देहरादूनः उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने भारतभर में चल रहे डिजिटल हाउस अरेस्ट गिरोह स्कैम में 3 करोड़ रुपए का भंडाफोड़ करते हुए एक आरोपी को यूपी के बहराइच से गिरफ्तार किया. गिरफ्तार ठग ने अपने गिरोह के साथ देहरादून निवासी एक पीड़ित से डिजिटल हाउस अरेस्ट करते हुए 3 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि ठगी थी. गिरोह ने ग्रेटर मुंबई पुलिस ऑफिसर और सीबीआई अधिकारी बनकर व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल और वॉइस कॉल के जरिए पीड़ित को 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा था.
साइबर ठगों ने पीड़ित को जाल में फंसाया: देहरादून साइबर क्राइम पुलिस के मुताबिक, देहरादून के राजपुर निवासी पीड़ित ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून में 12 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई थी कि 20 मई को उनके मोबाइल नंबर पर फेडेक्स कूरियर (FedEx Courier) से एक कॉल आई कि आपका पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर नारकोटिक्स वालों ने पकड़ लिया है. पार्सल में कुछ आपत्तिजनक सामग्री जैसे 5 से 6 पासपोर्ट, ड्रग्स आदि सामान है. कॉल करने वाले ने पीड़ित को उसका आधार नंबर, मोबाइल नंबर और उसकी कुछ व्यक्तिगत जानकारी बताई. इससे पीड़ित को थोड़ा यकीन हो गया.
ऐसे शुरू किया डराने का सिलसिला: पीड़ित ने कहा कि उसके द्वारा कोई पार्सल न तो भेजा गया है और न ही आने वाला है. इसके बाद कॉल करने वाले ने बताया कि पार्सल आपके नाम से ही. अब इसके संबंध में जो भी कार्रवाई होगी वह आप पर ही होगी. इन सबसे बचना बहुत मुश्किल है. इस कॉल को मुंबई पुलिस को फॉरवर्ड की जा रही है. इसके बाद कॉल पर दूसरे व्यक्ति (ठग), जिसने खुद को ग्रेटर मुंबई पुलिस का बड़ा अफसर बताया और कहा कि आपके खिलाफ ड्रग ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हो गया है. अब आपके खिलाफ जांच होगी और आपको मुंबई आना होगा और शायद आपको जेल भी जाना पड़े.
डरा-डराकर किया हाउस अरेस्ट: पीड़ित ने बताया कि ठग की बात सुनकर वह काफी डर गया और उसकी सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गई. ठग ने कहा कि आपको इन सबसे बचाने का प्रयास किया जा सकता है और अपने बड़े अफसरों से आपके संबंध में बात की जाएगी. ठग ने पीड़ित को कहा कि हम व्हाट्सएप के माध्यम से वीडियो कॉल और वॉइस कॉल करेंगे. अब आप हमारे अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति से ना तो बात करेंगे और ना ही हमारी मर्जी के बिना घर से बाहर जाएंगे. ठग ने 20 मई से अगले दिन 21 मई दिन तक लगातार उससे व्हाट्सएप वीडियो और वॉइस कॉल के माध्यम से जोड़े रखा और तरह-तरह की बातें बता कर डराता रहा.
ड्रग ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बनाया हथियार: पीड़ित ने बताया कि ठग बीच-बीच में ऐसा प्रतीत करा रहा था कि वह अपने पुलिस के बड़े अफसरों से बात कर रहा है. इसके बाद कहा कि अगर आपको ड्रग ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से बचना है तो आपके अकाउंट में जितना भी पैसा है, उसकी जांच करनी होगी कि वह पैसा हवाला का है या नहीं. इसके लिए आपको सारा रुपया हमारे द्वारा बताए गए अकाउंट में डालना होगा जिसकी जांच के बाद आपको आपका सारा पैसा लौटा दिया जाएगा. यदि आपने ऐसा नहीं किया तो आपको व आपके परिवार को मुंबई आना होगा और आपके ऊपर केस चलेगा.
डर से पीड़ित ने नहीं कराई शिकायत: पीड़ित ने बताया कि ठग के डराने पर उसने 21 मई को आरोपी के बताए गए बैंक अकाउंट में दो करोड़ रुपए आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए. उसके बाद 22 मई को ठग के कहे मुताबिक अपने दो अन्य बैंक अकाउंट से 76 लाख 12 हजार 678 रुपए और 24 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए. इस तरह कुल मिलाकर पीड़ित ने 3 करोड़ 12 हजार 678 रुपए ठग के बैंक अकाउंट नंबर पर ट्रांसफर कर दिए. लेकिन कुछ दिन बाद पीड़ित को अहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है. पीड़ित घटना से इतना डर गया था कि उनसे काफी दिनों तक मामले की शिकायत पुलिस से नहीं की. कुछ दिन बीतने के बाद आरोपी ने 12 अगस्त को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराई.
अब तक 6 करोड़ से अधिक की ठगी: एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि शिकायत पर एक्शन लेते हुए टीम ने घटना में शामिल मुख्य आरोपी को चिन्हित किया और तलाश जारी करते हुए कई स्थानों पर दबिश दी. जिसके बाद एसटीएफ की टीम ने मुख्य आरोपी मनोज को सिसई हैदर, सिलोटा रोड बहराइच यूपी से गिरफ्तार किया. ठग के कब्जे से घटना में प्रयोग मोबाइल हैंडसेट, पीड़ित से 2 करोड़ से अधिक की धनराशि, ट्रांसफर करवाए गए बैंक खाते में में दर्ज एसएमएस अलर्ट नंबर का सिम बरामद किया है. जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपी द्वारा धोखाधड़ी में प्रयोग किए जा रहे बैंक खाते के खिलाफ देश भर के अलग-अलग राज्यों में अब तक 76 शिकायतें दर्ज हैं. बैंक खाते में 6 करोड़ से अधिक धनराशि का संदिग्ध लेन देन पाया गया है.
डिजिटल हाउस अरेस्ट की तरीका: डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं. ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं. साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी कमाई का रुपया हड़पने के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच, सीबीआई ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेंट, साइबर क्राइम, आईटी या ईडी ऑफिसर के नाम से कॉल कर प्रतिबंधित कूरियर या पार्सल से फंसाने का जाल बिछाते हैं.
ठग व्हाट्सएप वॉयस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से जांच में सहयोग के नाम पर अवैध रूप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आरबीआई से वेरिफिकेशन कराने के लिए बताए गए खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधड़ी को अंजाम दिया जाता है. ठग जालसाज तब तक उन्हें वॉयस/वीडियो कॉल करते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती. ये जालसाज कई तरह के हथकंड़े अपनाते हैं. कभी-कभी वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं. जिससे सामने वाले को यकीन करना पड़ता है.
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