हैदराबाद: केरल के वायनाड में भारी बारीश और लैंडस्लाइड के कारण भीषण तबाही मची है. जिले में 30 जुलाई 2024 मंगलवार तड़के हुए विनाशकारी भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 80 हो गई है. वहीं, 100 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है जबकि अभी भी कई लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है. देश में हर साल मानसून के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों से लैंडस्लाइड की खबरें आती रहती हैं. देश के कई राज्यों में पिछले कई सालों में काफी गंभीर लैंडस्लाइड्स हुए हैं. इस खबर के जरिए जानें कब-कब और कहां-कहां गंभीर भूस्खलन के चलते जान-माल की छति हुई.
#WATCH केरल के वायनाड में भूस्खलन और बारिश से प्रभावित चूरलमाला इलाके का वीडियो। pic.twitter.com/UEAAIo9Lxz
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गुवाहाटी भूस्खलन : असम के गुवाहाटी में 18 सितंबर 1948 को भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था. भूस्खलन में 500 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. रिपोर्टों के मुताबिक उस भूस्खलन में एक पूरा गांव ही दफन हो गया था.
दार्जिलिंग लैंडस्लाइड : पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में 4 अक्टूबर, 1968 में भीषण लैंडस्लाइड हुआ था. भूस्खलन बाढ़ के चलते हुए उस लैंडस्लाइड में 60 किलोमीटर लंबा राजमार्ग 91 भागों में कट गया था. रिपोर्टों के अनुसार, उस भूस्खलन में हजारों लोग मारे गए थे.
मालपा लैंडस्लाइड : उत्तराखंड के मालपा में 1998 में 11 अगस्त से लेकर 17 अगस्त तक लगातार भूस्खलन हुआ था, जिसमें 380 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. पूरा गांव ही भूस्खलन में बह गया था. यह भूस्खलन भारत में हुए सबसे भयानक भूस्खलनों में से एक है.
मुंबई लैंडस्लाइड: महाराष्ट्र के मुंबई में साल 2000 में जुलाई के महीने में भीषण भूस्खलन हुआ था. मुंबई के उपनगरीय इलाकों में भारी बारिश के कारण हुए लैंडस्लाइड में लगभग 67 लोगों की मौत हो गई थी और लोकल ट्रेनें भी प्रभावित हुई थीं.
#WATCH केरल: वायनाड के चूरालमाला इलाके में बारिश और भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ। NDRF की टीम द्वारा बचाव अभियान जारी है। pic.twitter.com/1HQgVesmMn
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अंबूरी लैंडस्लाइड, केरल के अंबूरी में 9 नवंबर 2001 को भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था और इस घटना में लगभग 40 लोगों की मौत हो गई थी. इस भूस्खलन को केरल के इतिहास में सबसे भयानक भूस्खलन के रूप में जाना जाता था.
केदारनाथ लैंडस्लाइड : उत्तराखंड के केदारनाथ में 16 जून, 2013 को भीषण लैंडस्लाइड हुआ था. यह उत्तराखंड में आई बाढ़ का परिणाम था. बाढ़ और बाढ़ के बाद हुए भूस्खलन से 5700 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 4,200 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए थे.
मालिन लैंडस्लाइड: महाराष्ट्र के मालिन में 30 जुलाई, 2014 को जबरदस्त लैंडस्लाइड हुआ था. जिसमें करीब 151 लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग लापता हो गए थे.
#WATCH केरल के कोझिकोड में भारी बारिश के कारण नहरें उफान पर हैं, सड़कें जलमग्न हो गई हैं। pic.twitter.com/hWBz40sSth
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मणिपुर में भूस्खलन: मणिपुर में जौमोल गांव की एक बस्ती में साल 2015 के अगस्त महीने में भारी भूस्खलन और बाढ़ के कारण लगभग 20 लोगों की मौत हो गई थी.
महाराष्ट्र में भूस्खलन: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 22 जून 2015 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के दाभोल गांव में भूस्खलन के चलते तीन मकान ढहने से 12 लोगों की मौत हो गई थी.
तवांग में भूस्खलन: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में साल 2016 के अप्रैल महीने में 22 और 23 तारीख को भीषण लैंडस्लाइड हुआ. 18 मई से लेकर 23 मई तक लगातार चार विनाशकारी भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जिनमें 11 लोगों की जान चली गई और संपत्ति, मवेशी, कृषि भूमि और सड़क-खंडों को भारी नुकसान पहुंचा. चार भूस्खलनों में से एक करीमगांग जिले के सोनाईचेरा चाय बागान के राखालबस्ती क्षेत्र में हुआ, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई और अन्य तीन भूस्खलन असम के निकटवर्ती हिलाकांडी जिले में तीन अलग-अलग स्थानों पर हुआ था.
अपर गुरपिसे में भूस्खलन: दक्षिण सिक्किम के अपर गुरपिसे में 20 सितंबर 2017 को लगभग 02.00 बजे एक छोटा मलबा खिसकने की घटना हुई. पिछले 24 घंटों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण यह त्रासदी हुई थी. भूस्खलन के कारण 03 लोगों की जान चली गई, 02 लोग घायल हो गए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा था.
केरल में भूस्खलन: साल 2019 में केरल में भीषण लैंडस्लाइड की घटना घटी थी. 9 सितंबर 2019 में राज्य में हो रही लगातार बारिश के कारण केरल के इपाडी, पुट्टुपाला, वायनाड और भूदानम, नीलांबुर, मल्लापुरम में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था. जिससे कई लोग मलबे में दब गए थे. एनडीआरएफ की 05 टीमें लगातार 16 दिनों लैंडस्लाइड वाले इलाके में तलाशी अभियान चलाया और 61 शवों को बरामद किया.
कर्नाटक में भूस्खलन: कर्नाटक के कोडागु जिले में लगातार हो रही बारिश के चलते 06 अगस्त, 2020 को सुबह 02:30 बजे तालाकावेरी में भूस्खलन हुआ था. बता दें, यह भूस्खलन तालाकावेरी के पास हुआ था. तालाकावेरी वह स्थान जहां से कावेरी नदी का उद्गम होता है, एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन केंद्र है. यह क्षेत्र मदिकेरी शहर से 43.5 किमी पूर्व में स्थित है. तालाकावेरी में साल 2007, 2018, 2019 में भी भीषण लैंडस्लाइड की घटनाएं घटी थी.
पेटीमुडी में भूस्खलन: 6 अगस्त, 2020 को, इडुक्की जिले के एक चाय बागान पेटीमुडी में लगातार बारिश के कारण हुए भूस्खलन में 65 से अधिक श्रमिकों की मौत हो गई थी. सभी वे एक ‘लयाम’ में रहते थे, जो कंपनी द्वारा आवास के रूप में प्रदान की गई एक इमारत में 10 आवासीय स्थानों की एक पंक्ति थी.
तटीय कोंकण क्षेत्र में भूस्खलन: साल 2021 में तटीय कोंकण क्षेत्र में भूस्खलन पश्चिमी महाराष्ट्र और तटीय कोंकण क्षेत्र में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कम से कम 60 लोग मारे गए थे.
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भूस्खलन: साल 2021 में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भूस्खलन के बाद 7 लोगों की मौत हो गई थी.
मणिपुर के नोनी में भूस्खलन : 30 जून 2022 को मणिपुर के नोनी जिले में रेलवे निर्माण स्थल पर हुए भीषण भूस्खलन में 107 प्रादेशिक सेना के कर्मियों सहित कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 50 लोग लापता हो गए थे.
कुंडला एस्टेट में भूस्खलन: 06 अगस्त 2022 को पेटीमुडी आपदा की दूसरी वर्षगांठ पर मुन्नार में कुंडला एस्टेट में हुए भूस्खलन के दौरान एक बड़ी आपदा टल गई और 450 लोगों की जान किस्मत से बच गई.भूस्खलन मुन्नार-वट्टावडा मार्ग पर हुआ था.
महाराष्ट्र के रायगढ़ में भूस्खलन: 19 जुलाई 2023 को महाराष्ट्र के रायगढ़ में मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था. उस भूस्खलन में लगभग 27 लोगों की मौत हो गई थी, और 57 लोग लापता हो गए थे.
कर्नाटक के अंकोला में भूस्खलन: 16 जुलाई, 2024 को कर्नाटक के अंकोला में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग आठ लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य लापता हो गए थे. घटना उत्तर कन्नड़ के अंकोला तालुका में हुई थी.
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