नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार होने के बाद अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि यह दिल्ली के उपराज्यपाल पर निर्भर है कि वह चाहें तो कार्रवाई करें लेकिन हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
पीठ ने कहा कि यह औचित्य का मामला है लेकिन केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. पीठ ने यह भी बताया कि शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता कांत भाटी दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता नहीं थे. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम दिए गए फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है.
बता दें, 10 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 50,000 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, यह मानते हुए कि इसका उद्देश्य प्रचार प्राप्त करना था. यह नोट किया गया कि याचिकाकर्ता ने समान प्रार्थनाओं को अस्वीकार करने वाले अदालत द्वारा पारित तीन आदेशों से अवगत होने के बावजूद याचिका को आगे बढ़ाया.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उसके कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें पिछले हफ्ते शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव 2024 में प्रचार के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी गई थी, क्योंकि उनकी गिरफ्तारी की वैधता से संबंधित मामला अभी भी विचाराधीन था. बता दें, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अरविंद केजरीवाल को 2 जून को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है और उनकी जमानत की शर्त के रूप में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय जाने से रोक दिया है.
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