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तमिलनाडु में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा स्टालिन सरकार से जवाब

Ram Mandir inauguration: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक का मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंच गया है. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा है.

Ram Mandir inauguration
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा स्टालिन सरकार से जवाब
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 22, 2024, 12:10 PM IST

Updated : Jan 22, 2024, 12:30 PM IST

नई दिल्ली: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के प्रसारण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. बता दें, उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के प्राधिकारियों से सोमवार को राज्य के सभी मंदिरों में अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण पर 'रोक' लगाने के किसी भी मौखिक दिशा निर्देश के आधार पर नहीं बल्कि कानून के अनुसार काम करने को कहा.

  • Plea filed in Supreme Court against an order of Tamil Nadu government by which it has allegedly banned live telecast of the "Pran Prathishta" of Lord Ram at Ayodhya in the temples across the State.

    The government has also banned all kinds of poojas, Archana and Annadanam (poor… pic.twitter.com/JVglDutTeu

    — ANI (@ANI) January 22, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तमिलनाडु के मंदिरों में सीधे प्रसारण पर रोक लगाने के 20 जनवरी के एक 'मौखिक आदेश' को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई की और कहा कि कोई भी मौखिक आदेश का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है. पीठ ने तमिलनाडु की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी का यह बयान दर्ज किया कि मंदिरों में ‘पूजा-अर्चना’ या अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर कोई पाबंदी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह याचिका 'राजनीति से प्रेरित' है.

पीठ ने प्राधिकारियों से उन वजहों को रिकॉर्ड में रखने और उन आवेदनों का डेटा बनाए रखने को कहा है जिन्हें मंदिरों में 'पूजा अर्चना' और प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण के लिए स्वीकृति दी गयी है. साथ ही जिन्हें अनुमति नहीं दी गयी है, उन्हें भी रिकॉर्ड में रखने को कहा है. पीठ ने याचिका पर तमिलनाडु सरकार से भी 29 जनवरी तक जवाब देने को कहा है. यह याचिका विनोज नामक व्यक्ति ने दायर की है जिसमें उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने राज्य के सभी मंदिरों में अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के सीधे प्रसारण पर रोक लगा दी है.

यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार ने इस अवसर पर सभी प्रकार की पूजा और 'अन्नदानम' तथा 'भजनों' पर रोक लगा दी है. बहरहाल, तमिलनाडु के हिंदू धर्म और धर्मार्थ धर्मादा मंत्री पी के शेखर बाबू ने रविवार को कहा था कि श्रीराम की पूजा करने पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. उन्होंने साथ ही कहा कि अन्नदानम और प्रसादम वितरित करने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने इन दावों को फर्जी बताया.

पढ़ें: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे ये विपक्षी नेता, बताया बीजेपी का कार्यक्रम, देखें लिस्ट

नई दिल्ली: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के प्रसारण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. बता दें, उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के प्राधिकारियों से सोमवार को राज्य के सभी मंदिरों में अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण पर 'रोक' लगाने के किसी भी मौखिक दिशा निर्देश के आधार पर नहीं बल्कि कानून के अनुसार काम करने को कहा.

  • Plea filed in Supreme Court against an order of Tamil Nadu government by which it has allegedly banned live telecast of the "Pran Prathishta" of Lord Ram at Ayodhya in the temples across the State.

    The government has also banned all kinds of poojas, Archana and Annadanam (poor… pic.twitter.com/JVglDutTeu

    — ANI (@ANI) January 22, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तमिलनाडु के मंदिरों में सीधे प्रसारण पर रोक लगाने के 20 जनवरी के एक 'मौखिक आदेश' को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई की और कहा कि कोई भी मौखिक आदेश का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है. पीठ ने तमिलनाडु की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी का यह बयान दर्ज किया कि मंदिरों में ‘पूजा-अर्चना’ या अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर कोई पाबंदी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह याचिका 'राजनीति से प्रेरित' है.

पीठ ने प्राधिकारियों से उन वजहों को रिकॉर्ड में रखने और उन आवेदनों का डेटा बनाए रखने को कहा है जिन्हें मंदिरों में 'पूजा अर्चना' और प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण के लिए स्वीकृति दी गयी है. साथ ही जिन्हें अनुमति नहीं दी गयी है, उन्हें भी रिकॉर्ड में रखने को कहा है. पीठ ने याचिका पर तमिलनाडु सरकार से भी 29 जनवरी तक जवाब देने को कहा है. यह याचिका विनोज नामक व्यक्ति ने दायर की है जिसमें उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने राज्य के सभी मंदिरों में अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के सीधे प्रसारण पर रोक लगा दी है.

यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार ने इस अवसर पर सभी प्रकार की पूजा और 'अन्नदानम' तथा 'भजनों' पर रोक लगा दी है. बहरहाल, तमिलनाडु के हिंदू धर्म और धर्मार्थ धर्मादा मंत्री पी के शेखर बाबू ने रविवार को कहा था कि श्रीराम की पूजा करने पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. उन्होंने साथ ही कहा कि अन्नदानम और प्रसादम वितरित करने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने इन दावों को फर्जी बताया.

पढ़ें: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे ये विपक्षी नेता, बताया बीजेपी का कार्यक्रम, देखें लिस्ट

Last Updated : Jan 22, 2024, 12:30 PM IST
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