शिमला: देश भर में चर्चा का विषय बने हिमाचल सरकार के टॉयलेट शुल्क वाले आदेश वापस ले लिए गए हैं. इस बारे में आनन-फानन में शुक्रवार को जलशक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एक नोटिफिकेशन मीडिया के समक्ष पेश की. उस नोटिफिकेशन में टॉयलेट शुल्क वाली कंडीशन को तुरंत प्रभाव से डिलीट करने का जिक्र दर्ज है. इससे पहले हिमाचल सरकार के इस शुल्क को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर निशाना साधा. वहां से बवाल मचा तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली में कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
उसके बाद 21 सितंबर की नोटिफिकेशन के बारे में राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा सामने आए और स्थिति स्पष्ट की. साथ ही ओंकार शर्मा ने इस शुल्क को वापस लेने वाली नोटिफिकेशन भी प्रस्तुत की. उस नोटिफिकेशन में डेट 21 सितंबर की ही है. उसमें लिखा है-21 सितंबर की नोटिफिकेशन में संक्षिप्त बदलाव किया जा रहा है. पन्ना नंबर चार पर तीसरी कंडीशन को तुरंत प्रभाव से डिलीट किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 25 रुपए प्रति सीट सीवरेज चार्जिज लगाए जा रहे हैं.
दिन भर चला हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा: इस मामले में दिन भर प्रदेश से लेकर देश तक हाई वोल्टेज सियासी ड्रामा चला. पहले निर्मला सीतारमण से एक्स अकाउंट पर लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी देश में स्वच्छता अभियान चला रहे हैं और हर घर शौचालय बने हैं, लेकिन हिमाचल सरकार टॉयलेट टैक्स लगा रही है. वहीं, हिमाचल दौरे पर आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरा. जेपी नड्डा ने बिलासपुर में कहा कि कांग्रेस सरकार की बुद्धि और मति दोनों ही भ्रष्ट हो गई है. ये सरकार टॉयलेट पर भी टैक्स लगा रही है. अनुराग ठाकुर भी पीछे नहीं रहे. उन्होंने भी कांग्रेस सरकार को वसूली सरकार कहा और शौचालय शुल्क पर घेरा. हिमाचल भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल व नेता प्रतिपक्ष ने भी इस मसले पर सुखविंदर सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई. वहीं, दिल्ली में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने टॉयलेट टैक्स वाले मामले को सिरे से नकार दिया और आरोप जड़ा कि हरियाणा चुनाव के कारण भाजपा आधारहीन बातें फैला रही है.
शुल्क खत्म, सवाल बरकरार: इस मामले में बेशक नोटिफिकेशन वापस लेकर उसमें संशोधन किया गया, लेकिन सवाल बाकी हैं. यदि 21 सितंबर को ही नोटिफिकेशन वापस ली गई तो उसे उसी दिन या अगले दिनों में वेबसाइट पर अपलोड क्यों नहीं किया गया. आखिर जब केंद्रीय वित्त मंत्री ने एक्स पर पोस्ट डाली और मीडिया में खबरें चलने लगीं तो उस दिन को ही स्थिति स्पष्ट करने के लिए क्यों चुना गया? शुक्रवार को जलशक्ति विभाग के प्रमुख और राज्य सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के अफसर ओंकार शर्मा ने मीडिया के सामने सारी स्थितियां स्पष्ट कीं.
ओंकार शर्मा ने कहा कि जिस दिन यानी 21 सितंबर को ये अधिसूचना आई, उसी दिन इसे वापिस ले लिया गया. ओंकार शर्मा ने कहा कि 21 सितंबर को जो अधिसूचना तैयार की गई थी, उसे डिप्टी सीएम के पास भेजा गया. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के पास ही जलशक्ति विभाग भी है. ओंकार शर्मा ने कहा कि डिप्टी सीएम का मानना था कि ये 25 रुपए टॉयलेट शुल्क वाली शब्दावली कुछ अजीब सी लग रही है. ऐसे में उसे वापस लिया गया और नई अधिसूचना तैयार की गई, जिसे जल्द ही अपलोड किया जाएगा.
ओंकार शर्मा ने कहा कि पहले ग्रामीण इलाकों में पानी का जो बिल आता था, उसे मई 2022 में तत्कालीन सरकार ने खत्म कर दिया था. अब ग्रामीण इलाकों में सौ रुपए प्रति कनेक्शन बिल लिया जाना तय किया गया है. वहीं, शहरी इलाकों में जो पानी के बिल आते हैं, उसका तीस फीसदी सीवरेज टैक्स पहले से ही लिया जा रहा है. वहीं, सोशल मीडिया पर तो इस मामले में तंज कसने वाली पोस्टों की भरमार आ गई. फिलहाल, राज्य सरकार ने स्थिति स्पष्ट की जरूर है, लेकिन सोशल मीडिया पर अभी भी हिमाचल सरकार की तीखी आलोचना जारी है.