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सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि से FIR क्लब करने की मांग पर कहा- आपने अपनी मर्जी से दिया था बयान, पढ़ें पूरी खबर - Sanatan dharma - SANATAN DHARMA

Udhayanidhi Stalin : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन से पूछा कि वह अपनी "सनातन धर्म को मिटाओ" टिप्पणी के लिए कई एफआईआर को एक साथ जोड़ने की अपनी याचिका के साथ रिट क्षेत्राधिकार के तहत शीर्ष अदालत से कैसे संपर्क कर सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 1, 2024, 7:42 PM IST

Updated : Apr 1, 2024, 7:59 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 1 अप्रैल को तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर सुनवाई की. जिसमें स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाले बयान पर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को क्लब करने की मांग की थी. बता दें, इस मामले में स्टालिन के खिलाफ कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में एफआईआर दर्ज हैं.

कोर्ट में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान उदयनिधि स्टालिन से कहा कि वे अपनी बराबरी मीडिया से नहीं कर सकते. कोर्ट ने मांग में बदलाव करने और इसे दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 406 के तहत दायर करने का निर्देश भी दिया, साथ ही कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उदयनिधि स्टालिन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी से कहा कि आप देखिए, कुछ मामलों में संज्ञान लिया गया है और समन जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से रिट क्षेत्राधिकार के तहत न्यायिक कार्यवाही में दखल नहीं दिया जा सकता है.

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिरकार, आपने स्वेच्छा से बयान दिया है, और जिन मामलों का आपने हवाला दिया है. वे समाचार मीडिया के लोग थे जो टीआरपी पाने के लिए अपने मालिकों के आदेश के अनुसार काम कर रहे थे. आप अपनी तुलना मीडिया से नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति दत्ता ने स्टालिन के वकिल से कहा कि यह एक स्थानांतरण याचिका थी और आदेश उच्चतम न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा जारी किया गया था और उन्होंने कहा कि बस जांचें और मैं गलत हो सकता हूं. उन्होंने कहा कि यह जस्टिस हृषिकेश रॉय द्वारा अकेले बैठकर दिया गया फैसला है.

स्टालिन की ओर से वरिष्ठ वकिल अभिषेक मनु सिंघवी, पी विल्सन और चितले पेश हुए और राजस्थान में दायर आगे की समन और एफआईआर को क्लब करने और स्थानांतरित करने की सुप्रीम कोर्ट की शक्ति के बारे में एक सबमिशन नोट दाखिल करने के लिए समय मांगा.

सिंघवी ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के मामले को हाईलाइट किया ड, जिनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में एफआईआर दर्ज की गई थी, इससे पहले कि इसे एक राज्य में स्थानांतरित किया गया था.

जस्टिस दत्ता ने कहा कि एक अर्नब गोस्वामी और मोहम्मद जुबैर भी एक मीडियाकर्मी हैं. सिंघवी ने कहा कि नूपुर शर्मा नहीं हैं और वह एक शुद्ध राजनीतिज्ञ हैं. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि वह एक राजनीतिक नेता हैं, लेकिन आपके मुवक्किल (स्टालिन) जितनी महत्वपूर्ण राजनीतिक नेता नहीं हैं.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 1 अप्रैल को तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर सुनवाई की. जिसमें स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाले बयान पर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को क्लब करने की मांग की थी. बता दें, इस मामले में स्टालिन के खिलाफ कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में एफआईआर दर्ज हैं.

कोर्ट में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान उदयनिधि स्टालिन से कहा कि वे अपनी बराबरी मीडिया से नहीं कर सकते. कोर्ट ने मांग में बदलाव करने और इसे दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 406 के तहत दायर करने का निर्देश भी दिया, साथ ही कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उदयनिधि स्टालिन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी से कहा कि आप देखिए, कुछ मामलों में संज्ञान लिया गया है और समन जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से रिट क्षेत्राधिकार के तहत न्यायिक कार्यवाही में दखल नहीं दिया जा सकता है.

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिरकार, आपने स्वेच्छा से बयान दिया है, और जिन मामलों का आपने हवाला दिया है. वे समाचार मीडिया के लोग थे जो टीआरपी पाने के लिए अपने मालिकों के आदेश के अनुसार काम कर रहे थे. आप अपनी तुलना मीडिया से नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति दत्ता ने स्टालिन के वकिल से कहा कि यह एक स्थानांतरण याचिका थी और आदेश उच्चतम न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा जारी किया गया था और उन्होंने कहा कि बस जांचें और मैं गलत हो सकता हूं. उन्होंने कहा कि यह जस्टिस हृषिकेश रॉय द्वारा अकेले बैठकर दिया गया फैसला है.

स्टालिन की ओर से वरिष्ठ वकिल अभिषेक मनु सिंघवी, पी विल्सन और चितले पेश हुए और राजस्थान में दायर आगे की समन और एफआईआर को क्लब करने और स्थानांतरित करने की सुप्रीम कोर्ट की शक्ति के बारे में एक सबमिशन नोट दाखिल करने के लिए समय मांगा.

सिंघवी ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के मामले को हाईलाइट किया ड, जिनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में एफआईआर दर्ज की गई थी, इससे पहले कि इसे एक राज्य में स्थानांतरित किया गया था.

जस्टिस दत्ता ने कहा कि एक अर्नब गोस्वामी और मोहम्मद जुबैर भी एक मीडियाकर्मी हैं. सिंघवी ने कहा कि नूपुर शर्मा नहीं हैं और वह एक शुद्ध राजनीतिज्ञ हैं. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि वह एक राजनीतिक नेता हैं, लेकिन आपके मुवक्किल (स्टालिन) जितनी महत्वपूर्ण राजनीतिक नेता नहीं हैं.

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Last Updated : Apr 1, 2024, 7:59 PM IST
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