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टेंडर घोटाला: ग्रामीण विकास विभाग में बिना रिश्वत नहीं होता था कोई काम, कई सफेदपोश और अफसरों के खिलाफ भी लाभ लेने के साक्ष्य - Tender scam in Jharkhand

Tender scam in Jharkhand. झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर घोटाले की जांच में जुटी ईडी जल्द ही मामले में चार्जशीट दायर करने वाली है. अब तक की जांच में यह खुलासा हुआ है कि ग्रामीण विकास विभाग में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता था. एजेंसी के पूछताछ में दो दर्जन से ज्यादा पूर्व और वर्तमान इंजीनियरों ने रिश्वत लेने की बात स्वीकार की है.

TENDER SCAM IN JHARKHAND
रांची में ईडी ऑफिस (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 15, 2024, 5:52 PM IST

रांची: झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है. सूत्रों के अनुसार ईडी को अपनी जांच में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं. ग्रामीण विकास विभाग में हुए टेंडर घोटाले को लेकर अब तक ईडी ने 32 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, विभाग के मंत्री रहे आलमगीर आलम सहित आधा दर्जन लोग गिरफ्तार किए गए हैं.

पूछताछ में दो दर्जन से ज्यादा पूर्व और वर्तमान अभियंताओं ने खुद एजेंसी के सामने रिश्वत लेने की बात भी स्वीकार की है. रिश्वत लेने के बयान को ईडी अपनी चार्जशीट में भी शामिल करने वाली है. दरअसल ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग में वर्तमान में कार्यरत इंजीनियरों के अलावा रिटायर हो चुके दूसरे विभागों में अब पोस्टेड दो दर्जन से अधिक इंजीनियरों से पूछताछ की है, सभी ने विभागीय स्तर पर प्रत्येक टेंडर में कमीशनखोरी की बात स्वीकार की है.

एल वन को नजरअंदाज कर चेहतों को दिया गया काम

ईडी सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग में काम आवंटन पर विभागीय मंत्री, सचिव, चीफ इंजीनियर के स्तर पर कमीशनखोरी होती थी, जबकि काम होने पर बिल पेमेंट के अलग-अलग स्तर पर भी इंजीनियरों का पैसा बंधा होता था. ग्रामीण सड़कों के टेंडर में कमीशन लेने के लिए इंजीनियर एल वन ठेकेदारों को भी नजरअंदाज कर देते थे. ज्यादा से ज्यादा कमीशन की उगाही हो इसके लिए एल वन ठेकेदारों को अयोग्य करार दिया जाता था. ऐसा कर इंजीनियरों ने अधिकतर योजनाओं में सरकार को नुकसान पहुंचाया. जिस योजना का काम कम राशि में होता था, उसे अधिक राशि में पूरा करवाया जाता था. ऐसा करके इंजीनियर खुद अपनी जेब भरते थे.

जिन ठेकेदारों को पैरवी या ज्यादा कमीशन देकर काम लेना होता था, वे टेंडर के समय एस्टीमेट के बराबर या उसे मामूली कम रेट भरते थे, क्योंकि वह जानते थे कि उन्हें ही काम मिलेगा. दूसरा ठेकेदार कितना भी रेट कम क्यों ना डालें उसे पहले ही टेक्निकल बीट में छांट दिया जाता था, जिसे काम देना है और जो उसकी सहयोगी बेड वाला है उन्हें दो को पास किया जाता था.

संजीव लाल के यहां रेड के बाद शुरू हुई थी कार्रवाई

ईडी ने टेंडर आवंटन में कमीशनखोरी के मामले में कार्रवाई करते हुए 6 मई को तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम के पीए संजीव लाल के नौकर के फ्लैट से 32.20 लाख बरामद किया था, जबकि छापेमारी के दौरान कुल 37.54 करोड़ रुपए अब तक बरामद हुए हैं. छापेमारी के बाद ईडी ने समन भेजकर विभाग के वैसे सभी इंजीनियरों से पूछताछ पूरी कर ली है, जो कमीशन के पैसे से लाभान्वित हुए हैं. ईडी ने पीएमएलए 50 के तहत सभी को समन कर उनका बयान लिया है.

6 जुलाई के पहले ईडी करेगी चार्जशीट

ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग टेंडर में कमीशनखोरी के मामले में ईडी 6 जुलाई के पूर्व ही चार्जशीट दायर करेगी. जिसमे तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम, संजीव लाल, जहांगीर आलम को आरोपित किया जाएगा. वहीं, विभागीय स्तर पर कमीशनखोरी की जांच आगे भी जारी रहेगी. ईडी ने कई सफेदपोश और अफसरों के खिलाफ भी लाभान्वित होने के साक्ष्य पाए हैं, ईडी अब उन लोगों का भी बयान दर्ज करेगी.

ये भी पढ़ें:

झारखंड टेंडर घोटाला: जिस ठिकाने से मिले थे 32 करोड़ वहां फिर पहुंची ईडी की टीम - ED raid in Ranchi

ग्रामीण विकास विभाग में कमीशन के खेल कौन-कौन थे शामिल, कुंडली खंगाल रही ईडी, इंजीनियर से लेकर ठेकेदारों की नींद गायब - Alamgir Alam Case

रांची: झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है. सूत्रों के अनुसार ईडी को अपनी जांच में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं. ग्रामीण विकास विभाग में हुए टेंडर घोटाले को लेकर अब तक ईडी ने 32 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, विभाग के मंत्री रहे आलमगीर आलम सहित आधा दर्जन लोग गिरफ्तार किए गए हैं.

पूछताछ में दो दर्जन से ज्यादा पूर्व और वर्तमान अभियंताओं ने खुद एजेंसी के सामने रिश्वत लेने की बात भी स्वीकार की है. रिश्वत लेने के बयान को ईडी अपनी चार्जशीट में भी शामिल करने वाली है. दरअसल ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग में वर्तमान में कार्यरत इंजीनियरों के अलावा रिटायर हो चुके दूसरे विभागों में अब पोस्टेड दो दर्जन से अधिक इंजीनियरों से पूछताछ की है, सभी ने विभागीय स्तर पर प्रत्येक टेंडर में कमीशनखोरी की बात स्वीकार की है.

एल वन को नजरअंदाज कर चेहतों को दिया गया काम

ईडी सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग में काम आवंटन पर विभागीय मंत्री, सचिव, चीफ इंजीनियर के स्तर पर कमीशनखोरी होती थी, जबकि काम होने पर बिल पेमेंट के अलग-अलग स्तर पर भी इंजीनियरों का पैसा बंधा होता था. ग्रामीण सड़कों के टेंडर में कमीशन लेने के लिए इंजीनियर एल वन ठेकेदारों को भी नजरअंदाज कर देते थे. ज्यादा से ज्यादा कमीशन की उगाही हो इसके लिए एल वन ठेकेदारों को अयोग्य करार दिया जाता था. ऐसा कर इंजीनियरों ने अधिकतर योजनाओं में सरकार को नुकसान पहुंचाया. जिस योजना का काम कम राशि में होता था, उसे अधिक राशि में पूरा करवाया जाता था. ऐसा करके इंजीनियर खुद अपनी जेब भरते थे.

जिन ठेकेदारों को पैरवी या ज्यादा कमीशन देकर काम लेना होता था, वे टेंडर के समय एस्टीमेट के बराबर या उसे मामूली कम रेट भरते थे, क्योंकि वह जानते थे कि उन्हें ही काम मिलेगा. दूसरा ठेकेदार कितना भी रेट कम क्यों ना डालें उसे पहले ही टेक्निकल बीट में छांट दिया जाता था, जिसे काम देना है और जो उसकी सहयोगी बेड वाला है उन्हें दो को पास किया जाता था.

संजीव लाल के यहां रेड के बाद शुरू हुई थी कार्रवाई

ईडी ने टेंडर आवंटन में कमीशनखोरी के मामले में कार्रवाई करते हुए 6 मई को तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम के पीए संजीव लाल के नौकर के फ्लैट से 32.20 लाख बरामद किया था, जबकि छापेमारी के दौरान कुल 37.54 करोड़ रुपए अब तक बरामद हुए हैं. छापेमारी के बाद ईडी ने समन भेजकर विभाग के वैसे सभी इंजीनियरों से पूछताछ पूरी कर ली है, जो कमीशन के पैसे से लाभान्वित हुए हैं. ईडी ने पीएमएलए 50 के तहत सभी को समन कर उनका बयान लिया है.

6 जुलाई के पहले ईडी करेगी चार्जशीट

ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग टेंडर में कमीशनखोरी के मामले में ईडी 6 जुलाई के पूर्व ही चार्जशीट दायर करेगी. जिसमे तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम, संजीव लाल, जहांगीर आलम को आरोपित किया जाएगा. वहीं, विभागीय स्तर पर कमीशनखोरी की जांच आगे भी जारी रहेगी. ईडी ने कई सफेदपोश और अफसरों के खिलाफ भी लाभान्वित होने के साक्ष्य पाए हैं, ईडी अब उन लोगों का भी बयान दर्ज करेगी.

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