लखनऊ: अकबर नगर प्रथम व द्वितीय में अवैध निर्माण के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा की जा रही कार्रवाई के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गयी याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने यहां रहने वाले लोगों को 4 दिन की मोहलत दी है. कोर्ट ने कहा कि इस अवधि में खुद ही अपना निर्माण हटा लें.
सुप्रीम कोर्ट ने विष्णु स्वरूप चौरसिया की तरफ से दायर की गयी याचिका पर गुरुवार सुनवाई करते हुए सरकारी भूमि पर किये गये सभी व्यावसायिक एवं आवासीय निर्माण को अनाधिकृत एवं अवैध करार दिया. कोर्ट ने आदेश दिया है कि 4 मार्च की मध्य रात्रि तक स्वयं अपने निर्माण हटा लें. इसके बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा सकती है. वहीं, लखनऊ के अकबर नगर में बुधवार रात से अवैध दुकानें पर चल रहे बुलडोजर पर रोक लग गई है.
दरअसल, अकबर नगर में मंगलवार सुबह चार बजे तक अभियान चलाने के बाद भी कई दुकानों को पूरी तरह से समतल नहीं किया जा सका था. दुकानों में बने बेसमेंट की वजह से परेशानी बढ़ी थी. ऐसे में पहले उनको मलबे से भरा गया. बताया जा रहा है कि इस दौरान 70 डंपर मिट्टी और अन्य मलबा मंगाया गया था. दिन में यहां आवाजाही के लिए ट्रैफिक संचालन शुरू कर दिया गया था. ऐसे में रात को बैरिकेडिंग कर कार्रवाई शुरू कर गई.
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि ग्राम महानगर रहीमनगर की खसरा संख्या-746 क्षेत्रफल 0.696, खसरा संख्या-739 क्षेत्रफल 0.215 व खसर संख्या-777 क्षेत्रफल 0.556 हे. जो राजस्व अभिलेखों में नगर निगम की संपत्ति है. यहां अवैध तरीके से 5087 वर्गमीटर में दुकानें बना ली गई थी. दुकानें मुख्य मार्ग के दोनों तरफ थी. अब यह जमीन नगर निगम को मिल गई है. मौजूदा समय इसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है.