सुकमा: नक्सल मोर्चे पर एक बार फिर जवानों को बड़ी सफलता मिली है. चिंतागुफा थाना इलाके में एक्टिव रहे तीन हार्डकोर नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण करने वाले एक नक्सली पर शासन ने एक लाख का इनाम रखा था. सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर हत्या लूट सहित कई संगीन मामले अलग अलग थानों में दर्ज थे. नक्सलियों के बड़े नेताओं की मनमर्जी और प्रताड़ना से तंग आकर लगातार नक्सली लाल आतंक का दामन छोड़ रहे हैं.
बस्तर में चला रहा नक्सल विरोधी अभियान: नक्सलवाद के खात्म के लिए पूरे बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान चल रहा है. नक्सल विरोधी अभियान के चलते लगातार नक्सली सरेंडर करने को बाध्य हो रहे हैं. जिन घने जंगलों में जहां कभी नक्सली खुद को महफूज मानते थे, उन इलाकों में भी जवान अब बेधड़क सर्चिंग के लिए जा रहे हैं. जवानों की बढ़ती सक्रियता और दबाव के चलते नक्सलियों के हौसले अब पस्त पड़ने लगे हैं. नक्सली अपनी जिंदगी बचाने के लिए अब सरेंडर करने की नीति अपना रहे हैं.
'' छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सलवाद उन्नमूलन नीति और सुकमा जिले में चलाए जा रहे पूना नर्कोम अभियान यानि नई सुबह नई शुरुआत अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत जिले के अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए विभिन्न योजनाओं का बैनर पोस्टर लगाया जा गया है. बैनर पोस्टर लगाने और जागरुकता अभियान के चलते बड़ी संख्या में नक्सली मुख्य धारा में लौट रहे हैं'': उत्तम सिंह, डीएसपी, सुकमा
सरेंडर नीति से प्रभावित हो रहे नक्सली: सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकार की ओर से मदद भी दी जा रही है. सरकार ने उनके पुनर्वास की भी व्यवस्था की है. पुनर्वास के तहत सरेंडर करने वाले नक्सिलयों को नकद पैसे भी दिए जाते हैं. बीते एक महीने के भीतर अबतक 10 से ज्यादा नक्सली सरेंडर कर चुके हैं. सरेंडर करने वालों में युवा नक्सली भी शामिल हैं. खुद डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने भी कहा कि अगर नक्सली हथियार छोड़ना चाहता हैं तो वो उनसे आधी रात को भी बात करने के लिए तैयार हैं.