गया : बिहार के गया में भेड़िए का खौफ है. मकसूदपुर गांव के इलाके में भेड़िया लोगों को निशाना बना राह है. पिछले 7 दिनों से लोग घरों में दुबककर रहने को मजबूर हैं. भेड़िये के हमले को देखते हुए लोग अब अकेले नहीं चल रहे हैं. बच्चों को शाम के वक्त घरों में रखा जा रहा है. दहशत के मारे गांव के लोगों का जीना दूभर हो गया है. भेड़िये का डर यहां के ग्रामीणों के चेहरे पर साफ देखा जा सकता है.
गया में भेड़ियों का हमला ? : गया में भेड़िये का आतंक जिले के मकसूदपुर के इलाके में फैला हुआ है. खिजरसराय प्रखंड के मकसूदपुर के इलाके व कई गांव जो सटे हैं, वहां के लोग डरे हुए हैं. उन्हें डर है, कि न जाने कब भेडियो का झुंड हमला बोल दे और जान चली जाए. लोग सचेत होकर इधर-उधर जा रहे हैं. अब अकेले निकलना इनका दूभर हो गया है. पहले लोग अकेले चलते थे, लेकिन जब से भेडियो का आतंक सामने आया है, तब से लोगों ने अपनी सुरक्षा के हिसाब से दिनचर्या बदल दी है.
आधा दर्जन लोगों को पर कर चुके हैं हमले : भेड़ियों का झुंड अब तक मकसूदपुर इलाके में 4 से 5 लोगों पर हमला कर चुका है. उनकी जान बाल बाल बची, क्योंकि शोर मचाते ही सतर्क रहे और लोग जुटे और किसी तरह से उनकी जान बच गई. कई मवेशियों को भेड़िया का झुंड निवाला बन चुका है. अब गांव के लोग बच्चों को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं, क्योंकि बच्चों को भेड़िए आराम से अपना चारा बना लेते हैं. फिलहाल भेड़िये के आतंक से मकसूदपुर इलाके के लोग खौफ के साए में जीने को विवश हैं.
वन विभाग ने लगाए पिंजरे : वहीं, वन विभाग ने इस तरह की जानकारी मिलते ही अपनी सक्रियता इलाके में तेज कर दी है. बताया जा रहा है, कि मकसूदपुर किले को ही भेड़िये ने ठिकाना बनाया है. भेड़िए किले के लंबे चौड़े भूभाग, जो कि जंगल का रूप ले चुके हैं, उसमें छुपे हुए हैं और मौका देखते ही हमला बोल देते हैं. अब वन विभाग की टीम सक्रिय हुई है और चार पिंजरे भेड़िये को पकड़ने के लिए अलग-अलग जगह पर लगाए जा चुके हैं. जहां पर भेड़ियों का आना-जाना हो रहा है, वहां पर अब वन विभाग के पिंजरे लगा दिए गए हैं.
''वन विभाग के पिंजरे में मुर्गे के मांस भी रखे गए हैं, ताकि मांस खाने के लालच में भेड़िए पिंजरे में कैद हो जाए. हालांकि, अभी तक वन विभाग की टीम को कोई सफलता नहीं मिल सकी है.''- अरुण कुमार यादव, वनरक्षी
भेड़िए या सियार इस पर भी संशय : वहीं, जो हमले हो रहे हैं वो भेड़िए के द्वारा किया जा रहा या सियार के द्वारा इसको लेकर संशय है. कभी कुछ लोग इसे भेड़िया बता रहे हैं, तो कुछ सियार बता रहे हैं. यहां तक की वन विभाग के कर्मी भी अभी तक स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं. वन विभाग की टीम भी बताती है, कि उन्हें आशंका है कि यह भेड़ियों का झुंड हो सकता है. हालांकि, ऐसी कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं मिले हैं, जिससे साफ हो, कि यह भेड़ियों का झुंड है या सियार का. जानकारी के अनुसार भेड़िये के झुंड के हमले में घायल ग्रामीणों में कल्लू यादव, देववंंतिया देवी, कुंती देवी आदि शामिल है.
'दो भेड़िये की मौत' : गांव वालों का कहना है कि दो भेड़ियों की मौत हो चुकी है. एक को ग्रामीणों ने लाठी डंडे से पीट-पीटकर मार डाला. वहीं, दूसरे को दर्जनों कुत्तों ने मिलकर शिकार कर दिया. इस तरह बताया जा रहा है की भेड़िये के झुंड में दो की कमी आ गई है. भेडियो का झुंड पांच की संख्या में है, जो अब तीन की संख्या में रह गया है. हालांकि एक भेड़िए के बच्चे की मौत के बाद यह झुंड और उग्र हुआ है और लोगों पर हमला घात लगाकर कर रहा है. अब तक भेडियो के झुंड के हमले में कई महिलाएं और पुरुष शिकार हो चुके हैं. हालांकि उनकी जान बाल बाल बच गई. कई मवेशियों को भेड़ियों के झुंड ने शिकार बना लिया है.
मकसूदपुर किले में बनाया है ठिकाना : इस संबंध में महिला अनीता देवी बताती है कि किले में भेड़िए के झुंड ने ठिकाना बना लिया है. किले में ही वे रहते हैं. अचानक निकलते हैं और इधर-उधर गांव या गांव से सटे इलाके में विचरण शुरू कर देते हैं. इसके बाद लोगों में खौफ पैदा हो जाता है. अब शाम ढलते ही हम लोग घरों में दुबक जा रहे हैं. महिलाओं पर भी भेड़िए के झुंड ने हमला किया है.
''गांव के तीन-चार लोगों को भेड़िया काट लिया है. 2 बकरी को निवाला बनाया है. हम लोग डर के मारे घर से बाहर नहीं निकलते हैं. मैने खुद अपनी आंखों से भेड़िया को देखा है. हमला करके किले में जाकर छिप जाता है. 2 भेड़िया मरा गया है. एक को कुत्ते ने मार डाला है और दूसरे को एक गांव वाले ने लाठी से मारा है. अभी भी 3 भेड़िया है.''- अनीता देवी, ग्रामीण महिला, मकसूदपुर
'भेड़िया होने की उड़ रही अफवाह' : हालांकि 2 भेड़ियों के मारे जाने की बात पर डीएफओ शशिकांत कुमार से जानकारी ली गई तो उन्होंने ईटीवी भारत के संवाददाता को बताया कि जो फोटो ग्रामीणों द्वारा भेजी गई है उसकी जांच पर पता चला है कि वह सियार है. भेड़िए की बात अफवाह है. अभी तक गांव वालों द्वारा बताए गए बयान के मुताबिक कोई भी डेड बॉडी रिकवर नहीं हुई है.
''एक्सपर्ट द्वारा पहचान कराया गया है, जिसमें सियार होने की पूरी संभावना है. भेड़िए की अफवाह है. अभी किसी भेड़िए की बॉडी बरामद नहीं हुई है. फिलहाल अभी कोई कार्रवाई ग्रामीणों के खिलाफ नहीं हो रही है.''- शशिकांत कुमार, डीएफओ, गया
'गांव वालों का दावा ये भेड़िया ही है' : डीएफओ के बयान से अलग ग्रामीण धर्मराज कुमार ने बताया कि यह भेड़िए का ही झुंड है. सियार होने की लोग बात कह रहे हैं, जो गलत है. यह भेड़िया ही है, जो अचानक हमला कर रहे हैं और लोगों को शिकार बनाने की फिराक में रह रहे हैं. अब हम लोग भेड़ियों के झुंड के डर से शाम ढलते ही घरों में दुबक जाते हैं. डर का साया बना हुआ है.
"ये भेड़िया ही है. झुंड में आ रहे हैं और हमला करके भाग जा रहे हैं. कुछ लोग सियार बता रहे हैं जो कि गलत है. ये भेड़िया किले में ही अपना ठिकाना बनाया हुआ है. अब तक कई लोगों को काटकर जख्मी कर चुका है."- धर्मराज कुमार, ग्रामीण मकसूदपुर
भेड़ियों का झुंड हो सकता है: वहीं इस संबंध में मौके पर मौजूद वनरक्षी अरुण कुमार यादव ने बताया कि यह भेड़ियों का झुंड हो सकता है. लोगों ने हमले के जो प्रकार बताए हैं, उससे संभावना है, कि यह भेड़ियों का झुंड हो सकता है. हम लोगों ने पिंजरा लगा दिया है. चारों ओर देखा जा रहा है. कई वनरक्षी इस कार्य में लगाए गए हैं, ताकि भेड़िये को पकड़ा जा सके. फिलहाल भेड़िए पकड़ में नहीं आए हैं, लेकिन उन्हें देखा जरूर जा रहा है.
"हमले का जो प्रकार स्थानीय लोग बता रहे हैं उसके मुताबिक भेड़िए का झुंड हो सकता है. हम लोगों ने पिंजरा लगा दिया. चारों ओर देखा जा रहा है. अभी तक भेड़िये का फुट प्रिंट भी नहीं मिला है. न ही संदिग्ध जानवर को पकड़ने में कामयाबी नहीं मिली है."- अरुण कुमार यादव, वनरक्षी
40 बीघे में फैला है खंडहर हो चुका किला : मकसूदपुर स्टेट कभी मगध शासन की रौनक हुआ करता था. 1934 तक इस किले में राजाओं ने निवास किया. इस किले की देखभाल करने वाले किले के वंशज अजय सिंह बताते हैं कि पहले राजा पीतांबर सिंह बहादुर थे जिनके शासन काल 1763 से 1824 तक चला. बाद में रामेश्वर प्रसाद सिंह और चंदेश्वर नारायण सिंह यहां के मकसूदपुर स्टेट के राजा बने. वक्त के साथ ये अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. गांव वालों के मुताबिक इन्हीं जंगलनुमा खंडहरों में भेड़िए छुपे हैं.
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