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आतंकवादी नियमों को नहीं मानते, इसलिए उनके खात्मे के भी कोई नियम नहीं : जयशंकर - Foreign Minister S Jaishankar

Foreign Minister S Jaishankar : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तब से आतंकवादियों पर जमकर प्रहार हो रहा है. देश में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगी है. वहीं, उन्होंने आतंकवादियों के खात्मे पर भी खुलकर बात की. पढ़ें पूरी खबर...

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By PTI

Published : Apr 13, 2024, 1:56 PM IST

Updated : Apr 13, 2024, 5:42 PM IST

पुणें : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद पर आज बड़ी बात कही. दो टूक शब्दों में उन्होंने कहा कि साल 2014 के बाद से भारत की विदेशी सियासत में काफी परिवर्तन आया है और आतंकवाद से निपटने का यही सही प्रणाली है. विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादी नियमों को नहीं मानते हैं तो खात्मा के लिए भी कोई नियम कैसे होगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत सीमा पार से होने वाले किसी भी आतंकवादी कृत्य का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है, और इस बात पर भी जोर दिया कि चूंकि आतंकवादी नियमों से नहीं खेलते हैं, इसलिए उन्हें जवाब देने में देश के पास कोई नियम नहीं हो सकता है.

2008 में 26/11 मुंबई आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर हमला करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि उस समय सरकारी स्तर पर बहुत विचारविमर्श के बाद भी कुछ परिणाम नहीं निकला. जैसा कि महसूस किया जा रहा था कि पाकिस्तान पर हमला करने से ज्यादा हमला ना करने की कहीं कीमत चुकानी पड़ेगी.

विदेश मंत्री ने अपनी पुस्तक 'व्हाई भारत मैटर्स' के मराठी अनुवाद के विमोचन के अवसर पर पुणे के युवाओं के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही. विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें (आतंकवादियों को) नहीं सोचना चाहिए कि वे लाइन के उस तरफ हैं, इसलिए कोई भी उनपर पर हमला नहीं कर सकता. आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं मानते, इसलिए, आतंकवादियों को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकता.

शुक्रवार को पुणे में 'भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी' नामक एक कार्यक्रम में युवाओं के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने युवाओं से पूछा कि अगर अब इस तरह का हमला होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती तो आगे ऐसे हमलों को कैसे रोका जा सकता है. जयशंकर ने युवाओं से यह भी कहा कि 2014 के बाद से देश की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है.

यह पूछे जाने पर कि जब अच्छे द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने और विकसित करने की बात आती है तो कौन सा देश सबसे कठिन है, जयशंकर ने पाकिस्तान की ओर इशारा किया क्योंकि उन्होंने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में सीमा पार से किए गए आतंकवादी कृत्यों का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने तत्कालीन भारतीय प्रांत में हमले करने के लिए अपने उत्तर-पश्चिमी हिस्से से जनजातीय लोगों को भेजा था, लेकिन सरकार ने उन्हें 'घुसपैठिए' करार दिया, न कि 'आतंकवादी', लगभग यह कहने के लिए कि वे एक 'वैध ताकत' का प्रतिनिधित्व करते हैं .

एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, जयशंकर ने पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की 'आतंकवाद को हथियार देने' वाली टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा.

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पुणें : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद पर आज बड़ी बात कही. दो टूक शब्दों में उन्होंने कहा कि साल 2014 के बाद से भारत की विदेशी सियासत में काफी परिवर्तन आया है और आतंकवाद से निपटने का यही सही प्रणाली है. विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादी नियमों को नहीं मानते हैं तो खात्मा के लिए भी कोई नियम कैसे होगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत सीमा पार से होने वाले किसी भी आतंकवादी कृत्य का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है, और इस बात पर भी जोर दिया कि चूंकि आतंकवादी नियमों से नहीं खेलते हैं, इसलिए उन्हें जवाब देने में देश के पास कोई नियम नहीं हो सकता है.

2008 में 26/11 मुंबई आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर हमला करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि उस समय सरकारी स्तर पर बहुत विचारविमर्श के बाद भी कुछ परिणाम नहीं निकला. जैसा कि महसूस किया जा रहा था कि पाकिस्तान पर हमला करने से ज्यादा हमला ना करने की कहीं कीमत चुकानी पड़ेगी.

विदेश मंत्री ने अपनी पुस्तक 'व्हाई भारत मैटर्स' के मराठी अनुवाद के विमोचन के अवसर पर पुणे के युवाओं के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही. विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें (आतंकवादियों को) नहीं सोचना चाहिए कि वे लाइन के उस तरफ हैं, इसलिए कोई भी उनपर पर हमला नहीं कर सकता. आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं मानते, इसलिए, आतंकवादियों को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकता.

शुक्रवार को पुणे में 'भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी' नामक एक कार्यक्रम में युवाओं के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने युवाओं से पूछा कि अगर अब इस तरह का हमला होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती तो आगे ऐसे हमलों को कैसे रोका जा सकता है. जयशंकर ने युवाओं से यह भी कहा कि 2014 के बाद से देश की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है.

यह पूछे जाने पर कि जब अच्छे द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने और विकसित करने की बात आती है तो कौन सा देश सबसे कठिन है, जयशंकर ने पाकिस्तान की ओर इशारा किया क्योंकि उन्होंने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में सीमा पार से किए गए आतंकवादी कृत्यों का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने तत्कालीन भारतीय प्रांत में हमले करने के लिए अपने उत्तर-पश्चिमी हिस्से से जनजातीय लोगों को भेजा था, लेकिन सरकार ने उन्हें 'घुसपैठिए' करार दिया, न कि 'आतंकवादी', लगभग यह कहने के लिए कि वे एक 'वैध ताकत' का प्रतिनिधित्व करते हैं .

एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, जयशंकर ने पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की 'आतंकवाद को हथियार देने' वाली टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा.

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Last Updated : Apr 13, 2024, 5:42 PM IST
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