सरगुजा: "पता नहीं पीएम आवास क्यों नहीं मिला? तीन बार हाथी घर तोड़ चुका है. हाथी से बचने के लिए पेड़ के ऊपर मचान बनाकर रह रहे हैं." ये कहानी है विशेष संरक्षित जनजाति के दीपक कोरवा के परिवार की है. घर में बूढ़े मां-बाप, पत्नी और 3 छोटे बच्चों के साथ दीपक रहते हैं. पहाड़ पर एक अकेला घर. चारों तरफ घनघोर जंगल ना सड़क है, ना बिजली है और ना ही पीने का पानी है. PVTG के उत्थान पर कई सरकारी आंकड़े जारी कर प्रशासन अपनी पीठ थपथपा चुका है. इसके बावजूद भी इस परिवार को मदद नहीं मिल सकी है. सरगुजा के लुंड्रा विकासखंड के ग्राम पंचायत सुमेरपुर के कउहा पानी मोहल्ले की यह कहानी है. यहीं दीपक का परिवार रहता है.
हाथी के डर से पेड़ पर रहने को पीवीटीजी परिवार: हाथी दिवस 12 अगस्त को मनाया जाएगा. जाहिर है कि हर जीव की तरह हाथी के भी अपने फायदे हैं, लेकिन सरगुजा के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के लिए हाथी किसी आपदा से कम नहीं है. यहां जब हाथी उनके गांव से निकलते हैं, तो सब कुछ तबाह हो जाता है. वो फसलों को तबाह कर देते हैं. जिससे पूरा साल उस परिवार का पेट भरता है. हाथी घर को बर्बाद कर देते हैं जिसमें ये लोग रहते हैं. ऐसी बर्बादी के बाद हर किसी की हिम्मत टूट जाती है.
हाथी का आतंक जिस परिवार के साथ होता है वो बर्बादी के कगार पर पहुंच जाता है. परिवार का कहना है कि अगर पीएम आवास योजना के तहत हमारा मकान बन जाता, तो हाथी के डर से हमें पेड़ पर जीवन नहीं बिताना पड़ता.
नहीं मिला पीएम आवास योजना का लाभ: ग्राम पंचायत सुमेरपुर के कउहा पानी में बुनियादी सुविधाओं का टोटा है. गांव में व्यवस्था के नाम पर सरकारी स्कूल है, जो इनके घर से नजदीक है. यहां इनके बच्चे पढ़ने जाते हैं, लेकिन बाकी के संसाधनों से ये परिवार वंचित है. इस बारे में दीपक कोरवा बताते हैं, "हाथी से बचने के लिए पेड़ पर मचान बनाए हैं. जब हाथी आता है, तो जान बचाने के लिए इस पर चढ़कर सो जाते हैं, लेकिन जमीन पर बने घर को हाथी तोड़ देते हैं. यहां बिजली नहीं हैं, पानी के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. पीएम आवास के लिए सर्वे तो हुआ है, लेकिन अब तक पीएम आवास नहीं मिला है."
"दो पीढी यानी करीब 100 साल से भी अधिक समय से यहीं पर रह रहे हैं. खेती बाड़ी यहीं है, तो कहां जाएं. बहुत समस्या है साहब. यहां हाथी 3 बार घर तोड़ चुका है. पेड़ पर रात गुजारकर जान तो बच जाती है, लेकिन घर टूट जाता है." -सोमारू कोरवा, दीपक के पिता
सरगुजा में पीवीटीजी की हालत ऐसी: बता दें कि इस परिवार की समस्या इनके लिए बहुत बड़ी है. सरकारें भले ही करोड़ों के बजट का दावा करें. अंत्योदय की बात कर अपने नेताओं को योजना समर्पित करें, लेकिन जमीनी हकीकत में करोड़ों नहीं महज कुछ रुपए के आभाव में PVTG परिवार की हालात ऐसी है, जबकि लोकसभा चुनाव के पहले ही केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "जन मन योजना" के तहत विकसित भारत संकल्प शिविर लगाए गए, इस गांव में भी शिविर लगा था. दावे किए गये कि विशेष संरक्षित जन जातियों की समस्याओं का निपटारा लगभग कर दिया गया है, लेकिन हकीकत कुछ और है.
दूसरी तरफ हाथी मानव संघर्ष को खत्म करने के लिए राज्य में एलिफेंट प्रोजेक्ट को बनाने की कवायद शुरू हुई, लेकिन अब तक इसमें कुछ नहीं हो सका है.