इरोड : तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के बन्नारी वन क्षेत्र में एक हथिनी की मौत हो गई. इस दौरान उसके दो बच्चों में एक 3 साल का नर और एक दो महीने की मादा भी साथ थे. हालांकि तीन साल का बच्चे को हाथियों के झुंड में शामिल कर लिया गया. लेकिन मादा बच्चे ने अपनी मां का साथ नहीं छोड़ा. इस पर वन विभाग ने मादा शावक को ठीक करने के बाद हाथियों के झुंड से मिलाने की योजना बनाई और उसमें वह कामयाब भी रहे.
बताया जाता है कि सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व वानिकी डॉक्टर सदाशिवम, मुधुमलाई टाइगर रिजर्व वानिकी डॉक्टर राजेश, कोयंबटूर प्रभागीय वानिकी डॉक्टर सुकुमार, अनाईमलाई टाइगर रिजर्व वानिकी डॉक्टर विजयरागवन, और मेघमलाई टाइगर रिजर्व वानिकी डॉक्टर कलाईवनन की एक टीम ने मां हाथी का इलाज किया. लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी.
बता दें कि 5 मार्च को हथिनी की मौत के बाद वन विभाग के सामने हाथी के दो महीने के बच्चे के देखभाल की चुनौती थी. इसको लेकर वन विभाग ने उसे शिविर में पालने या झुंड में शामिल करने पर विचार किया. हालांकि अधिकारी इस बात को लेकर यह तय नहीं कर पा रहे थे कि क्या वह अपनी मां के बिना झुंड में शामिल हो सकती है. हालांकि, उनके प्रयास तब सफल हुए जब झुंड में से एक मादा हाथी ने बच्चे को गले लगा लिया और उसे अपने साथ ले लिया.
सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर राजकुमार ने सफल पुनर्मिलन पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य बच्चे को उस झुंड के साथ फिर से मिलाना था जहां उसका भाई था. उन्होंने कहा कि ड्रोन से बारीकी से निगरानी किए जाने पर बच्चा हाथी झुंड में सहजता से शामिल हो गया है, जो अपनी मां के बिना शिशु हाथी के लिए एक दुर्लभ घटना है. हाथी के बच्चे को झुंड में शामिल कराने का वन विभाग का निर्णय सफल रहा, क्योंकि वीडियो फुटेज में उसे अपने नए परिवार के साथ सत्यमंगलम-मैसूर राष्ट्रीय राजमार्ग पार करते हुए दिखाया गया है. वहीं मृत मां हथिनी के शरीर से नमूने विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए हैं. तमिलनाडु सरकार की अतिरिक्त प्रधान सचिव, वन, सुप्रिया साहू ने वन विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद पुनर्मिलन क्षेत्र में हाथियों के बीच मजबूत सामाजिक बंधन को प्रदर्शित करता है.
ये भी पढ़ें - WATCH: कर्नाटक में जंगली हाथी के हमले से बाल-बाल बचा मजदूर, रोंगटे खड़े करने वाला वीडियो