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निठारी कांड मामले में सुरेंद्र कोली की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस - Nithari case

Notice to surendra koli in Nithari case: बहुचर्चित निठारी कांड मामले में मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. यह नोटिस सीबीआई की अर्जी पर जारी किया गया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 8, 2024, 9:01 PM IST

सुरेंद्र कोली को नोटिस जारी
सुरेंद्र कोली को नोटिस जारी (ETV Bharat)

नई दिल्ली/नोएडा: 29 दिसंबर, 2006 को निठारी स्थित एक घर के पीछे नाले से आठ बच्चों के कंकाल का अवशेष मिलने के मामले में सुरेंद्र कोली की मुश्किलें फिर से बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड मामले में सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोली को नोटिस जारी किया है.

सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और कहा कि कई बच्चियों के अपहरण और मर्डर के लिए कोली जिम्मेदार है. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में कोली को फांसी की सजा दी थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले को पलट दिया. हाईकोर्ट से बरी किए जाने के बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने उच्च न्यायालय के 16 अक्टूबर, 2023 के फैसले के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अलग-अलग याचिकाओं पर कोली से जवाब मांगा.

शीर्ष अदालत ने मई में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले एक पीड़ित के पिता की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी. पीठ ने कहा कि सीबीआई की याचिकाएं उक्त याचिका के साथ सुनवाई के लिए आएंगी. निठारी में 29 दिसंबर 2006 को एक घर के पीछे नाले से आठ बच्चों के कंकाल के अवशेष मिलने से सनसनी फैल गई थी. घर के आसपास इलाके में नालों की और खुदाई तथा तलाशी में और कंकाल मिले. इनमें से अधिकतर कंकाल उन गरीब बच्चों और लड़कियों के थे, जो इलाके से लापता थे.

यह भी पढ़ें- सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर दोषियों से मांगा जवाब

सीबीआई ने 10 दिन के अंदर मामले में जांच संभाली थी और उसकी तलाशी में और कंकाल बरामद हुए थे. सीबीआई ने मकान मालिक एम. एस. पंढेर और उसके हेल्पर कोली को आरोपी बनाया. दोनों को निचली अदालत ने दोषी करार दिया. 12 मामलों में कोली को फांसी और पंढेर को दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी. हालांकि मामला जब हाई कोर्ट में आया तो हाईकोर्ट ने पंढेर और कोली को सबूतों के अभाव में अक्टूबर 2023 में बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने मामले की छानबीन के तरीके पर सीबीआई के खिलाफ टिप्पणी भी की थी.

यह भी पढ़ें- सिसोदिया ने SC में जमानत याचिका दाखिल की; आतिशी ने कहा- बीजेपी ने जनता को परेशान किया, विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिलेगी

नई दिल्ली/नोएडा: 29 दिसंबर, 2006 को निठारी स्थित एक घर के पीछे नाले से आठ बच्चों के कंकाल का अवशेष मिलने के मामले में सुरेंद्र कोली की मुश्किलें फिर से बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड मामले में सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोली को नोटिस जारी किया है.

सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और कहा कि कई बच्चियों के अपहरण और मर्डर के लिए कोली जिम्मेदार है. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में कोली को फांसी की सजा दी थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले को पलट दिया. हाईकोर्ट से बरी किए जाने के बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने उच्च न्यायालय के 16 अक्टूबर, 2023 के फैसले के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अलग-अलग याचिकाओं पर कोली से जवाब मांगा.

शीर्ष अदालत ने मई में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले एक पीड़ित के पिता की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी. पीठ ने कहा कि सीबीआई की याचिकाएं उक्त याचिका के साथ सुनवाई के लिए आएंगी. निठारी में 29 दिसंबर 2006 को एक घर के पीछे नाले से आठ बच्चों के कंकाल के अवशेष मिलने से सनसनी फैल गई थी. घर के आसपास इलाके में नालों की और खुदाई तथा तलाशी में और कंकाल मिले. इनमें से अधिकतर कंकाल उन गरीब बच्चों और लड़कियों के थे, जो इलाके से लापता थे.

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सीबीआई ने 10 दिन के अंदर मामले में जांच संभाली थी और उसकी तलाशी में और कंकाल बरामद हुए थे. सीबीआई ने मकान मालिक एम. एस. पंढेर और उसके हेल्पर कोली को आरोपी बनाया. दोनों को निचली अदालत ने दोषी करार दिया. 12 मामलों में कोली को फांसी और पंढेर को दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी. हालांकि मामला जब हाई कोर्ट में आया तो हाईकोर्ट ने पंढेर और कोली को सबूतों के अभाव में अक्टूबर 2023 में बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने मामले की छानबीन के तरीके पर सीबीआई के खिलाफ टिप्पणी भी की थी.

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