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आज होगी साल की सबसे चमकीली रात; सुपर मून शरद पूर्णिमा पर बिखेरेगा चांदनी, कितने बजे दिखेगा हंटर मून

सुपर हंटर मून 17 अक्टूबर को भारत में रात 11:55 बजे से ढाई घंटे तक दिखेगा, आज पृथ्वी के सबसे करीब होंगे चंदा मामा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

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आज होगी साल की सबसे चमकीली रात. (Photo Credit; Gorakhpur Nakshatra Shala)

गोरखपुर: आज देश में साल की सबसे चमकीली रात होगी. शरद पूर्णिमा पर सुपर मून अपनी चांदनी से पूरे देश और दुनिया को सराबोर करेगा. वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया है कि, आज 17 अक्टूबर 2024 को सुपरमून आने वाला है. यह सुपर हंटर मून होगा और 2024 का सबसे निकटतम पूर्ण सुपरमून होगा.

आज का चांद क्यों कहा जा रहा सुपर मून: खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इसके पीछे एक इतिहास है. पृथ्वी के सबसे करीब की पूर्णिमा को सुपर मून कहा जाता है. सुपर मून का सर्वप्रथम खगोलिकी शब्दावली में इस्तेमाल, प्रसिद्ध खगोलशास्त्री सर रिचर्ड नोले ने वर्ष 1979 में किया था. नोले की परिभाषा के अनुसार, सुपर मून पूर्णिमा एवं अमावस्या दोनों दिन पड़ सकता है.

चांद की संरचना.
चांद की संरचना. (Photo Credit; Gorakhpur Nakshatra Shala)

पूर्णिमा और अमावस्या तब सुपरमून होती है, जब वह पृथ्वी से अपने निकटतम बिंदु यानी पेरिगी के 90% के भीतर होती है. सुपरमून की स्थिति में चन्द्रमा अपने आकार से लगभग 14% बड़ा एवं 30% चमकीला नजर आता है. 17 अक्टूबर 2024 की रात में 11:55 पर चंद्रमा पृथ्वी से सबसे करीब की स्थिति में 3,51,519 किलोमीटर दूर होगा. ऐसी स्थिति में यह दूरी 30 अक्टूबर 2024 को 4,06,161 किलोमीटर हो जाएगी.

कैसे बनता है सुपर मून: खगोलविद पाल ने बताया कि वर्ष 2024 में चार पूर्ण सुपरमून हैं, जिसमें से यह तीसरा सुपरमून है. हंटर मून इस वर्ष का सबसे करीब का सुपरमून है. चंद्रमा की पृथ्वी के चारों तरफ एक अंडाकार (दीर्घवृताकार कक्षा) है. जिसके फलस्वरूप चंद्रमा प्रत्येक माह एक बार पृथ्वी के सबसे करीब और एक ही बार सबसे दूर होता है. जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो इस स्थिति को पेरिगी तथा जब सबसे दूर होता है तो इस स्थिति को अपोगी की स्थिति कहते हैं. खगोलिकी में सुपरमून उस स्थिति को कहते हैं जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब हो और उसी समय पूर्णिमा भी हो.

चांद की संरचना.
चांद की संरचना. (Photo Credit; Gorakhpur Nakshatra Shala)

क्या है पेरिगी-सिजीगी मून: वास्तव में सुपरमून को खगोलिकी में पेरिगी-सिजीगी मून कहा जाता है. सिजीगी की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हो जाते हैं. प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या सिजीगी की स्थिति में ही होती है. सुपर मून काफी ज्यादा प्रभावशाली होता है. सुपर मून की स्थिति में चन्द्रमा सामान्य से ज्यादा बड़ा प्रतीत होता है. चंद्रमा का व्यास लगभग 3,475 किलोमीटर है.

पेरिगी की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 351,000 किमी (220,000) मील तक पास हो सकता है. वहीं ऐपोगी के समय की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 4,10,000 किमी (254,000 मील) तक दूर तक हो सकता है. क्योंकि, चन्द्रमा लगातार पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है, इसलिए वह हर महीने में दो बार इन स्थितियों से गुजरता है.

पेरिगी-एपोगी में क्या है अंतर.
पेरिगी-एपोगी में क्या है अंतर. (Photo Credit; Gorakhpur Nakshatra Shala)

2024 के सुपर मून

  • 19 अगस्त: 224,917 मील (361,969 किलोमीटर)
  • 18 सितंबर: 222,131 मील (357,485 किलोमीटर)
  • 17 अक्टूबर: 222,055 मील (351,519 किलोमीटर)
  • 15 नवंबर: 224,853 मील (361,866 किलोमीटर)

गोरखपुर में खास इंतजाम: वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला में जन सामान्य के लिए सूर्य दर्शन और रात में आकाश दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यक्रम फ्री होगा. नक्षत्रशाला की ओर से टेलिस्कोप स्थापित किए जायेंगे और लोगों को सुपरमून के दर्शन कराए जाएंगे.

ये भी पढ़ेंः आज चूके तो 2037 में कर पाएंगे चंद्रमा का इस रूप में दीदार

गोरखपुर: आज देश में साल की सबसे चमकीली रात होगी. शरद पूर्णिमा पर सुपर मून अपनी चांदनी से पूरे देश और दुनिया को सराबोर करेगा. वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया है कि, आज 17 अक्टूबर 2024 को सुपरमून आने वाला है. यह सुपर हंटर मून होगा और 2024 का सबसे निकटतम पूर्ण सुपरमून होगा.

आज का चांद क्यों कहा जा रहा सुपर मून: खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इसके पीछे एक इतिहास है. पृथ्वी के सबसे करीब की पूर्णिमा को सुपर मून कहा जाता है. सुपर मून का सर्वप्रथम खगोलिकी शब्दावली में इस्तेमाल, प्रसिद्ध खगोलशास्त्री सर रिचर्ड नोले ने वर्ष 1979 में किया था. नोले की परिभाषा के अनुसार, सुपर मून पूर्णिमा एवं अमावस्या दोनों दिन पड़ सकता है.

चांद की संरचना.
चांद की संरचना. (Photo Credit; Gorakhpur Nakshatra Shala)

पूर्णिमा और अमावस्या तब सुपरमून होती है, जब वह पृथ्वी से अपने निकटतम बिंदु यानी पेरिगी के 90% के भीतर होती है. सुपरमून की स्थिति में चन्द्रमा अपने आकार से लगभग 14% बड़ा एवं 30% चमकीला नजर आता है. 17 अक्टूबर 2024 की रात में 11:55 पर चंद्रमा पृथ्वी से सबसे करीब की स्थिति में 3,51,519 किलोमीटर दूर होगा. ऐसी स्थिति में यह दूरी 30 अक्टूबर 2024 को 4,06,161 किलोमीटर हो जाएगी.

कैसे बनता है सुपर मून: खगोलविद पाल ने बताया कि वर्ष 2024 में चार पूर्ण सुपरमून हैं, जिसमें से यह तीसरा सुपरमून है. हंटर मून इस वर्ष का सबसे करीब का सुपरमून है. चंद्रमा की पृथ्वी के चारों तरफ एक अंडाकार (दीर्घवृताकार कक्षा) है. जिसके फलस्वरूप चंद्रमा प्रत्येक माह एक बार पृथ्वी के सबसे करीब और एक ही बार सबसे दूर होता है. जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो इस स्थिति को पेरिगी तथा जब सबसे दूर होता है तो इस स्थिति को अपोगी की स्थिति कहते हैं. खगोलिकी में सुपरमून उस स्थिति को कहते हैं जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब हो और उसी समय पूर्णिमा भी हो.

चांद की संरचना.
चांद की संरचना. (Photo Credit; Gorakhpur Nakshatra Shala)

क्या है पेरिगी-सिजीगी मून: वास्तव में सुपरमून को खगोलिकी में पेरिगी-सिजीगी मून कहा जाता है. सिजीगी की स्थिति में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हो जाते हैं. प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या सिजीगी की स्थिति में ही होती है. सुपर मून काफी ज्यादा प्रभावशाली होता है. सुपर मून की स्थिति में चन्द्रमा सामान्य से ज्यादा बड़ा प्रतीत होता है. चंद्रमा का व्यास लगभग 3,475 किलोमीटर है.

पेरिगी की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 351,000 किमी (220,000) मील तक पास हो सकता है. वहीं ऐपोगी के समय की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 4,10,000 किमी (254,000 मील) तक दूर तक हो सकता है. क्योंकि, चन्द्रमा लगातार पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है, इसलिए वह हर महीने में दो बार इन स्थितियों से गुजरता है.

पेरिगी-एपोगी में क्या है अंतर.
पेरिगी-एपोगी में क्या है अंतर. (Photo Credit; Gorakhpur Nakshatra Shala)

2024 के सुपर मून

  • 19 अगस्त: 224,917 मील (361,969 किलोमीटर)
  • 18 सितंबर: 222,131 मील (357,485 किलोमीटर)
  • 17 अक्टूबर: 222,055 मील (351,519 किलोमीटर)
  • 15 नवंबर: 224,853 मील (361,866 किलोमीटर)

गोरखपुर में खास इंतजाम: वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला में जन सामान्य के लिए सूर्य दर्शन और रात में आकाश दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यक्रम फ्री होगा. नक्षत्रशाला की ओर से टेलिस्कोप स्थापित किए जायेंगे और लोगों को सुपरमून के दर्शन कराए जाएंगे.

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