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डीपफेक और AI को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने की जरूरत, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगे सुझाव - Deepfake and AI Control Case

Court seeks suggestions from Centre on Deepfake and AI: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को डीपफेक और AI को ग्लोबल प्रॉब्लम बताया. साथ ही मोदी सरकार से इस पर कंट्रोल के लिए सुझाव मांगा.

डीपफेक और AI के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.
डीपफेक और AI के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी. (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 28, 2024, 8:38 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने पर विचार करने का आग्रह किया. बुधवार को कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह एक वैश्विक समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को तीन सप्ताह के भीतर अन्य देशों द्वारा अपनाए गए तरीके (जिसमें उदाहरण वाले विस्तृत सुझाव हो) बताने को कहा है. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी इस पर सुझाव देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि डीपफेक वीडियोज का उपयोग दवाओं की बिक्री या धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है और ऐसे वीडियोज में डिस्क्लेमर नहीं होता है.

पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारी इस मामले पर विचार कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मनोहर लाल ने डीपफेक और एआई का एक्सेस देने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने की मांग की थी.

AI की परिभाषा तय करने की मांगः उन्होंने कहा था कि डीपफेक और एआई टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि एआई टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण संविधान के मुताबिक होने चाहिए. कहा गया है कि एआई टेक्नोलॉजी की परिभाषा तय होनी चाहिए. एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी किसी की निजता के हनन के लिए नहीं होना चाहिए और इसका दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश तय करने चाहिए, क्योंकि डीपफेक जैसी टेक्नोलॉजी से किसी की छवि को खराब किया जा सकता है.

सरकार निपटने की कर रही तैयारीः सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा कि टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है और यह कई मायने में हमें सहयोग करता है. इसलिए टेक्नोलॉजी से निपटना आसान नहीं है. सभी पहलुओं पर गौर करते हुए संतुलन कायम करने की जरूरत है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार कर रही है. सरकार इसके दुष्परिणामों से वाकिफ है और वो निपटने की कार्ययोजना पर काम कर रही है.

यह भी पढ़ेंः इन कॉलेजों में शुरू होगी AI की पढ़ाई, जानें कितनी होगी फीस और कैसे मिलेगा एडिमशन?

यह भी पढ़ेंः भारत और यूरोपीय संघ डीप फेक से निपटने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं: साइबर एक्सपर्ट

यह भी पढ़ेंः ट्रेन में खराब खाना बना तो कैमरा करेगा अलर्ट, रेलवे के बेस किचन में लगाए जा रहे AI कैमरे

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने पर विचार करने का आग्रह किया. बुधवार को कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह एक वैश्विक समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को तीन सप्ताह के भीतर अन्य देशों द्वारा अपनाए गए तरीके (जिसमें उदाहरण वाले विस्तृत सुझाव हो) बताने को कहा है. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी इस पर सुझाव देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि डीपफेक वीडियोज का उपयोग दवाओं की बिक्री या धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है और ऐसे वीडियोज में डिस्क्लेमर नहीं होता है.

पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारी इस मामले पर विचार कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मनोहर लाल ने डीपफेक और एआई का एक्सेस देने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने की मांग की थी.

AI की परिभाषा तय करने की मांगः उन्होंने कहा था कि डीपफेक और एआई टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि एआई टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण संविधान के मुताबिक होने चाहिए. कहा गया है कि एआई टेक्नोलॉजी की परिभाषा तय होनी चाहिए. एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी किसी की निजता के हनन के लिए नहीं होना चाहिए और इसका दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश तय करने चाहिए, क्योंकि डीपफेक जैसी टेक्नोलॉजी से किसी की छवि को खराब किया जा सकता है.

सरकार निपटने की कर रही तैयारीः सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा कि टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है और यह कई मायने में हमें सहयोग करता है. इसलिए टेक्नोलॉजी से निपटना आसान नहीं है. सभी पहलुओं पर गौर करते हुए संतुलन कायम करने की जरूरत है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार कर रही है. सरकार इसके दुष्परिणामों से वाकिफ है और वो निपटने की कार्ययोजना पर काम कर रही है.

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