नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार की ओर से दायर एक याचिका पर कार्मिक मंत्रालय से उचित कार्रवाई करने को कहा है. महाराष्ट्र के पुणे निवासी कुंभार ने UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज की अध्यक्षता में एक आयोग की नियुक्ति का अनुरोध किया था.
कुंभार की याचिका में जाति, विकलांगता, खेल और अन्य विशेष श्रेणियों से संबंधित फर्जी प्रमाणपत्रों के बढ़ते दुरुपयोग के बारे में गंभीर चिंता जताई गई है, जिनका कथित तौर पर प्रतिष्ठित UPSC परीक्षाओं सहित प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जा रहा है.
परीक्षाओं की अखंडता होती है कमजोर
कुंभार ने ईटीवी भारत को बताया कि ये चिंताएं अनुचित नौकरी अधिग्रहण और पदोन्नति तक फैली हुई हैं, जो परीक्षाओं की अखंडता और पारदर्शिता को कमजोर करती हैं. याचिका में पूजा खेडकर से जुड़े एक स्पेसिफिक मामले पर प्रकाश डाला गया है, जो एकप्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कैटेगरी के तहत अपना पद हासिल किया था.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनके पिता के हालिया चुनावी हलफनामे में 40 करोड़ रुपये की आय और संपत्ति का खुलासा किया गया है, जिससे गैर-क्रीमी लेयर लाभों के लिए उनकी पात्रता पर संदेह है. इसके अलावा खेडकर के मानसिक बीमारी और कई विकलांगताओं के दावों के साथ-साथ उनके द्वारा चिकित्सा जांच से बचने और पर्सनल एसेट की विसंगतियां भी उजागर हुई हैं, जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है.
'प्रमाणपत्रों का सख्ती से वेरिफिकेशन किया जाए'
कुंभार ने कहा, "मैंने माननीय राष्ट्रपति से आग्रह किया था कि वे उन व्यक्तियों की व्यापक जांच पर विचार करें, जिन्होंने अतिरिक्त अंक, नौकरी या पदोन्नति हासिल करने के लिए फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल किया हो और परीक्षा परिणाम प्रकाशित होने से पहले ऐसे प्रमाणपत्रों का सख्ती से वेरिफिकेशन किया जाए. इसके अलावा, याचिका में अहम दस्तावेजों को तत्काल जब्त करने और उनकी सुरक्षा करने के साथ-साथ गैर-क्रीमी लेयर का दर्जा पाने वाले उम्मीदवारों की संपत्ति और आय घोषणाओं की जांच करने की मांग की गई है."
निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की उम्मीद
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू ने कार्मिक मंत्रालय को मामला भेजकर, उन्हें उचित कार्रवाई करने का निर्देश देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. यह कदम भारत की प्रतियोगी परीक्षा प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने और सभी उम्मीदवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. उन्हें उम्मीद है कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाएगी, जिससे भारत की परीक्षा प्रक्रियाओं और प्रशासनिक सेवाओं की विश्वसनीयता सुरक्षित रहेगी.
कुंभार के अनुसार खेडकर का मामला किसी व्यक्ति विशेष के गलत कामों से जुड़ा नहीं है. उन्होंने कहा, "अगर इस तरह का व्यवहार जारी रहा, तो हमें नष्ट करने के लिए किसी दुश्मन की जरूरत नहीं पड़ेगी. आईएएस अधिकारी हमारे देश की रीढ़ हैं, लेकिन पूजा खेडकर जैसे लोग सिस्टम का फायदा उठाकर इस नींव को कमजोर करते हैं. इसलिए मैं संसद के सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि वे इस मामले पर सदन में चर्चा करें."
यह भी पढ़ें- पूजा खेडकर के पिता के खिलाफ पुणे में FIR दर्ज, सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप