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कैश-फॉर-वोट स्कैम मामला: सुनवाई के लिए विशेष अभियोजक नियुक्त करेगा सुप्रीम कोर्ट - Cash For Vote Scam

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 29, 2024, 3:47 PM IST

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कैश फॉर वोट घोटाले मामले में सुनवाई के लिए एक विशेष अभियोजक नियुक्त करेगा. साथ ही पीठ मामले में तेलंगाना के सहयोगियों से परामर्श भी करेगी

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (IANS)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 2015 के कैश फॉर वोट घोटाले मामले में सुनवाई के लिए एक विशेष अभियोजक नियुक्त करेगा. मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी आरोपी हैं. सुनवाई के दौरान भारत राष्ट्र समिति (BRS) के विधायक गुंटाकंडला जगदीश रेड्डी और तीन अन्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी आर्यमा सुंदरम ने पीठ से मामले की सुनवाई ट्रांसपर करने का अनुरोध किया.

उन्होंने जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ को तर्क दिया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं. पीठ में जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं. पीठ मामले को राज्य से भोपाल ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट मुकदमे के संचालन के लिए एक विशेष अभियोजक नियुक्त करेगा. साथ ही पीठ तेलंगाना के सहयोगियों से परामर्श भी करेगी और दोपहर 2 बजे आदेश पारित करेगी. पीठ ने कहा, "केवल आशंका के आधार पर हम कैसे सुनवाई कर सकते हैं... अगर हम ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई करते हैं, तो हम अपने न्यायिक अधिकारियों पर विश्वास नहीं करेंगे."

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के जजों से परामर्श
राज्य सरकार के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि जहां भी कोई मामला निरस्त किया गया है, एसीबी ने उसे चुनौती दी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक मामला भी शामिल है. जस्टिस गवई ने कहा, "हम एक विशेष अभियोजक की नियुक्ति का निर्देश देंगे. हम तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अपने सहयोगियों से परामर्श करेंगे. हम दोपहर 2 बजे आदेश पारित करेंगे."

याचिका में कहा गया है कि अगर तेलंगाना के हैदराबाद में मामलों की सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश द्वारा सुनवाई जारी रखी जाती है तो कानून का शासन दूषित हो जाएगा और न्यायिक निष्पक्षता, आपराधिक न्याय प्रणाली दांव पर लग जाएगी, जिससे आम जनता का विश्वास डगमगा जाएगा.

क्या है मामला?
बता दें कि मई 2015 में रेवंत रेड्डी जो उस समय तेलुगु देशम पार्टी के साथ थे, उनको विधान परिषद चुनावों में टीडीपी उम्मीदवार वेम नरेंद्र रेड्डी का समर्थन करने के लिए मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गिरफ्तार किया था. रेवंत रेड्डी के अलावा एसीबी ने कुछ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था. बाद में सभी को जमानत दे दी गई.

इससे पहले रेवंत रेड्डी ने मामले में हाई कोर्ट के1 जून 2021 के आदेश को चुनौती दी है, जिसके द्वारा मामले में सुनवाई करने के लिए विशेष एसीबी अदालत के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था.

यह भी पढ़ें- PMLA मामलों में भी 'जमानत नियम है, जेल अपवाद' सिद्धांत लागू, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 2015 के कैश फॉर वोट घोटाले मामले में सुनवाई के लिए एक विशेष अभियोजक नियुक्त करेगा. मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी आरोपी हैं. सुनवाई के दौरान भारत राष्ट्र समिति (BRS) के विधायक गुंटाकंडला जगदीश रेड्डी और तीन अन्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी आर्यमा सुंदरम ने पीठ से मामले की सुनवाई ट्रांसपर करने का अनुरोध किया.

उन्होंने जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ को तर्क दिया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं. पीठ में जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं. पीठ मामले को राज्य से भोपाल ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट मुकदमे के संचालन के लिए एक विशेष अभियोजक नियुक्त करेगा. साथ ही पीठ तेलंगाना के सहयोगियों से परामर्श भी करेगी और दोपहर 2 बजे आदेश पारित करेगी. पीठ ने कहा, "केवल आशंका के आधार पर हम कैसे सुनवाई कर सकते हैं... अगर हम ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई करते हैं, तो हम अपने न्यायिक अधिकारियों पर विश्वास नहीं करेंगे."

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के जजों से परामर्श
राज्य सरकार के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि जहां भी कोई मामला निरस्त किया गया है, एसीबी ने उसे चुनौती दी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक मामला भी शामिल है. जस्टिस गवई ने कहा, "हम एक विशेष अभियोजक की नियुक्ति का निर्देश देंगे. हम तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अपने सहयोगियों से परामर्श करेंगे. हम दोपहर 2 बजे आदेश पारित करेंगे."

याचिका में कहा गया है कि अगर तेलंगाना के हैदराबाद में मामलों की सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश द्वारा सुनवाई जारी रखी जाती है तो कानून का शासन दूषित हो जाएगा और न्यायिक निष्पक्षता, आपराधिक न्याय प्रणाली दांव पर लग जाएगी, जिससे आम जनता का विश्वास डगमगा जाएगा.

क्या है मामला?
बता दें कि मई 2015 में रेवंत रेड्डी जो उस समय तेलुगु देशम पार्टी के साथ थे, उनको विधान परिषद चुनावों में टीडीपी उम्मीदवार वेम नरेंद्र रेड्डी का समर्थन करने के लिए मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गिरफ्तार किया था. रेवंत रेड्डी के अलावा एसीबी ने कुछ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था. बाद में सभी को जमानत दे दी गई.

इससे पहले रेवंत रेड्डी ने मामले में हाई कोर्ट के1 जून 2021 के आदेश को चुनौती दी है, जिसके द्वारा मामले में सुनवाई करने के लिए विशेष एसीबी अदालत के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था.

यह भी पढ़ें- PMLA मामलों में भी 'जमानत नियम है, जेल अपवाद' सिद्धांत लागू, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

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