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उत्तराखंड में इस IAS अधिकारी ने टाली बड़ी मुसीबत, क्विक डिसीजन से किया कमाल, नहीं तो वायनाड जैसे हो सकते थे हालात - Tehri Tingarh Village Landslide

Tehri DM Mayur DIxit, Tingarh Village Landslide केरल के वायनाड में भूस्खलन के चलते अब तक 184 लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं ठीक इसी तरह से हालत बीती 27 जुलाई को उत्तराखंड के टिहरी जिले के तिनगढ़ गांव में भी हो सकते थे. जहां चंद मिनटों में कई घर भूस्खलन में दब गए, लेकिन डीएम मयूर दीक्षित की दूरदर्शिता और तत्काल लिए एक फैसले ने कई जिंदगियां बचा ली. यहां लोगों की जान तो दूर की बात, एक मवेशी तक की भी जान नहीं गई. जानिए कैसे एक IAS अफसर ने टाली बड़ी मुसीबत...

Tingarh Village Landslide
डीएम मयूर दीक्षित बने मिसाल (फोटो- ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 31, 2024, 9:23 PM IST

Updated : Aug 2, 2024, 10:57 PM IST

टिहरी डीएम के फैसले से टला बड़ा हादसा (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून (उत्तराखंड): केरल के वायनाड भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 184 हो चुकी है. जबकि, 130 लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच में जूझ रहे हैं तो वहीं 170 लोग अभी भी लापता हैं. भूस्खलन की इस घटना ने कई गांव के लोगों को बिल्कुल भी संभलने का तक मौका नहीं दिया. आज यह एक बड़ी त्रासदी सबके सामने है. ठीक इसी तरह की त्रासदी उत्तराखंड में भी होते-होते टली है.

Tingarh Village Landslide
टिहरी के तिनगढ़ गांव में लैंडस्लाइड (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

दरअसल, बीती 27 जुलाई को उत्तराखंड में भी ऐसे ही एक पूरा का पूरा गांव भूस्खलन की चपेट में आया, लेकिन उत्तराखंड की कहानी बिल्कुल अलग है. यहां पर भूस्खलन की चपेट में आया गांव तो मलबे में तब्दील तो हो गया है, लेकिन गांव में किसी भी शख्स की जान नहीं गई. इतना ही नहीं किसी एक मवेशी को भी नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन ऐसा कैसे हो गया? इस बात को लेकर उत्तराखंड में ऊपर से लेकर तक नीचे तक चर्चा है. इसके पीछे केवल और केवल एक आईएएस (IAS) अधिकारी की सूझबूझ और उनकी दूरदर्शिता है.

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तिनगढ़ गांव में सैलाब (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

टिहरी जिले के बूढ़ा केदार क्षेत्र में बरसी आसमानी आफत: उत्तराखंड में भी इन दिनों मानसून अपने चरम पर है. लगातार प्रदेश दैवीय आपदाओं से जूझ रहा है. इसी के चलते बीते 26, 27 और 28 जुलाई को उत्तराखंड के कई जिलों के मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया था. इस दौरान टिहरी जिले के बूढ़ा केदार क्षेत्र में बहने वाली बालगंगा नदी ऊपरी इलाकों में हुई भारी बारिश के चलते उफान पर थी. 26 जुलाई को टिहरी जिले बालगंगा तहसील में भारी नुकसान हुआ. जहां टोली गांव में रात के समय एक घर में मलबा घुसने से मां और बेटी की मौत हो गई.

टिहरी डीएम मयूर दीक्षित से फोन पर बातचीत (वीडियो- ETV Bharat)

डीएम को नजर आया था तिनगढ़ गांव के ऊपर हल्का पानी का रिसाव: अचानक इस इलाके में बिगड़े हालातों को देखते हुए खुद टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने मोर्चा संभाला और मौके पर पहुंच गए. जहां पर मां-बेटी की मौत हुई थी, वहां पर हालातों का जायजा लिया. फिर डीएम दीक्षित ने अन्य प्रभावित इलाकों का भी जायजा लिया. जहां पर उन्हें तिनगढ़ गांव के ऊपर हल्का पानी का रिसाव नजर आया. जिसे लेकर उन्होंने अपने सभी टेक्निकल एक्सपर्ट और अनुभवी लोगों के साथ चर्चा किया.

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टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

वहीं, चर्चा के बाद फैसला लिया कि इस पूरे के पूरे गांव को खाली करवाया जाना चाहिए. हालांकि, उस समय हालात बिलकुल सामान्य थे और किसी को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही घंटे के बाद मंजर क्या होने वाला है. ऐसे में एहतियातन जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देश पर पूरे गांव को खाली कर दिया गया. इसके बाद तो टिहरी का तिनगढ़ गांव में पहाड़ी से सैलाब आ गया और चंद मिनटों में गांव मलबे में तब्दील हो गया.

टिहरी डीएम मयूर दीक्षित बोले- पहले नजर नहीं आ रहा था बदलाव: टिहरी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित बताते हैं कि जब वो तिनगढ़ गांव में पहुंचे थे तो सामान्य रूप से कोई बहुत बड़े बदलाव नजर नहीं आ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद भी उनके सामने एक विकल्प था कि वो गांव को खाली करवा कर कहीं दूसरी जगह पर शिफ्ट करवा दें. हालांकि, उन्हें इस फैसले को लेने में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा.

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राहत शिविर में ठहरे लोगों के लिए खाने की व्यवस्था (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

बिना किसी आपदा के ग्रामीणों को शिफ्ट करना था बड़ा टास्क: डीएम मयूर दीक्षित बताते हैं कि पूरे के पूरे गांव को बिना किसी आपदा के शिफ्ट करना निश्चित तौर से एक बड़ा टास्क था. इसके अलावा लोगों को समझाना भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी. हालांकि, उन्होंने फैसला ले लिया था कि वो किसी तरह का जोखिम नहीं उठा सकते हैं. उन्होंने तत्काल ही गांव के लोगों को समझाया और सभी को गांव खाली करने के लिए मना लिया. जिसके बाद पूरे गांव को जिला प्रशासन ने पास में ही मौजूद राजकीय विद्यालय में शिफ्ट किया.

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अपने मवेशियों को ले जाते ग्रामीण (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

ग्रामीणों को शिफ्ट करने के 2 से 3 घंटे बाद ही पूरा गांव सैलाब में बहा: उन्होंने बताया कि गांव के लोगों को शिफ्ट करने के तकरीबन 2 से 3 घंटे बाद का मंजर पूरे देश ने देखा. उन्होंने देखा कि किस तरह से देखते ही देखते एक पूरा गांव भूस्खलन की चपेट में आ गया, लेकिन इन तस्वीरों को देखने वाले हर एक व्यक्ति के मन में आज भी ये सवाल है कि आखिर इतने बड़े हादसे में किसी एक भी व्यक्ति की मौत न होना. जिला प्रशासन, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

तिनगढ़ गांव में मौजूद थे 200 लोग, 30 मकान पूरी तरह से तबाह: डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि जिस समय गांव खाली करवाया गया था, उस समय गांव में 75 परिवार के करीब 200 लोग मौजूद थे. वहीं, गांव में तकरीबन 50 घर रहे होंगे, जो कि घटना के बाद पूरी तरह से खंडहर बन चुके हैं. गांव के तकरीबन 30 मकान पूरी तरह से तबाह हो गए हैं. कुछ घर रहने लायक है, लेकिन गांव की स्थिति अभी रहने लायक नहीं है. दूसरी जगह पर विस्थापन की जरूरत पड़ेगी.

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आपदाग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण करते डीएम मयूर दीक्षित (पीले कपड़े में) (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

राहत शिविर में रह रहे ग्रामीण: डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि तिनगढ़ गांव में तकरीबन 75 परिवारों के 150 से ज्यादा लोग रहते हैं. जब उन्होंने गांव को खाली करवाया तो लोगों ने अपनी कुछ जरूरत के सामान निकाल लिए थे. उन्हें सरकारी स्कूल में ठहराए गया है. जहां जिला प्रशासन की ओर से सभी तरह की जरूरी सुविधाएं दी जा रही है.

टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित बने मिसाल: वहीं, डीएम दीक्षित के इस फैसले से आज कई लोगों की जान बची है, इस बात को ग्रामीण भी मान रहे हैं. एक अच्छा आपदा प्रबंधन और सही फैसले से किस तरह से आने वाली मुसीबत को टाला जा सकता है या किस तरह से जानें बचाई जा सकती है, इसको लेकर आज टिहरी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित एक नई मिसाल बन चुके हैं.

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ग्राउंड जीरो पर उतरे डीएम मयूर दीक्षित (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि: टिहरी जिले में टले इस हादसे के बाद राज्य आपदा प्रबंधन और उत्तराखंड सरकार भी राहत की सांस ले रही है. खुद आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन बताते हैं कि यह उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. खुशी की बात है कि समय रहते पूरे गांव को जिला प्रशासन ने खाली करवा दिया और किसी भी तरह की जान का नुकसान नहीं हुआ है.

आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आपदा प्रोटोकॉल के अनुसार हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जान बचाने की होती है. यदि हम एक जान भी बचा पाते हैं तो यह भी हमारे लिए बड़ी उपलब्धि होती है. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है.

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आपदा पीड़ितों की समस्या सुनते डीएम मयूर दीक्षित (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

कैबिनेट मंत्रियों ने की डीएम मयूर दीक्षित की तारीफ: वहीं, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी टिहरी के जिलाधिकारी के इस फैसले की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि हमें आज आपदा प्रबंधन के तौर पर इस तरह के अधिकारियों से सीख लेनी चाहिए. किस तरह से त्वरित और तत्काल फैसले लिए जाते हैं. किस तरह से हालातों का जायजा लेते हुए आपदा प्रबंधन के तमाम प्रोटोकॉल के अनुसार जानें बचाई जाती है, यह आज टिहरी के जिलाधिकारी से सीखने की जरूरत है.

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टिहरी डीएम के फैसले से टला बड़ा हादसा (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून (उत्तराखंड): केरल के वायनाड भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 184 हो चुकी है. जबकि, 130 लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच में जूझ रहे हैं तो वहीं 170 लोग अभी भी लापता हैं. भूस्खलन की इस घटना ने कई गांव के लोगों को बिल्कुल भी संभलने का तक मौका नहीं दिया. आज यह एक बड़ी त्रासदी सबके सामने है. ठीक इसी तरह की त्रासदी उत्तराखंड में भी होते-होते टली है.

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दरअसल, बीती 27 जुलाई को उत्तराखंड में भी ऐसे ही एक पूरा का पूरा गांव भूस्खलन की चपेट में आया, लेकिन उत्तराखंड की कहानी बिल्कुल अलग है. यहां पर भूस्खलन की चपेट में आया गांव तो मलबे में तब्दील तो हो गया है, लेकिन गांव में किसी भी शख्स की जान नहीं गई. इतना ही नहीं किसी एक मवेशी को भी नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन ऐसा कैसे हो गया? इस बात को लेकर उत्तराखंड में ऊपर से लेकर तक नीचे तक चर्चा है. इसके पीछे केवल और केवल एक आईएएस (IAS) अधिकारी की सूझबूझ और उनकी दूरदर्शिता है.

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डीएम को नजर आया था तिनगढ़ गांव के ऊपर हल्का पानी का रिसाव: अचानक इस इलाके में बिगड़े हालातों को देखते हुए खुद टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने मोर्चा संभाला और मौके पर पहुंच गए. जहां पर मां-बेटी की मौत हुई थी, वहां पर हालातों का जायजा लिया. फिर डीएम दीक्षित ने अन्य प्रभावित इलाकों का भी जायजा लिया. जहां पर उन्हें तिनगढ़ गांव के ऊपर हल्का पानी का रिसाव नजर आया. जिसे लेकर उन्होंने अपने सभी टेक्निकल एक्सपर्ट और अनुभवी लोगों के साथ चर्चा किया.

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टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

वहीं, चर्चा के बाद फैसला लिया कि इस पूरे के पूरे गांव को खाली करवाया जाना चाहिए. हालांकि, उस समय हालात बिलकुल सामान्य थे और किसी को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही घंटे के बाद मंजर क्या होने वाला है. ऐसे में एहतियातन जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देश पर पूरे गांव को खाली कर दिया गया. इसके बाद तो टिहरी का तिनगढ़ गांव में पहाड़ी से सैलाब आ गया और चंद मिनटों में गांव मलबे में तब्दील हो गया.

टिहरी डीएम मयूर दीक्षित बोले- पहले नजर नहीं आ रहा था बदलाव: टिहरी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित बताते हैं कि जब वो तिनगढ़ गांव में पहुंचे थे तो सामान्य रूप से कोई बहुत बड़े बदलाव नजर नहीं आ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद भी उनके सामने एक विकल्प था कि वो गांव को खाली करवा कर कहीं दूसरी जगह पर शिफ्ट करवा दें. हालांकि, उन्हें इस फैसले को लेने में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा.

Tingarh Village Landslide
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अपने मवेशियों को ले जाते ग्रामीण (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

ग्रामीणों को शिफ्ट करने के 2 से 3 घंटे बाद ही पूरा गांव सैलाब में बहा: उन्होंने बताया कि गांव के लोगों को शिफ्ट करने के तकरीबन 2 से 3 घंटे बाद का मंजर पूरे देश ने देखा. उन्होंने देखा कि किस तरह से देखते ही देखते एक पूरा गांव भूस्खलन की चपेट में आ गया, लेकिन इन तस्वीरों को देखने वाले हर एक व्यक्ति के मन में आज भी ये सवाल है कि आखिर इतने बड़े हादसे में किसी एक भी व्यक्ति की मौत न होना. जिला प्रशासन, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

तिनगढ़ गांव में मौजूद थे 200 लोग, 30 मकान पूरी तरह से तबाह: डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि जिस समय गांव खाली करवाया गया था, उस समय गांव में 75 परिवार के करीब 200 लोग मौजूद थे. वहीं, गांव में तकरीबन 50 घर रहे होंगे, जो कि घटना के बाद पूरी तरह से खंडहर बन चुके हैं. गांव के तकरीबन 30 मकान पूरी तरह से तबाह हो गए हैं. कुछ घर रहने लायक है, लेकिन गांव की स्थिति अभी रहने लायक नहीं है. दूसरी जगह पर विस्थापन की जरूरत पड़ेगी.

Tingarh Village Landslide
आपदाग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण करते डीएम मयूर दीक्षित (पीले कपड़े में) (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

राहत शिविर में रह रहे ग्रामीण: डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि तिनगढ़ गांव में तकरीबन 75 परिवारों के 150 से ज्यादा लोग रहते हैं. जब उन्होंने गांव को खाली करवाया तो लोगों ने अपनी कुछ जरूरत के सामान निकाल लिए थे. उन्हें सरकारी स्कूल में ठहराए गया है. जहां जिला प्रशासन की ओर से सभी तरह की जरूरी सुविधाएं दी जा रही है.

टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित बने मिसाल: वहीं, डीएम दीक्षित के इस फैसले से आज कई लोगों की जान बची है, इस बात को ग्रामीण भी मान रहे हैं. एक अच्छा आपदा प्रबंधन और सही फैसले से किस तरह से आने वाली मुसीबत को टाला जा सकता है या किस तरह से जानें बचाई जा सकती है, इसको लेकर आज टिहरी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित एक नई मिसाल बन चुके हैं.

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ग्राउंड जीरो पर उतरे डीएम मयूर दीक्षित (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि: टिहरी जिले में टले इस हादसे के बाद राज्य आपदा प्रबंधन और उत्तराखंड सरकार भी राहत की सांस ले रही है. खुद आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन बताते हैं कि यह उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. खुशी की बात है कि समय रहते पूरे गांव को जिला प्रशासन ने खाली करवा दिया और किसी भी तरह की जान का नुकसान नहीं हुआ है.

आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि आपदा प्रोटोकॉल के अनुसार हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जान बचाने की होती है. यदि हम एक जान भी बचा पाते हैं तो यह भी हमारे लिए बड़ी उपलब्धि होती है. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है.

Tingarh Village Landslide
आपदा पीड़ितों की समस्या सुनते डीएम मयूर दीक्षित (फोटो सोर्स- Tehri District Administration)

कैबिनेट मंत्रियों ने की डीएम मयूर दीक्षित की तारीफ: वहीं, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी टिहरी के जिलाधिकारी के इस फैसले की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि हमें आज आपदा प्रबंधन के तौर पर इस तरह के अधिकारियों से सीख लेनी चाहिए. किस तरह से त्वरित और तत्काल फैसले लिए जाते हैं. किस तरह से हालातों का जायजा लेते हुए आपदा प्रबंधन के तमाम प्रोटोकॉल के अनुसार जानें बचाई जाती है, यह आज टिहरी के जिलाधिकारी से सीखने की जरूरत है.

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Last Updated : Aug 2, 2024, 10:57 PM IST
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