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'पति ने कहा था घर संभालो नहीं तो रहने नहीं देंगे..' जानें 5 बार MLA बनीं 'पद्मश्री' भागीरथी देवी की सफलता की कहानी - Success Story

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 24, 2024, 7:00 AM IST

Updated : Aug 24, 2024, 12:15 PM IST

Success Story Of Bhagirathi Devi: सफाईकर्मी से लेकर विधानसभा तक का सफर तय करने वाली भागीरथी देवी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. महीने की 800 रुपये की सैलरी के लिए काम करने वाली पद्मश्री भागीरथी के सम्मान में आज बड़े-बड़े नेता और अफसर अपना सर झुकाते हैं. आखिर कैसे बीजेपी विधायक भागीरथी ने सफलता की इस ऊंचाई को छुआ है, विस्तार से जानें.

पद्मश्री बीजेपी विधायक भागीरथी देवी
पद्मश्री बीजेपी विधायक भागीरथी देवी (Etv Bharat)
भागीरथी देवी का राजनीतिक सफर (Etv Bharat)

पटना: भागीरथी देवी बिहार की उस भंगी समाज की इकलौती विधायक हैं, जिसका राजनीति में कोई बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है. 1980 से राजनीति में सक्रिय भागीरथी देवी 2000 में पहली बार विधायक बनी थीं. उसके बाद से उन्हें लगातार पांच बार विधायक जनता ने चुना है. भागीरथी देवी विधायक बनने से पहले सफाईकर्मी के तौर पर काम करती थीं. सरल सहज स्वभाव ने जनता के बीच उन्हें लोकप्रिय बना दिया है.

महादलित वर्ग में बनाई अलग पहचान: भागीरथी देवी आज बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान बना चुकी हैं. महादलित वर्ग से आने वाली भागीरथी देवी 1980 से राजनीति में काम कर रही हैं. गरीबों के लिए खासकर दलित महादलित समाज के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं. महिला मोर्चा के बैनर के लिए 1991 में जेल की यात्रा कर चुकी हैं.

2019 में पद्मश्री अवार्ड
2019 में पद्मश्री अवार्ड (Etv Bharat)

पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक: भागीरथी देवी 2000 से लेकर 2010 तक नरकटियागंज (पश्चिमी चंपारण) विधानसभा से चुनाव जीतती रही हैं. परिसीमन के बाद सीट का नाम बदलकर रामनगर हो गया और रामनगर से भी विधायक चुनी जा रही हैं. 2015 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे, उस समय भी भागीरथी देवी ने बिहार की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी पूर्णमासी राम को बुरी तरह से पराजित किया था.

2019 में केंद्र सरकार ने दिया पद्मश्री अवार्ड: जनता के प्रति समर्पण और किए गए कामों के बदौलत ही केंद्र सरकार ने 2019 में भागीरथी देवी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. भंगी समाज से आने वाले भागीरथी देवी बिहार की एकमात्र विधायक हैं. हमेशा भोजपुरी में ही बात करती हैं. विधानसभा में एक बार जब भोजपुरी में बोल रही थी तो विधानसभा अध्यक्ष भी भोजपुरी में बोलने लगे. प्यार मोहब्बत जिंदाबाद फिल्म में भी काम कर चुकी हैं. विनय बिहारी के निर्देशन में बनी फिल्म में 11 विधायको में भागीरथी देवी को भी एक रोल दिया गया था. 2022 में बगावती तेवर भी अपना चुकी हैं और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दिया था.

पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक
पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक (Etv Bharat)

सफाई कर्मी से शुरू हुआ था भागीरथी का सफर: भागीरथी देवी अत्यंत ही गरीब परिवार की महिला है जो ₹800 के महीने पर प्रखंड कार्यालय नरकटियागंज में सफाई कर्मी की नौकरी करती थीं, लेकिन गरीब मजदूर और घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए लगातार आवाज उठाती रही. भागीरथी जेल भी गईं और यही कारण है कि राजनीति में उनकी एंट्री हो सकी और बीजेपी ने उन्हें मौका दिया.

जा चुकी हैं कई बार जेल: राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई रथ यात्रा में भी भागीरथी समस्तीपुर में जेल जा चुकी हैं. भागीरथी देवी का कहना है कि राजनीति में जब आए तो परिवार की तरफ से भी विरोध हुआ. पति ने काफी विरोध किया, लेकिन मैंने भी कह दिया कि आपको नहीं रखना है नहीं रखें, लेकिन हम राजनीति नहीं छोड़ेंगे. भागीरथी देवी विधानसभा हो या बाहर हर जगह भोजपुरी में बात करती हैं.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

उठाती रही हैं जनता से जुड़े मुद्दे: बिहार विधानसभा सत्र के दौरान भागीरथी देवी हमेशा उपस्थित रहती हैं. शून्य काल में जनता का सवाल जरूर उठाती हैं. भागीरथी देवी की बात को विधानसभा अध्यक्ष भी गंभीरता से लेते रहे हैं. खासकर जब महिलाओं के उत्पीड़न और महादलित का मामला हो तो पार्टी भागीरथी देवी को कई मौकों पर अपनी बात रखने के लिए कहती है.

पार्टी में मिलता है सम्मान: भागीरथी देवी के निशाने पर आरजेडी रहती है. राजद शासन में महिलाओं की क्या स्थिति थी, कई बार उन्होंने सदन में इसे उठाया है. बीजेपी जब विपक्ष में थी उस समय विधानसभा अध्यक्ष के रवैया के खिलाफ सभी सदस्य सदन का वाक आउट कर गए थे. भागीरथी देवी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पैरेलल सदन विधानसभा पोर्टिको में चलाया गया था.

अपनाती रही हैं बागी तेवर: जब पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी तो जून 2022 में भागीरथी देवी ने भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था कि महादलित होने के कारण संगठन में उनकी बात नहीं सुनी जाती है. हालांकि नरेंद्र मोदी को वह हमेशा भगवान बताती हैं. नीतीश कुमार जब पाला बदलकर फिर से एनडीए में वापस लौटे और सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान इनका बागी तेवर खुलकर सामने आ गया था. हालांकि बाद में उस मामले को पार्टी ने आसानी से सलटा लिया.

नरेंद्र मोदी को वह हमेशा भगवान बताती हैं भागीरथी
नरेंद्र मोदी को वह हमेशा भगवान बताती हैं भागीरथी (Etv Bharat)

मंत्री पद नहीं मिलने का मलाल: भागीरथी देवी को पार्टी के नेता भी बड़ा सम्मान देते हैं. लेकिन भागीरथी देवी को लंबे समय तक विधायक रहने के बाद भी सरकार में या संगठन में बड़ी जिम्मेवारी नहीं मिलने की कसक है. ऐसे खुलकर भागीरथी देवी इस पर कुछ नहीं बोलती हैं लेकिन इतना जरूर कह रही हैं कि सरकार में आगे बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह जो बड़े नेता हैं वही फैसला ले सकते हैं.

परिवार में कौन-कौन है?: भागीरथी देवी के पति ममीखन राउत रेलवे में काम करते थे, सेवानिवृत हो चुके हैं. भागीरथी देवी के पांच पुत्र हैं. एक पुत्री भी थी लेकिन उनका निधन हो गया. भागीरथी देवी के पति को राजनीति में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं है और इसलिए जब भागीरथी देवी राजनीति में सक्रिय हुई तब उन्होंने कहा था कि परिवार को कौन देखेगा.

कैसे राजनीति में हुई एंट्री?: गरीब मजबूर महिलाओं को ब्लॉक से अधिकारी भगा देते थे. ऐसे ही एक बार मेरे सामने एक महिला को ब्लॉक से भगा दिया गया था. उसी पल मैंने काम छोड़ दिया और सभी महिलाओं को एकजुच कर प्रखंड का घेराव कर दिया. उसी समय से राजनीति में एंट्री हो गई थी. मैं बीजेपी में शुरू से ही हूं. भाजपा ईमानदार पार्टी है. मैं पैदल घूम घूमकर लोगों से मिलती हैं.

भागीरथी देवी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पैरेलल सदन चलाया गया था
भागीरथी देवी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पैरेलल सदन चलाया गया था (Etv Bharat)

"राजनीति में एंट्री के समय परिवार और पति का विरोध झेलना पड़ा था, लेकिन उसके बाद उन्होंने हमेशा सपोर्ट ही किया है. परिवार को लोगों ने विरोध भी किया. पति ने कहा कि तुम घर छोड़कर दिन भर बाहर रहती हो, घर में रहने नहीं देंगे. मैंने कहा कि आप कुछ भी बोलिए लेकिन मैं जनता के लिए आगे बढ़ूंगी और उनको आगे लेकर जाऊंगी. आपको जो सही लगता है कीजिए, लेकिन मैं राजनीति नहीं छोड़ूंगी."- भागीरथी देवी, बीजेपी विधायक

बेटे ने लगाया उपेक्षा का आरोप: भागीरथी देवी के बेटे राजेश कुमार राजनीति में मां की मदद करते हैं. राजेश का कहना है कि मां विधायक हैं. इससे गौरव की बात क्या हो सकती है. परिवार के सभी सदस्य मां की उपलब्धि से गौरवान्वित हैं, लेकिन पार्टी में जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिलता है. पार्टी में हम लोगों की उपेक्षा की जाती है.

"अब उपेक्षा के पीछे क्या वजह है यह तो हम लोगों को पता नहीं है, लेकिन जनता के बीच बहुत सम्मान मिलता है."- राजेश कुमार,भागीरथी देवी के बेटे

बहू को लेकर हो चुका है विवाद: राजेश की पत्नी रानी देवी ने भागीरथी देवी के खिलाफ 2020 विधानसभा चुनाव में मोर्चा खोल दिया था. निर्दलीय नामांकन भी रानी देवी ने कर दिया था. इस पर राजेश का कहना है हर परिवार में विरोध होता है, लेकिन हम लोग जिस समाज से आते हैं उसके कारण यह मामला ज्यादा तूल पकड़ लिया. भागीरथी देवी के साथ 2000 से उनके मुंह बोले भाई के रूप में अंसारी काम कर रहे हैं.

"विधायक जनता के बीच इसलिए लोकप्रिय हैं क्योंकि सभी की बात सुनती हैं. किसी की भी समस्या हो उसका हर संभव समाधान निकालने की कोशिश करती है. कहीं भी रास्ते में लोग इन्हें रोक लेते हैं और सबसे बातचीत करती हैं. हम लोगों की तो इच्छा थी कि इतने लंबे काल से विधायक हैं, सरकार में इन्हें मंत्री भी बनाया जाता."- अंसारी, भागीरथी देवी के मुंह बोले भाई

पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक
पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक (Etv Bharat)

भागीरथी देवी का राजनीतिक सफर: पति के विरोध के बाद भी 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं. भागीरथी देवी. पहले सफाई कर्मी का करती थीं. हर महीने ₹800 मिलता था. महादलित महिलाओं के लिए 1991 में जेल जा चुकी हैं. आडवाणी की रथ यात्रा के दौरान भी समस्तीपुर में जेल जा चुकी हैं.

पांच बार बनीं विधायक: 2000 में पहली बार नरकटियागंज से विधायक बनीं. नवंबर , 2005 में फिर से नरकटियागंज से ही विधायक चुनी गई. नवंबर ,2010 में फिर से नरकटियागंज से विधायक बनी. नवंबर ,2015 में रामनगर से विधायक बनीं. नवम्बर,2020 में रामनगर से एक बार फिर से विधायक बनीं.

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भागीरथी देवी का राजनीतिक सफर (Etv Bharat)

पटना: भागीरथी देवी बिहार की उस भंगी समाज की इकलौती विधायक हैं, जिसका राजनीति में कोई बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है. 1980 से राजनीति में सक्रिय भागीरथी देवी 2000 में पहली बार विधायक बनी थीं. उसके बाद से उन्हें लगातार पांच बार विधायक जनता ने चुना है. भागीरथी देवी विधायक बनने से पहले सफाईकर्मी के तौर पर काम करती थीं. सरल सहज स्वभाव ने जनता के बीच उन्हें लोकप्रिय बना दिया है.

महादलित वर्ग में बनाई अलग पहचान: भागीरथी देवी आज बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान बना चुकी हैं. महादलित वर्ग से आने वाली भागीरथी देवी 1980 से राजनीति में काम कर रही हैं. गरीबों के लिए खासकर दलित महादलित समाज के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं. महिला मोर्चा के बैनर के लिए 1991 में जेल की यात्रा कर चुकी हैं.

2019 में पद्मश्री अवार्ड
2019 में पद्मश्री अवार्ड (Etv Bharat)

पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक: भागीरथी देवी 2000 से लेकर 2010 तक नरकटियागंज (पश्चिमी चंपारण) विधानसभा से चुनाव जीतती रही हैं. परिसीमन के बाद सीट का नाम बदलकर रामनगर हो गया और रामनगर से भी विधायक चुनी जा रही हैं. 2015 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे, उस समय भी भागीरथी देवी ने बिहार की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी पूर्णमासी राम को बुरी तरह से पराजित किया था.

2019 में केंद्र सरकार ने दिया पद्मश्री अवार्ड: जनता के प्रति समर्पण और किए गए कामों के बदौलत ही केंद्र सरकार ने 2019 में भागीरथी देवी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. भंगी समाज से आने वाले भागीरथी देवी बिहार की एकमात्र विधायक हैं. हमेशा भोजपुरी में ही बात करती हैं. विधानसभा में एक बार जब भोजपुरी में बोल रही थी तो विधानसभा अध्यक्ष भी भोजपुरी में बोलने लगे. प्यार मोहब्बत जिंदाबाद फिल्म में भी काम कर चुकी हैं. विनय बिहारी के निर्देशन में बनी फिल्म में 11 विधायको में भागीरथी देवी को भी एक रोल दिया गया था. 2022 में बगावती तेवर भी अपना चुकी हैं और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दिया था.

पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक
पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक (Etv Bharat)

सफाई कर्मी से शुरू हुआ था भागीरथी का सफर: भागीरथी देवी अत्यंत ही गरीब परिवार की महिला है जो ₹800 के महीने पर प्रखंड कार्यालय नरकटियागंज में सफाई कर्मी की नौकरी करती थीं, लेकिन गरीब मजदूर और घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए लगातार आवाज उठाती रही. भागीरथी जेल भी गईं और यही कारण है कि राजनीति में उनकी एंट्री हो सकी और बीजेपी ने उन्हें मौका दिया.

जा चुकी हैं कई बार जेल: राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई रथ यात्रा में भी भागीरथी समस्तीपुर में जेल जा चुकी हैं. भागीरथी देवी का कहना है कि राजनीति में जब आए तो परिवार की तरफ से भी विरोध हुआ. पति ने काफी विरोध किया, लेकिन मैंने भी कह दिया कि आपको नहीं रखना है नहीं रखें, लेकिन हम राजनीति नहीं छोड़ेंगे. भागीरथी देवी विधानसभा हो या बाहर हर जगह भोजपुरी में बात करती हैं.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

उठाती रही हैं जनता से जुड़े मुद्दे: बिहार विधानसभा सत्र के दौरान भागीरथी देवी हमेशा उपस्थित रहती हैं. शून्य काल में जनता का सवाल जरूर उठाती हैं. भागीरथी देवी की बात को विधानसभा अध्यक्ष भी गंभीरता से लेते रहे हैं. खासकर जब महिलाओं के उत्पीड़न और महादलित का मामला हो तो पार्टी भागीरथी देवी को कई मौकों पर अपनी बात रखने के लिए कहती है.

पार्टी में मिलता है सम्मान: भागीरथी देवी के निशाने पर आरजेडी रहती है. राजद शासन में महिलाओं की क्या स्थिति थी, कई बार उन्होंने सदन में इसे उठाया है. बीजेपी जब विपक्ष में थी उस समय विधानसभा अध्यक्ष के रवैया के खिलाफ सभी सदस्य सदन का वाक आउट कर गए थे. भागीरथी देवी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पैरेलल सदन विधानसभा पोर्टिको में चलाया गया था.

अपनाती रही हैं बागी तेवर: जब पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी तो जून 2022 में भागीरथी देवी ने भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था कि महादलित होने के कारण संगठन में उनकी बात नहीं सुनी जाती है. हालांकि नरेंद्र मोदी को वह हमेशा भगवान बताती हैं. नीतीश कुमार जब पाला बदलकर फिर से एनडीए में वापस लौटे और सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान इनका बागी तेवर खुलकर सामने आ गया था. हालांकि बाद में उस मामले को पार्टी ने आसानी से सलटा लिया.

नरेंद्र मोदी को वह हमेशा भगवान बताती हैं भागीरथी
नरेंद्र मोदी को वह हमेशा भगवान बताती हैं भागीरथी (Etv Bharat)

मंत्री पद नहीं मिलने का मलाल: भागीरथी देवी को पार्टी के नेता भी बड़ा सम्मान देते हैं. लेकिन भागीरथी देवी को लंबे समय तक विधायक रहने के बाद भी सरकार में या संगठन में बड़ी जिम्मेवारी नहीं मिलने की कसक है. ऐसे खुलकर भागीरथी देवी इस पर कुछ नहीं बोलती हैं लेकिन इतना जरूर कह रही हैं कि सरकार में आगे बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह जो बड़े नेता हैं वही फैसला ले सकते हैं.

परिवार में कौन-कौन है?: भागीरथी देवी के पति ममीखन राउत रेलवे में काम करते थे, सेवानिवृत हो चुके हैं. भागीरथी देवी के पांच पुत्र हैं. एक पुत्री भी थी लेकिन उनका निधन हो गया. भागीरथी देवी के पति को राजनीति में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं है और इसलिए जब भागीरथी देवी राजनीति में सक्रिय हुई तब उन्होंने कहा था कि परिवार को कौन देखेगा.

कैसे राजनीति में हुई एंट्री?: गरीब मजबूर महिलाओं को ब्लॉक से अधिकारी भगा देते थे. ऐसे ही एक बार मेरे सामने एक महिला को ब्लॉक से भगा दिया गया था. उसी पल मैंने काम छोड़ दिया और सभी महिलाओं को एकजुच कर प्रखंड का घेराव कर दिया. उसी समय से राजनीति में एंट्री हो गई थी. मैं बीजेपी में शुरू से ही हूं. भाजपा ईमानदार पार्टी है. मैं पैदल घूम घूमकर लोगों से मिलती हैं.

भागीरथी देवी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पैरेलल सदन चलाया गया था
भागीरथी देवी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पैरेलल सदन चलाया गया था (Etv Bharat)

"राजनीति में एंट्री के समय परिवार और पति का विरोध झेलना पड़ा था, लेकिन उसके बाद उन्होंने हमेशा सपोर्ट ही किया है. परिवार को लोगों ने विरोध भी किया. पति ने कहा कि तुम घर छोड़कर दिन भर बाहर रहती हो, घर में रहने नहीं देंगे. मैंने कहा कि आप कुछ भी बोलिए लेकिन मैं जनता के लिए आगे बढ़ूंगी और उनको आगे लेकर जाऊंगी. आपको जो सही लगता है कीजिए, लेकिन मैं राजनीति नहीं छोड़ूंगी."- भागीरथी देवी, बीजेपी विधायक

बेटे ने लगाया उपेक्षा का आरोप: भागीरथी देवी के बेटे राजेश कुमार राजनीति में मां की मदद करते हैं. राजेश का कहना है कि मां विधायक हैं. इससे गौरव की बात क्या हो सकती है. परिवार के सभी सदस्य मां की उपलब्धि से गौरवान्वित हैं, लेकिन पार्टी में जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिलता है. पार्टी में हम लोगों की उपेक्षा की जाती है.

"अब उपेक्षा के पीछे क्या वजह है यह तो हम लोगों को पता नहीं है, लेकिन जनता के बीच बहुत सम्मान मिलता है."- राजेश कुमार,भागीरथी देवी के बेटे

बहू को लेकर हो चुका है विवाद: राजेश की पत्नी रानी देवी ने भागीरथी देवी के खिलाफ 2020 विधानसभा चुनाव में मोर्चा खोल दिया था. निर्दलीय नामांकन भी रानी देवी ने कर दिया था. इस पर राजेश का कहना है हर परिवार में विरोध होता है, लेकिन हम लोग जिस समाज से आते हैं उसके कारण यह मामला ज्यादा तूल पकड़ लिया. भागीरथी देवी के साथ 2000 से उनके मुंह बोले भाई के रूप में अंसारी काम कर रहे हैं.

"विधायक जनता के बीच इसलिए लोकप्रिय हैं क्योंकि सभी की बात सुनती हैं. किसी की भी समस्या हो उसका हर संभव समाधान निकालने की कोशिश करती है. कहीं भी रास्ते में लोग इन्हें रोक लेते हैं और सबसे बातचीत करती हैं. हम लोगों की तो इच्छा थी कि इतने लंबे काल से विधायक हैं, सरकार में इन्हें मंत्री भी बनाया जाता."- अंसारी, भागीरथी देवी के मुंह बोले भाई

पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक
पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक (Etv Bharat)

भागीरथी देवी का राजनीतिक सफर: पति के विरोध के बाद भी 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं. भागीरथी देवी. पहले सफाई कर्मी का करती थीं. हर महीने ₹800 मिलता था. महादलित महिलाओं के लिए 1991 में जेल जा चुकी हैं. आडवाणी की रथ यात्रा के दौरान भी समस्तीपुर में जेल जा चुकी हैं.

पांच बार बनीं विधायक: 2000 में पहली बार नरकटियागंज से विधायक बनीं. नवंबर , 2005 में फिर से नरकटियागंज से ही विधायक चुनी गई. नवंबर ,2010 में फिर से नरकटियागंज से विधायक बनी. नवंबर ,2015 में रामनगर से विधायक बनीं. नवम्बर,2020 में रामनगर से एक बार फिर से विधायक बनीं.

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Last Updated : Aug 24, 2024, 12:15 PM IST
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