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UP में शिक्षकों को बड़ी राहत; डिजिटल हाजिरी पर 2 महीने की रोक; अब कमेटी करेगी पूरे मामले का निस्तारण - Teachers Digital Attendance System

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 16, 2024, 2:22 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 2:54 PM IST

उत्तर प्रदेश में सरकारी टीचरों की डिजिटल हाजिरी का सिस्टम लागू किए जाने के बाद से भारी विरोध शुरू हो गया था. शिक्षकों ने सामूहिक इस्तीफा देना शुरू कर दिया था. इसके बाद सरकार अब बैकफुट पर आ गई है.

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लखनऊ में शिक्षा भवन के सामने प्रदर्शन करते शिक्षक. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)

लखनऊ: सरकारी टीचरों के डिजिटल हाजिरी का विरोध करने के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बैकफुट पर आ गई है. शासन की ओर से उत्तर प्रदेश में डिजिटल अटेंडेंस को होल्ड कर दिया गया है. यानी अब सरकारी टीचरों की डिजिटल हाजिरी पर रोक लग गई है.

यह रोक दो महीने के लिए रहेगी. यानी ऑनलाइन एटेंडेंस सिस्टम दो महीने तक लागू नहीं होगा. बेसिक शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने बताया कि मामले को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है, जो इस पूरे प्रकरण का निस्तारण करेगी.

प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर बीते 8 जुलाई से शिक्षक को के विरोध के बाद विभाग बैकफुट पर आ गया है. शिक्षकों के विरोध के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षक कंचन वर्मा ने ऑनलाइन अटेंडेंस की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी है. साथ ही उन्होंने शिक्षकों की सभी मांगों को पूरा करने के लिए एक हाई पावर कमेटी के गठन करने की भी बात कही है.

उन्होंने बताया कि यह कमेटी अगले 6 महीने में शिक्षकों की विभिन्न मांगों पर विचार करेगी और उसे कैसे लागू किया जाए, इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को प्रस्तुत करेगी. मुख्य सचिव और शिक्षक संगठनों के साथ हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया. इस बैठक में प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा, महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष बेसिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी आदि मौजूद थे.

शिक्षकों की क्या हैं मांगें

  • ऑनलाइन डिजिटल उपस्थित शिक्षकों की सेवा के परिस्थिति के दृष्टिगत नियमों व सेवा शर्तों के विपरीत है, इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए.
  • सभी परिषदीय शिक्षकों को अन्य कर्मचारियों की तरह 30 अर्जित अवकाश, 15 हाफ-डे अवकाश, 15 आकस्मिक अवकाश, अवकाश में बुलाए जाने पर प्रतिकर अवकाश प्रदान किया जाए.
  • सभी शिक्षकों, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए.
  • सभी विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद बहाल करते हुए पदोन्नति की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाए.
  • शिक्षामित्र, अनुदेशक जो वर्षों से विभाग में काम कर रहे हैं, उन्हें नियमित किया जाए.
  • आरटीई एक्ट 2009 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त किया जाए.
  • प्रदेश के समस्त शिक्षकों, शिक्षामित्र अनुदेशकों को सामूहिक बीमा, कैशलेस चिकित्सा आदि से अच्छादित किया जाए.

8 जुलाई से प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे थे शिक्षक: बता दें कि बीते 5 जुलाई को महानिदेशक स्कूल शिक्षा की तरफ से 8 जुलाई को प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने का आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के बाद प्रदेश के लगभग 1,32,000 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब 4 लाख 50,000 से अधिक शिक्षक इसके विरोध में उतर आए थे.

एक सप्ताह में प्रदेश के सभी बेसिक विद्यालयों में एक प्रतिशत शिक्षकों ने भी ऑनलाइन उपस्थिति नहीं दर्ज कराई थी. इसके साथ ही उनका विरोध लगातार बढ़ता जा रहा था. शिक्षकों ने संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में 29 जुलाई को पूरे प्रदेश के शिक्षकों के साथ महानिदेशक कार्यालय पर धरने का भी ऐलान किया था. प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों पर शिक्षकों द्वारा अपनी मांगों और ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में लगातार शिक्षा विभाग के अधिकारियों और जिला अधिकारियों को ज्ञापन दिया जा रहा था.

रामपुर में शिक्षकों ने दिया सामूहिक इस्तीफा: बता दें कि इससे पहले ऑनलाइन अटेंडेंस के सरकारी फरमान के विरुद्ध सरकारी टीचर लामबंध हो गए थे. पिछले 8 दिन से हड़ताल पर बैठे शिक्षकों को जब उनके धरने प्रदर्शन के बावजूद सरकार से कोई राहत नहीं मिली तो सामूहिक रूप से उन्होंने संकुल पद से त्यागपत्र देने का फैसला किया. बता दें रामपुर में 375 शिक्षकों ने पद से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी.

बेसिक शिक्षक पिछले एक सप्ताह से ऑनलाइन अटेंडेंस का विरोध कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष कैलाश बाबू पटेल और जिला मंत्री आनंद प्रकाश गुप्ता ने संकुल शिक्षको एआरपी व एसआरजी से अतिरिक्त कार्यों के संबंध में सभी से त्यागपत्र देने को कहा था. उसी आदेश को लेकर जनपद में 375 संकुल शिक्षकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया है. हालांकि शिक्षक एकजुट होकर डटे हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः हजारों शिक्षकों ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ खोला मोर्चा, CM YOGI के समक्ष रखी ये मांगें

लखनऊ: सरकारी टीचरों के डिजिटल हाजिरी का विरोध करने के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बैकफुट पर आ गई है. शासन की ओर से उत्तर प्रदेश में डिजिटल अटेंडेंस को होल्ड कर दिया गया है. यानी अब सरकारी टीचरों की डिजिटल हाजिरी पर रोक लग गई है.

यह रोक दो महीने के लिए रहेगी. यानी ऑनलाइन एटेंडेंस सिस्टम दो महीने तक लागू नहीं होगा. बेसिक शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने बताया कि मामले को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है, जो इस पूरे प्रकरण का निस्तारण करेगी.

प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर बीते 8 जुलाई से शिक्षक को के विरोध के बाद विभाग बैकफुट पर आ गया है. शिक्षकों के विरोध के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षक कंचन वर्मा ने ऑनलाइन अटेंडेंस की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी है. साथ ही उन्होंने शिक्षकों की सभी मांगों को पूरा करने के लिए एक हाई पावर कमेटी के गठन करने की भी बात कही है.

उन्होंने बताया कि यह कमेटी अगले 6 महीने में शिक्षकों की विभिन्न मांगों पर विचार करेगी और उसे कैसे लागू किया जाए, इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को प्रस्तुत करेगी. मुख्य सचिव और शिक्षक संगठनों के साथ हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया. इस बैठक में प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा, महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष बेसिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी आदि मौजूद थे.

शिक्षकों की क्या हैं मांगें

  • ऑनलाइन डिजिटल उपस्थित शिक्षकों की सेवा के परिस्थिति के दृष्टिगत नियमों व सेवा शर्तों के विपरीत है, इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए.
  • सभी परिषदीय शिक्षकों को अन्य कर्मचारियों की तरह 30 अर्जित अवकाश, 15 हाफ-डे अवकाश, 15 आकस्मिक अवकाश, अवकाश में बुलाए जाने पर प्रतिकर अवकाश प्रदान किया जाए.
  • सभी शिक्षकों, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए.
  • सभी विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद बहाल करते हुए पदोन्नति की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाए.
  • शिक्षामित्र, अनुदेशक जो वर्षों से विभाग में काम कर रहे हैं, उन्हें नियमित किया जाए.
  • आरटीई एक्ट 2009 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त किया जाए.
  • प्रदेश के समस्त शिक्षकों, शिक्षामित्र अनुदेशकों को सामूहिक बीमा, कैशलेस चिकित्सा आदि से अच्छादित किया जाए.

8 जुलाई से प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे थे शिक्षक: बता दें कि बीते 5 जुलाई को महानिदेशक स्कूल शिक्षा की तरफ से 8 जुलाई को प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने का आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के बाद प्रदेश के लगभग 1,32,000 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब 4 लाख 50,000 से अधिक शिक्षक इसके विरोध में उतर आए थे.

एक सप्ताह में प्रदेश के सभी बेसिक विद्यालयों में एक प्रतिशत शिक्षकों ने भी ऑनलाइन उपस्थिति नहीं दर्ज कराई थी. इसके साथ ही उनका विरोध लगातार बढ़ता जा रहा था. शिक्षकों ने संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में 29 जुलाई को पूरे प्रदेश के शिक्षकों के साथ महानिदेशक कार्यालय पर धरने का भी ऐलान किया था. प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों पर शिक्षकों द्वारा अपनी मांगों और ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में लगातार शिक्षा विभाग के अधिकारियों और जिला अधिकारियों को ज्ञापन दिया जा रहा था.

रामपुर में शिक्षकों ने दिया सामूहिक इस्तीफा: बता दें कि इससे पहले ऑनलाइन अटेंडेंस के सरकारी फरमान के विरुद्ध सरकारी टीचर लामबंध हो गए थे. पिछले 8 दिन से हड़ताल पर बैठे शिक्षकों को जब उनके धरने प्रदर्शन के बावजूद सरकार से कोई राहत नहीं मिली तो सामूहिक रूप से उन्होंने संकुल पद से त्यागपत्र देने का फैसला किया. बता दें रामपुर में 375 शिक्षकों ने पद से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी.

बेसिक शिक्षक पिछले एक सप्ताह से ऑनलाइन अटेंडेंस का विरोध कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष कैलाश बाबू पटेल और जिला मंत्री आनंद प्रकाश गुप्ता ने संकुल शिक्षको एआरपी व एसआरजी से अतिरिक्त कार्यों के संबंध में सभी से त्यागपत्र देने को कहा था. उसी आदेश को लेकर जनपद में 375 संकुल शिक्षकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया है. हालांकि शिक्षक एकजुट होकर डटे हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः हजारों शिक्षकों ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ खोला मोर्चा, CM YOGI के समक्ष रखी ये मांगें

Last Updated : Jul 16, 2024, 2:54 PM IST
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