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झारखंड की बेटी के आइडिया को मिला UK का पेटेंट, पुस्तक संरक्षित डिवाइस से रचा इतिहास, जानें पूरी कहानी - JHARKHANDS DAUGHTER GETS UK PATENT

हजारीबाग की बेटी ने पुस्तक संरक्षित रखने का फॉर्मूला बनाया है. उनके इस फार्मूले को UK सरकार ने पेटेंट कर लिया है.

JHARKHANDS DAUGHTER GETS UK PATENT
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 22, 2025, 3:19 PM IST

Updated : Jan 22, 2025, 4:30 PM IST

हजारीबाग: झारखंड की बेटी स्वीटी कुमारी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. उनके द्वारा बनाया गया फार्मूला को UK सरकार से पेटेंट मिला है. कहा जाए तो हजारीबाग में रह कर स्वीटी ने जो काम किया है वह आज सात समुंदर पार चर्चा का विषय बन गया है. स्वीटी ने ऐसा फार्मूला बनाया है कि जिससे पुस्तकों को अनंत काल तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली स्वीटी कुमारी ने पुस्तक को अनंत काल तक सुरक्षित रखने का डिवाइस बनाया है. उसके इस डिवाइस को यूके सरकार से पेटेंट मिला है. कोई भी देश या लाइब्रेरी उनके डिवाइस को पुस्तक सुरक्षित करने के लिए उपयोग में लेगा तो यूके सरकार और स्वीटी कुमारी से परमिशन लेना पड़ेगा. स्वीटी कुमारी ने पुस्तक के ऊपर एक जैकेट बनाने का आइडिया दिया है. इसमें सेंसर लगा रहेगा. जो धूप, हवा, नमी, पानी के बारे में जानकारी देगा.

स्वीटी कुमारी से खास बातचीत (ईटीवी भारत)

दरअसल, कोई भी पुस्तक किन्हीं कारणों से खराब होता है तो पहले ही पता चल जाएगा कि पुस्तक में धूप, हवा या नमी लग रही है तो उसे बचाना आसान हो जाता है. इसी आइडिया पर आधारित उन्होंने एक डिवाइस बनाया है. यह डिवाइस यूके सरकार को बेहद खास लगा. इस कारण उनके डिवाइस को उन्होंने पेटेंट कर लिया है. इस बात की जानकारी स्वीटी कुमारी ने ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए बताया. साथ ही साथ अपने जीवन के उन अन्य पहलू के बारे में भी जानकारी दी कि आखिर उनके मन में पुस्तक बचाने कि बात कहां से आई.

झारखंड की बेटी ने अपनी प्रतिभा के बल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाई है. हजारीबाग जिले में स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल की लाइब्रेरियन स्वीटी कुमारी ने पुस्तक संरक्षण के लिए डिजाइन किए गए अपने नए आइडिया के लिए यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) का पेटेंट प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है. यह डिवाइस लाइब्रेरी में किताबों को सुरक्षित रखने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.

स्वीटी कुमारी बताती हैं कि हमारे पास कई ऐसे ग्रंथ है जो धरोहर से कम नहीं हैं. जिन्हें सुरक्षित रखना हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है. वैसे धरोहर कई पुस्तकालय में संरक्षित करके रखे गए हैं. वे पुस्तक ठीक स्थिति में हैं या नहीं उसे बार-बार देखना संभव नहीं है. पांडुलिपि से लेकर मनुस्मृति की पुस्तक संजोकर रखे गए हैं. यही नहीं कई धार्मिक ग्रंथ जो हजारों हजार साल पुराने हैं उन्हें भी सहेज कर रखा गया है. क्या उनके पन्ने सुरक्षित है! बार-बार अगर उस पुस्तक को देखा जाए तो पुस्तक खराब हो सकती है.

किताब के पन्ने खराब न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वीटी कुमारी ने यह डिवाइस तैयार किया है. स्वीटी कुमारी ने कहा कि जब पुस्तक में नमी, धूप, धूल, हवा लगेगी तो सेंसर के जरिए जानकारी देगी कि अमुक पुस्तक में समस्या आ रही है. उसके बाद पुस्तकालय में मौजूद लोग उस पुस्तक को दुरुस्त कर पाएंगे. जिससे हजारों हजार साल तक पुस्तकों को सुरक्षित रखा जा सकेगा.

स्वीटी कुमारी अकाउंट्स की छात्रा हैं. अकाउंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लाइब्रेरी साइंस की शिक्षा प्राप्त की. लगभग चार साल से हजारीबाग में डीएवी स्कूल में लाइब्रेरियन के पद पर काम कर रही हैं. लाइब्रेरी में उन्होंने जब देखा कि पुस्तक खराब होते हैं तो उन्हें सुरक्षित रखने के लिए उनके मन में ये बात आई. तब से इस काम में जुट गई. उनका कहना है कि पुस्तक हमें सब कुछ देते हैं, हम पुस्तक को कुछ भी नहीं दे पाते हैं. तब उसके मन में यह आइडिया आया. जिसके बाद धीरे-धीरे काम करने में सफलता मिली है.

स्वीटी कुमारी ने कहा कि आइडिया का पेटेंट होना बड़ी बात है. इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना पड़ता. एक प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही कोई आइडिया पेटेंट होता है. अगर वह आइडिया नई नहीं है तो पेटेंट भी नहीं होगा. पेटेंट करने के लिए आइडिया यूनिक और नया होना बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि सफलता से स्कूल प्रबंधन भी काफी उत्साहित है. घर के लोग भी अपनी बेटी पर गौरव महसूस कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने डिजिटल दुनिया में रचा कीर्तिमान, झारखंड में अव्वल यूनिवर्सिटी बना

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हजारीबाग: झारखंड की बेटी स्वीटी कुमारी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. उनके द्वारा बनाया गया फार्मूला को UK सरकार से पेटेंट मिला है. कहा जाए तो हजारीबाग में रह कर स्वीटी ने जो काम किया है वह आज सात समुंदर पार चर्चा का विषय बन गया है. स्वीटी ने ऐसा फार्मूला बनाया है कि जिससे पुस्तकों को अनंत काल तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली स्वीटी कुमारी ने पुस्तक को अनंत काल तक सुरक्षित रखने का डिवाइस बनाया है. उसके इस डिवाइस को यूके सरकार से पेटेंट मिला है. कोई भी देश या लाइब्रेरी उनके डिवाइस को पुस्तक सुरक्षित करने के लिए उपयोग में लेगा तो यूके सरकार और स्वीटी कुमारी से परमिशन लेना पड़ेगा. स्वीटी कुमारी ने पुस्तक के ऊपर एक जैकेट बनाने का आइडिया दिया है. इसमें सेंसर लगा रहेगा. जो धूप, हवा, नमी, पानी के बारे में जानकारी देगा.

स्वीटी कुमारी से खास बातचीत (ईटीवी भारत)

दरअसल, कोई भी पुस्तक किन्हीं कारणों से खराब होता है तो पहले ही पता चल जाएगा कि पुस्तक में धूप, हवा या नमी लग रही है तो उसे बचाना आसान हो जाता है. इसी आइडिया पर आधारित उन्होंने एक डिवाइस बनाया है. यह डिवाइस यूके सरकार को बेहद खास लगा. इस कारण उनके डिवाइस को उन्होंने पेटेंट कर लिया है. इस बात की जानकारी स्वीटी कुमारी ने ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए बताया. साथ ही साथ अपने जीवन के उन अन्य पहलू के बारे में भी जानकारी दी कि आखिर उनके मन में पुस्तक बचाने कि बात कहां से आई.

झारखंड की बेटी ने अपनी प्रतिभा के बल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाई है. हजारीबाग जिले में स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल की लाइब्रेरियन स्वीटी कुमारी ने पुस्तक संरक्षण के लिए डिजाइन किए गए अपने नए आइडिया के लिए यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) का पेटेंट प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है. यह डिवाइस लाइब्रेरी में किताबों को सुरक्षित रखने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.

स्वीटी कुमारी बताती हैं कि हमारे पास कई ऐसे ग्रंथ है जो धरोहर से कम नहीं हैं. जिन्हें सुरक्षित रखना हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है. वैसे धरोहर कई पुस्तकालय में संरक्षित करके रखे गए हैं. वे पुस्तक ठीक स्थिति में हैं या नहीं उसे बार-बार देखना संभव नहीं है. पांडुलिपि से लेकर मनुस्मृति की पुस्तक संजोकर रखे गए हैं. यही नहीं कई धार्मिक ग्रंथ जो हजारों हजार साल पुराने हैं उन्हें भी सहेज कर रखा गया है. क्या उनके पन्ने सुरक्षित है! बार-बार अगर उस पुस्तक को देखा जाए तो पुस्तक खराब हो सकती है.

किताब के पन्ने खराब न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वीटी कुमारी ने यह डिवाइस तैयार किया है. स्वीटी कुमारी ने कहा कि जब पुस्तक में नमी, धूप, धूल, हवा लगेगी तो सेंसर के जरिए जानकारी देगी कि अमुक पुस्तक में समस्या आ रही है. उसके बाद पुस्तकालय में मौजूद लोग उस पुस्तक को दुरुस्त कर पाएंगे. जिससे हजारों हजार साल तक पुस्तकों को सुरक्षित रखा जा सकेगा.

स्वीटी कुमारी अकाउंट्स की छात्रा हैं. अकाउंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लाइब्रेरी साइंस की शिक्षा प्राप्त की. लगभग चार साल से हजारीबाग में डीएवी स्कूल में लाइब्रेरियन के पद पर काम कर रही हैं. लाइब्रेरी में उन्होंने जब देखा कि पुस्तक खराब होते हैं तो उन्हें सुरक्षित रखने के लिए उनके मन में ये बात आई. तब से इस काम में जुट गई. उनका कहना है कि पुस्तक हमें सब कुछ देते हैं, हम पुस्तक को कुछ भी नहीं दे पाते हैं. तब उसके मन में यह आइडिया आया. जिसके बाद धीरे-धीरे काम करने में सफलता मिली है.

स्वीटी कुमारी ने कहा कि आइडिया का पेटेंट होना बड़ी बात है. इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना पड़ता. एक प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही कोई आइडिया पेटेंट होता है. अगर वह आइडिया नई नहीं है तो पेटेंट भी नहीं होगा. पेटेंट करने के लिए आइडिया यूनिक और नया होना बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि सफलता से स्कूल प्रबंधन भी काफी उत्साहित है. घर के लोग भी अपनी बेटी पर गौरव महसूस कर रहे हैं.

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Last Updated : Jan 22, 2025, 4:30 PM IST
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