला लोको पायलट को स्टेशन मास्टर ने शौचालय का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी थी, जो दुर्व्यवहार का एक उदाहरण है.'

2,153 महिला लोको पायलट कार्यरत

एक नवंबर तक भारतीय रेलवे में करीब 2,153 महिला लोको पायलट कार्यरत हैं. लोको पायलट रेलवे परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं जो यात्री और माल यातायात को सुरक्षित और कुशल तरीके से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारतीय रेलवे लोको पायलटों के लिए उचित कार्य स्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

883 रेल इंजनों में शौचालय की सुविधा लगाई

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा को बताया कि 2018 से इंजनों में जल रहित मूत्रालय की सुविधा प्रदान करने के लिए आगे की पहल की गई है. आज तक, 883 इंजनों में जल रहित मूत्रालय की सुविधा लगाई गई है. ऐसा लगता है कि शौचालय की सुविधा लोको पायलटों के लिए दूर का सपना बन गई है, क्योंकि मूत्रालय की व्यवस्था के लिए कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है.

लोको पायलट एमपी देव ने ईटीवी भारत को बताया, 'अगर रेलवे लोको इंजन में मूत्रालय स्थापित करना चाहता है तो वह इसे ट्रेनों में स्थापित कर सकता है, लेकिन इसके लिए कोई स्पष्ट अतिरिक्त बजट, समय और जनशक्ति नहीं है. लोकोमोटिव रखरखाव के लिए निश्चित समय है. अगर मूत्रालयों की व्यवस्था में अधिक समय लगता है तो इसका असर अन्य लोको के रखरखाव में देरी के रूप में पड़ेगा.'

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