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स्वामी गोविंद गिरी बोले- आक्रांताओं की निशानियों को नष्ट करने के लिए काशी-मथुरा में बनना चाहिए मंदिर

Swami Govind Giri on Kashi Mathura, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी रविवार को जयपुर के दौरे पर रहे. यहां आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों से बड़ी अपील की. उन्होंने कहा कि इस देश में किसी तरह से दो समाज, दो वर्गों के कलह की गाथा न बनाते हुए आक्रांताओं द्वारा जो आक्रमण किए गए व सम्मान के स्थान ध्वस्त किए गए. उन आक्रांताओं की निशानियों को नष्ट करने के लिए काशी-मथुरा में मंदिर बनना चाहिए. अगर हम ये आपसी रजामंदी से करते हैं तो ज्यादा अच्छा होगा.

Swami Govind Giri on Kashi Mathura
Swami Govind Giri on Kashi Mathura
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 18, 2024, 7:41 PM IST

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी

जयपुर. अयोध्या के बाद काशी और मथुरा में भी मंदिर बनना चाहिए. इन तीनों मंदिर के कारण हिन्दू और मुस्लिम समाज इतने एक जीव हो जाएंगे कि भारत माता मुस्कुराती रहेगी. यह कहना है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी का. रविवार को जयपुर में हुए संत सम्मेलन में शामिल हुए स्वामी गोविंद गिरी ने आक्रांताओं की वेदनादायक निशानियों और चिह्नों को नष्ट करने के लिए काशी और मथुरा में मंदिर बनाए जाने की बात कही. साथ ही देश में समान नागरिक संहिता लागू करने और शिक्षा में धार्मिक शिक्षण देने के अधिकार की भी मांग की.

काशी-मथुरा को लेकर कही ये बड़ी बात : छोटी काशी में रविवार को संत सम्मेलन में देश-दुनिया से आए संतों ने अयोध्या के बाद काशी की ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि को सनातन धर्मियों को सुपुर्द करने की बात कही. इस दौरान संत गोविंद गिरी ने कहा कि दशकों से कहते आए कि मंदिर वहीं बनाएंगे, मंदिर भव्य बनाएंगे, जिसकी कई बार खिल्ली भी उड़ाई गई और कहा गया कि मंदिर बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे. खैर, आज मंदिर बन चुका है, लेकिन ये तो केवल झांकी है, अभी काशी और मथुरा बाकी है. कुछ वर्षों के बाद हम देखेंगे काशी-मथुरा की समस्या का भी समाधान हो गया है.

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मुस्लिम समाज से की ये अपील : उन्होंने कहा कि मुस्लिम भाइयों से प्रार्थना है कि हमें ऐसे भारत में रहना है, जिस भारत में सब लोग भारत माता के पुत्र हैं. इस देश में किसी तरह से दो समाजों, दो वर्गों के कलह की गाथा न बनाते हुए आक्रांताओं द्वारा जो आक्रमण किए गए और सम्मान के स्थान ध्वस्त किए गए. उन आक्रांताओं की निशानियों और चिह्नों को नष्ट करने के लिए काशी और मथुरा में मंदिर तो बनना ही चाहिए. स्वामी गिरी ने कहा कि तीन मंदिरों की मांग कर रहे हैं, यदि ये सामंजस्य से हो जाता है तो फिर हिंदू समाज को भी चाहिए कि वो छोटी-मोटी बातों के लिए आग्रही न रहे, क्योंकि हम लोगों को सबको साथ लेकर चलना है.

समान नागरिक संहिता को बताया जरूरी : स्वामी गोविंद गिरी ने कहा कि वो केवल मंदिर की बात नहीं करेंगे. मंदिर की बात के साथ गौ माता की रक्षा की भी बात करेंगे. इसके साथ ही भविष्य का विचार करते हुए एक ऐसे भारत देश की बात करेंगे, जिसमें सभी के लिए समान नागरिक संहिता लागू हो. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम इतना कुछ गवा देंगे कि वापस प्राप्त करना बहुत कठिन हो जाएगा. समान नागरिक संहिता के बिना तो देश की सारी गतिविधियों को वो नैतिक ही नहीं मानते, क्योंकि समान नागरिक संहिता ही सभी देशों में होती है. कहीं भी आपको विषमता देखने को नहीं मिलेगी. इसलिए समान नागरिक संहिता का तो मूल आग्रह है. साथ ही उन्होंने कहा कि बाकी सभी लोग अपने-अपने धर्म की शिक्षा दे सकते हैं, केवल हिंदू इस अधिकार से वंचित है. संविधान में हिंदुओं को धार्मिक शिक्षण देने का अधिकार होना चाहिए. साथ ही जीवन मूल्यों को प्रधानता देने वाली शिक्षा प्रणाली से ही अगली पीढ़ियां भाईचारे के साथ भारत राष्ट्र को सुखी और संपन्न बना पाएंगी.

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काशी-मथुरा को लेकर हम आश्वस्त हैं : इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद रहे विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मथुरा और काशी की मांग हिंदू समाज ने कभी छोड़ी ही नहीं थी. उसमें अयोध्या को प्राथमिकता दी थी, क्योंकि सरकारें भी विरोध कर रही थी. इसलिए संघर्ष हुआ. मथुरा और काशी के मामले कोर्ट में चल रहे हैं. वकीलों और उनकी व्यक्तिगत समझ यह है कि उन मामलों में हिंदू पक्ष बहुत मजबूत है. काशी में तो देवों की मूर्तियां भी निकली हैं. वजू खाने में शिवलिंग भी मिला है. इसलिए कोई भी कोर्ट यह नहीं कह सकता है कि 1947 में उसकी आकृति मंदिर की नहीं थी. इसलिए हम भी आश्वस्त है कि ये दोनों मुकदमे हम जीतेंगे. इसी वजह से हमने यह फैसला किया है कि हम न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करेंगे. जन जागरण करना संतों का काम है, लेकिन उसके लिए अभी सड़क पर आंदोलन करने की जरूरत नहीं है.

ये जेंडर जस्टिस का मामला है : वहीं, समान नागरिक संहिता को संविधान का निर्देश बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी सरकारों के लिए बाध्य है कि वो समान नागरिक संहिता बनाए. आज नारी को गरिमा का अधिकार है. तीन बार तलाक बोल देने से तलाक हो जाना, यह संविधान की ओर से दी गई नारी की गरिमा के अधिकार के खिलाफ है. ये जेंडर जस्टिस का मामला है. अंतरराष्ट्रीय करारों का मामला है. इसलिए लगता है कि जो कानून जिस भी धर्म के कालबाह्य (expire) हो गए हैं, उनको हटाया जाए. सभी धर्म के कानून में जो अच्छाइयां हैं, उसको लिया जाए और उसके आधार पर समान नागरिक संहिता बने. वहीं, उन्होंने इस्लामिक कंट्रीज में मंदिर निर्माण होने को आनंददायक बताते हुए कहा कि आबू धाबी में मंदिर बनता है तो ये आनंद की बात है. यह भारत की बढ़ती दोस्ती, भारत के सम्मान और उस देश में रहने वाले भारतीयों की ओर से वहां किए गए विकास कार्य के लिए सम्मान है.

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औरंगजेब एक क्रूर शासक था : इस दौरान उन्होंने मुगल शासन की याद दिलाने वाले स्मारक, मार्ग और शहरों के नाम को लेकर कहा कि कोई जनरल पॉलिसी नहीं बन सकती है. ये प्लेस टू प्लेस विचार करना पड़ेगा. औरंगजेब के नाम पर सड़क होगी तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि औरंगजेब एक क्रूर शासक था. हिंदुओं की हत्या करना उस समय जिहाद था. ऐसे में इस पर अलग-अलग विचार करेंगे. दिल्ली में कांग्रेस सरकार ने भी किंग्सवे और क्वींसवे का नाम बदलकर राजपथ और जनपद किया था. किंग एडवर्ड की मूर्ति को इंडिया गेट से हटा दिया गया था. कलकत्ता का नाम बदलकर कोलकाता, त्रिवेंद्रम का नाम बदलकर तिरुवनंतपुरम, मद्रास का नाम चेन्नई और राज्य का नाम तमिलनाडु किया. ये नाम बदलना केवल भाजपा नहीं कर रही और न ही ये केवल विहिप की मांग रही है. सीपीएम, कांग्रेस, द्रविड़ पार्टी के राज में भी लोग अपनी जड़ की ओर लौटना चाहते हैं तो ऐसी मांगों का विरोध करना उचित नहीं है.

इस दौरान कार्यक्रम में संघ की पाथेय कण पत्रिका के श्रीराम जन्मभूमि विशेषांक और श्री रामलाल विग्रह कैलेंडर का विमोचन भी किया गया. साथ ही गोवा के श्री दत्ता पद्मनाभ पीठाधीश्वर ब्रह्मेशानंद आचार्य को आचार्य स्वामी श्री धर्मेंद्र महाराज की स्मृति सम्मान से विभूषित किया गया. मौके पर श्री पंच खंड पीठाधीश्वर स्वामी सोमेंद्र महाराज ने कहा कि 2000 साल में आक्रांताओं ने भारत भूमि पर हजारों मंदिर तोड़े, लेकिन वो उन हजारों मंदिर और आस्था के केंद्रों की बात नहीं कर रहे हैं. वो सिर्फ अयोध्या के बाद प्रमुख दो आस्था के केंद्र श्रीकृष्ण जन्म स्थान मथुरा और काशी विश्वनाथ भगवान के ज्ञानवापी परिसर की बात कर रहे हैं. इसके लिए किसी भी हद तक जाना होगा तो वो जाएंगे. उससे पहले मुस्लिम पक्ष से यह अनुरोध हैं कि वैश्विक सौहार्द के लिए और इस भारत की समरसता, एकता के लिए स्वेच्छा से इन दोनों पक्षों पर अपना झूठा हक जताना छोड़ दें.

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उन्होंने बताया कि संत सम्मेलन में सभी संत भारत भर में घूम-घूमकर मथुरा-काशी के लिए जन जागरण करने पर एकमत हुए हैं. वो ऐसा वातावरण तैयार करेंगे, जिससे न्यायालय के फैसले से पहले ही मुस्लिम पक्ष स्वेच्छा से हमारी आस्था के केंद्र वापस सनातन धर्मियों को सौंपे. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ है. वैसा ही मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म स्थान पर और काशी विश्वनाथ का ज्ञानवापी परिसर पुनर्स्थापित हो सके. साथ ही गौ रक्षा और गौ सेवा पर प्रस्ताव वाचन किया गया और अब राजस्थान के बाद अप्रैल में मध्य प्रदेश और फिर उत्तराखंड में अगला संत सम्मेलन आयोजित होगा.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी

जयपुर. अयोध्या के बाद काशी और मथुरा में भी मंदिर बनना चाहिए. इन तीनों मंदिर के कारण हिन्दू और मुस्लिम समाज इतने एक जीव हो जाएंगे कि भारत माता मुस्कुराती रहेगी. यह कहना है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी का. रविवार को जयपुर में हुए संत सम्मेलन में शामिल हुए स्वामी गोविंद गिरी ने आक्रांताओं की वेदनादायक निशानियों और चिह्नों को नष्ट करने के लिए काशी और मथुरा में मंदिर बनाए जाने की बात कही. साथ ही देश में समान नागरिक संहिता लागू करने और शिक्षा में धार्मिक शिक्षण देने के अधिकार की भी मांग की.

काशी-मथुरा को लेकर कही ये बड़ी बात : छोटी काशी में रविवार को संत सम्मेलन में देश-दुनिया से आए संतों ने अयोध्या के बाद काशी की ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि को सनातन धर्मियों को सुपुर्द करने की बात कही. इस दौरान संत गोविंद गिरी ने कहा कि दशकों से कहते आए कि मंदिर वहीं बनाएंगे, मंदिर भव्य बनाएंगे, जिसकी कई बार खिल्ली भी उड़ाई गई और कहा गया कि मंदिर बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे. खैर, आज मंदिर बन चुका है, लेकिन ये तो केवल झांकी है, अभी काशी और मथुरा बाकी है. कुछ वर्षों के बाद हम देखेंगे काशी-मथुरा की समस्या का भी समाधान हो गया है.

इसे भी पढ़ें - 1992 में पूरा परिवार गया था कार सेवा के लिए, आज भी मौजूद हैं ढांचे की निशानियां

मुस्लिम समाज से की ये अपील : उन्होंने कहा कि मुस्लिम भाइयों से प्रार्थना है कि हमें ऐसे भारत में रहना है, जिस भारत में सब लोग भारत माता के पुत्र हैं. इस देश में किसी तरह से दो समाजों, दो वर्गों के कलह की गाथा न बनाते हुए आक्रांताओं द्वारा जो आक्रमण किए गए और सम्मान के स्थान ध्वस्त किए गए. उन आक्रांताओं की निशानियों और चिह्नों को नष्ट करने के लिए काशी और मथुरा में मंदिर तो बनना ही चाहिए. स्वामी गिरी ने कहा कि तीन मंदिरों की मांग कर रहे हैं, यदि ये सामंजस्य से हो जाता है तो फिर हिंदू समाज को भी चाहिए कि वो छोटी-मोटी बातों के लिए आग्रही न रहे, क्योंकि हम लोगों को सबको साथ लेकर चलना है.

समान नागरिक संहिता को बताया जरूरी : स्वामी गोविंद गिरी ने कहा कि वो केवल मंदिर की बात नहीं करेंगे. मंदिर की बात के साथ गौ माता की रक्षा की भी बात करेंगे. इसके साथ ही भविष्य का विचार करते हुए एक ऐसे भारत देश की बात करेंगे, जिसमें सभी के लिए समान नागरिक संहिता लागू हो. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम इतना कुछ गवा देंगे कि वापस प्राप्त करना बहुत कठिन हो जाएगा. समान नागरिक संहिता के बिना तो देश की सारी गतिविधियों को वो नैतिक ही नहीं मानते, क्योंकि समान नागरिक संहिता ही सभी देशों में होती है. कहीं भी आपको विषमता देखने को नहीं मिलेगी. इसलिए समान नागरिक संहिता का तो मूल आग्रह है. साथ ही उन्होंने कहा कि बाकी सभी लोग अपने-अपने धर्म की शिक्षा दे सकते हैं, केवल हिंदू इस अधिकार से वंचित है. संविधान में हिंदुओं को धार्मिक शिक्षण देने का अधिकार होना चाहिए. साथ ही जीवन मूल्यों को प्रधानता देने वाली शिक्षा प्रणाली से ही अगली पीढ़ियां भाईचारे के साथ भारत राष्ट्र को सुखी और संपन्न बना पाएंगी.

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काशी-मथुरा को लेकर हम आश्वस्त हैं : इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद रहे विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मथुरा और काशी की मांग हिंदू समाज ने कभी छोड़ी ही नहीं थी. उसमें अयोध्या को प्राथमिकता दी थी, क्योंकि सरकारें भी विरोध कर रही थी. इसलिए संघर्ष हुआ. मथुरा और काशी के मामले कोर्ट में चल रहे हैं. वकीलों और उनकी व्यक्तिगत समझ यह है कि उन मामलों में हिंदू पक्ष बहुत मजबूत है. काशी में तो देवों की मूर्तियां भी निकली हैं. वजू खाने में शिवलिंग भी मिला है. इसलिए कोई भी कोर्ट यह नहीं कह सकता है कि 1947 में उसकी आकृति मंदिर की नहीं थी. इसलिए हम भी आश्वस्त है कि ये दोनों मुकदमे हम जीतेंगे. इसी वजह से हमने यह फैसला किया है कि हम न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करेंगे. जन जागरण करना संतों का काम है, लेकिन उसके लिए अभी सड़क पर आंदोलन करने की जरूरत नहीं है.

ये जेंडर जस्टिस का मामला है : वहीं, समान नागरिक संहिता को संविधान का निर्देश बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी सरकारों के लिए बाध्य है कि वो समान नागरिक संहिता बनाए. आज नारी को गरिमा का अधिकार है. तीन बार तलाक बोल देने से तलाक हो जाना, यह संविधान की ओर से दी गई नारी की गरिमा के अधिकार के खिलाफ है. ये जेंडर जस्टिस का मामला है. अंतरराष्ट्रीय करारों का मामला है. इसलिए लगता है कि जो कानून जिस भी धर्म के कालबाह्य (expire) हो गए हैं, उनको हटाया जाए. सभी धर्म के कानून में जो अच्छाइयां हैं, उसको लिया जाए और उसके आधार पर समान नागरिक संहिता बने. वहीं, उन्होंने इस्लामिक कंट्रीज में मंदिर निर्माण होने को आनंददायक बताते हुए कहा कि आबू धाबी में मंदिर बनता है तो ये आनंद की बात है. यह भारत की बढ़ती दोस्ती, भारत के सम्मान और उस देश में रहने वाले भारतीयों की ओर से वहां किए गए विकास कार्य के लिए सम्मान है.

इसे भी पढ़ें - कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे पदम सिंह लौद्रवा, अपने दल के पास देरी से पहुंचे, तो साथियों ने मृत मान लिया

औरंगजेब एक क्रूर शासक था : इस दौरान उन्होंने मुगल शासन की याद दिलाने वाले स्मारक, मार्ग और शहरों के नाम को लेकर कहा कि कोई जनरल पॉलिसी नहीं बन सकती है. ये प्लेस टू प्लेस विचार करना पड़ेगा. औरंगजेब के नाम पर सड़क होगी तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि औरंगजेब एक क्रूर शासक था. हिंदुओं की हत्या करना उस समय जिहाद था. ऐसे में इस पर अलग-अलग विचार करेंगे. दिल्ली में कांग्रेस सरकार ने भी किंग्सवे और क्वींसवे का नाम बदलकर राजपथ और जनपद किया था. किंग एडवर्ड की मूर्ति को इंडिया गेट से हटा दिया गया था. कलकत्ता का नाम बदलकर कोलकाता, त्रिवेंद्रम का नाम बदलकर तिरुवनंतपुरम, मद्रास का नाम चेन्नई और राज्य का नाम तमिलनाडु किया. ये नाम बदलना केवल भाजपा नहीं कर रही और न ही ये केवल विहिप की मांग रही है. सीपीएम, कांग्रेस, द्रविड़ पार्टी के राज में भी लोग अपनी जड़ की ओर लौटना चाहते हैं तो ऐसी मांगों का विरोध करना उचित नहीं है.

इस दौरान कार्यक्रम में संघ की पाथेय कण पत्रिका के श्रीराम जन्मभूमि विशेषांक और श्री रामलाल विग्रह कैलेंडर का विमोचन भी किया गया. साथ ही गोवा के श्री दत्ता पद्मनाभ पीठाधीश्वर ब्रह्मेशानंद आचार्य को आचार्य स्वामी श्री धर्मेंद्र महाराज की स्मृति सम्मान से विभूषित किया गया. मौके पर श्री पंच खंड पीठाधीश्वर स्वामी सोमेंद्र महाराज ने कहा कि 2000 साल में आक्रांताओं ने भारत भूमि पर हजारों मंदिर तोड़े, लेकिन वो उन हजारों मंदिर और आस्था के केंद्रों की बात नहीं कर रहे हैं. वो सिर्फ अयोध्या के बाद प्रमुख दो आस्था के केंद्र श्रीकृष्ण जन्म स्थान मथुरा और काशी विश्वनाथ भगवान के ज्ञानवापी परिसर की बात कर रहे हैं. इसके लिए किसी भी हद तक जाना होगा तो वो जाएंगे. उससे पहले मुस्लिम पक्ष से यह अनुरोध हैं कि वैश्विक सौहार्द के लिए और इस भारत की समरसता, एकता के लिए स्वेच्छा से इन दोनों पक्षों पर अपना झूठा हक जताना छोड़ दें.

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उन्होंने बताया कि संत सम्मेलन में सभी संत भारत भर में घूम-घूमकर मथुरा-काशी के लिए जन जागरण करने पर एकमत हुए हैं. वो ऐसा वातावरण तैयार करेंगे, जिससे न्यायालय के फैसले से पहले ही मुस्लिम पक्ष स्वेच्छा से हमारी आस्था के केंद्र वापस सनातन धर्मियों को सौंपे. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ है. वैसा ही मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म स्थान पर और काशी विश्वनाथ का ज्ञानवापी परिसर पुनर्स्थापित हो सके. साथ ही गौ रक्षा और गौ सेवा पर प्रस्ताव वाचन किया गया और अब राजस्थान के बाद अप्रैल में मध्य प्रदेश और फिर उत्तराखंड में अगला संत सम्मेलन आयोजित होगा.

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